जूते की वजह से कटवाना पर सकता है पैर, पटना के डाक्टर बता रहे कब और कैसे करें इसकी खरीदारी
आम तौर पर लोग सुबह या दोपहर के समय जूते खरीदते हैं। लेकिन यह समय आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। डाक्टरों का कहना है कि इन समयों में खरीदे गए जूते आपके लिए मुसीबत बन सकते हैं।
पटना, जागरण संवाददाता। शरीर में अनियंत्रित शुगर स्तर का दुष्परिणाम आंख, किडनी, हृदय से लेकर नसों तक में होता है। इसीलिए विशेषज्ञ शुगर लेवल नियंत्रित रखने के लिए खानपान में परहेज से लेकर टहलने व व्यायाम तक की सलाह देते हैं। हालांकि, शुगर रोगियों के लिए जूतों का कितना महत्व है, कोई नहीं बताता। जानकारी के अभाव में लोग सुबह के समय पैराें में बिल्कुल फिट जूते खरीद लेते हैं। चलने-फिरने के कारण शाम तक पैरों में सूजन आने के कारण जूते टाइट हो जाते हैं और अंगुलियाें व पैरों को जख्मी कर देते हैं। यही कारण है कि प्रदेश में डायबिटिक फुट अल्सर (Diabetic Foot ulcer) के कारण कई लोगों की अंगुलियों से लेकर पैर तक काटने पड़ रहे हैं।
पुराना शोध, फिर भी नहीं बना इलाज का हिस्सा
इंडोक्राइन के सुपरस्पेशियलिटी हास्पिटल न्यू गार्डिनर (Super Specialty New Gardiner Hospital) के निदेशक डा. मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि अमेरिका और यूरोप के मेडिकल जर्नल में यह अध्ययन कई वर्ष पूर्व प्रकाशित हुआ था। इसके बाद देश समेत दुनिया की इंडोक्राइन सोसायटी ने मधुमेह रोगियों खासकर बुजुर्गों को डायबिटिक अल्सर से बचाने के लिए कैसे जूते पहने और चोट से बचने को कब खरीदारी करें आदि के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा घर से बाहर जाते समय अनिवार्य रूप से आरामदायक जूते पहनना जरूरी है।
मधुमेह रोगियों को खतरा क्यों ज्यादा
अनियंत्रित मधुमेह के कारण पैरों की संवेदनशीलता कम होने लगती है। ऐसे में सुबह खरीदे जूते शाम को पैरों में सूजन आने के बाद टाइट होकर पैरों को जख्मी करने लगते हैं लेकिन रोगी को इसका पता नहीं चलता है। वहीं यदि जूते नहीं पहने जाएं तो सामान्य चोट लगने पर भी उसके गंभीर होने की आशंका बढ़ जाती है। इन चोटों काे सामान्य समझ तुरंत इलाज नहीं करने पर ये नर्सों, रक्तनलिकाओं के साथ हड्डियों तक को क्षतिग्रस्त कर सकती हैं। अनियंत्रित शुगर के कारण घाव आसानी से नहीं भरते और ये गैंगरिन में बदल सकता है। इसका एकमात्र इलाज संक्रमित अंग को काटना ही है।
बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान
डाक्टर से जूतों के संबंध में सलाह लें। रोगियों की स्थिति के अनुसार उन्हें कम्प्रेशन रैप्स, डायबिटिक, कार्न्स एंड कालस, कास्ट्स, फुट ब्रेसेस जैसे जूते पहनने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा पैरों को नियमित तौर पर धोने व मास्चराइजर लगाना, नाखूनों को समय-समय पर काटना, जूते अच्छे से फिट नहीं होने या गुणवत्ता खराब होने पर उन्हें बदलने का ध्यान रखा जाना चाहिए।