समय सीमा के भीतर कोर्ट में दायर करें अपील, मुख्य सचिव ने वरीय अधिकारियों को लिखा पत्र
मुख्य सचिव ने वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर कोर्ट के मामलों में समय सीमा के अंदर अपील दायर करने का निर्देश दिया है। उन्होंने समय पर अपील दायर करने क ...और पढ़ें

मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। सरकारी कार्यालयों में किसी अधिकारी की फाइल पर बैठ जाने की बीमारी अब सरकार पर ही भारी पड़ रही है। इसका असर न्यायालयों में लंबित मामलों पर पड़ रहा है।
सरकार के विरूद्ध पारित किसी न्यायादेश में अपील दायर करने में देरी होती है। मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने इस प्रवृति को तत्काल रोकने का निर्देश दिया है।
उन्होंने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव एवं सचिव को पत्र लिख कर कहा है कि न्यायालय से जुड़े मामलों की फाइलें समय सीमा के भीतर निबटाएं।
फाइल पर बैठने की बीमारी अब सरकार पर भी भारी
पत्र में साफ कहा गया है कि उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किए जाने वाली अपील में अनावश्यक देरी होती है। कुछ मामलों में तो समय-सीमा के भीतर अपील दायर भी नहीं हो पाती है।
इससे राज्य सरकार के लिए कठिनाई बढ़ती है। न्यायालय के सामने सरकार के लिए विकट स्थिति उत्पन्न होती है। जबकि इसके लिए बिहार कार्यपालक नियमावली 1979 में ही समय-सीमा का प्रविधान कर दिया गया है।
तीन दिनो के भीतर राय देंगे नामित अधिकारी
मुख्य सचिव ने पत्र के साथ कार्यपालक नियमावली के नियमों का भी उल्लेख किया है। इसके अनुसार किसी मामले में अपील दायर की जाएगी या नहीं, उससे संबंधित फाइल सचिव के एक स्तर कनीय पदाधिकारी से नीचे नहीं जाएगी।
सभी विभागीय सचिव एक आदेश के माध्यम से इस तरह की फाइल देखने वाले अधिकारी को नामित करेंगे। नामित अधिकारी तीन दिनों के भीतर अपनी राय देंगे।
विभागीय सचिव भी तीन दिनों से अधिक अपने पास फाइल नहीं रखेंगे। विधि विभाग में भी विधि परामर्शी सह सचिव से एक स्तर कनीय अधिकारी ही इस तरह की फाइल देखेंगे।
मुख्य सचिव ने पत्र में कहा है कि बिहार कार्यपालक नियमावली के प्रविधानों का शत प्रतिशत पालन किया जाए। ताकि समय-सीमा के भीतर न्यायालयों में अपील दायर हो सके।

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