फूल, सब्जी और औषधि वाली फसलों के उत्पादन से खुशहाल बनें किसान
परंपरागत खेती से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
मोकामा । परंपरागत खेती से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। आधुनिक तकनीक में किसानों को नुकसान कम व मुनाफा की गुंजाइश ज्यादा रहती है। वैकल्पिक फसलों के माध्यम से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए इसमें भरपूर गुंजाइश है। इसके साथ ऐसी फसलों की ओर मुखातिब हों, जिससे रोजमर्रा की जिन्दगी में आमदनी का श्रोत बना रहे। आप फूल, सब्जी व औषधि युक्त फसलों को उगा कर परिवार को खुशहाल बना सकते हैं। ये बातें दैनिक जागरण की किसान संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार ने कहीं। बीडीओ ने कहा कि रासायनिक खादों का बेतहाशा प्रयोग करने व कीटनाशी दवाओं के छिड़काव से एक ओर जहां खेतों की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है, वहीं पर्यावरण व स्वास्थ्य को भी नुकसान हो रहा है। आप जैविक खाद व कीटनाशी तेलों का उपयोग कर खेत की उर्वरा शक्ति को कायम रख सकते हैं। प्रखंड विकास कार्यालय का दरवाजा आपके लिए सदैव खुला है। आप सिस्टम से प्रशासन से मदद लेकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। बैंक अधिकारी ने दिया सहयोग का भरोसा
बैंक आपका है आपके सहयोग से ही चलता है। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में बैंक हरसंभव सहयोग को तत्पर रहता है। आवश्यकता इस बात की है कि ऋण को आप अपने उन्नत खेती के विकास में उपयोग करें। वहीँ ऋण को लौटने की मंशा लेकर सिस्टम का सदैव ध्यान रखें। ये बातें स्टेट बैंक की मुख्य शाखा के प्रबंधक सूरज कुमार कश्यप ने कहीं। प्रबंधक ने कृषि ऋण, केसीसी आदि की प्रक्रिया पर विस्तार से किसानों को जानकारी दी। उन्नत और शोधित बीज का ही करें इस्तेमाल
दलहन, तेलहन, भदई फसलों की समय पर बुआई मौसम को ध्यान में रखकर की जाए। इस बात का कृषि विभाग पूरा ध्यान रखता है। समय-समय पर ग्रामीण स्तर पर कृषि सलाहकारों व समन्वयकों के माध्यम से सुझाव भी दिए जाते हैं। प्रकृति व आपदा के प्रकोप से बचाव व सावधानी के लिए शिविरों के माध्यम से सचेत करने की भी प्रयास किये जाते हैं। उन्नत व शोधित बीजों को अनुदानित दर पर किसानों तक पहुंचे। इसकी भी चिंता की जाती है। फसल क्षति, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार द्वारा देय अनुदान से जुड़े मामलों के निपटारा के लिए किसानों को लाभ दिलाने के लिए विभाग प्रयासरत रहता है। सरकार द्वारा घोषित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सिस्टम से आने की अपील की जाती है, ताकि कोई भी लाभार्थी छूटे नहीं। वहीं इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि बिचौलिए के प्रवेश की गुंजाइश नहीं हो। ये बातें प्रखंड कृषि पदाधिकारी रविन्द्र कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहीं। बीएओ ने कहा कि बुआई, कटनी व सिंचाई के अत्याधुनिक संसाधनों से किसानों को लैस करने के लिए सरकार ने कई योजनाओं को अभियान के तौर पर चला रखा है। प्रखंड का कृषि कार्यालय उसे देय अनुदानित दर पर मुहैया कराने के लिए कृतसंकल्पित है। आप निर्धारित सिस्टम से जुड़ कर इसका भरपूर लाभ उठा सकते हैं। व्यापार मंडल से मिलेगा किसानों को सहयोग
व्यापार मंडल सरकार की एक कल्याणकारी व सहयोगी एजेंसी है। इसके अध्यक्ष व सदस्य आपके द्वारा निर्वाचित होकर आते हैं। व्यापार मंडल का उद्देश्य है कि आपके द्वारा उत्पादित अनाज व अन्य खाद्य पदाथरें को सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर खरीद कर आपको बाजार को खोजने की चिंता को दूर करेंगे। धीरे - धीरे इसे और भी सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले समय में यह व्यापारियों व किसानों के लिए लाभकारी व सहयोगी संस्था साबित हो सकेगी। ये बातें प्रखंड व्यापार मंडल के अध्यक्ष सरदार गुरुजीत सिंह ने कहीं। 72 कृषि यंत्रों पर सरकार दे रही अनुदान
इसके पूर्व उद्घाटन सत्र को बीडीओ सतीश कुमार, बैंक प्रबंधक सूरज कश्यप, व्यापार मंडल अध्यक्ष सरदार गुरुजीत सिंह, बीएओ रविन्द्र कुमार, पैक्स अध्यक्ष मीना सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर संयुक्त रूप से किया। किसान सलाहकार संदीप कुमार ने किसानों को बताया कि सरकार कीटनाशक दवा पर भी अनुदान दे रही है, ताकि किसानों को हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सके। कृषि कार्य से संबंधित अन्य अनुदान प्राप्त करने के लिए किसानों को अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा, ताकि अनुदान की राशि लाभार्थी के सीधे बैंक खाते में पहुंच सके। किसान सलाहकार ने विस्तारपूर्वक 72 कृषि यंत्रों पर अनुदान की चर्चा की। शिवनार के पैक्स अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि पैक्स के माध्यम से गेहूं व धान बेचने की व्यवस्था है। सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर इसे बेचने की व्यवस्था है। इसमें अन्य उत्पादों को जोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है। किसानों ने भी बताई समस्याएं
टुनटुन सिंह उर्फ बाल्मीकि कुमार ने कहा कि उर्वरक की कीमत निर्धारित मूल्य से ज्यादा लिया जा रहा है। वहीं मसूर की कीमत सरकार द्वारा समर्थन मूल्य से कम पर बेचने को किसान विवश हैं। किसान विश्वनाथ सिंह ने कहा कि बाढ़ से मोकामा तक क्षेत्र को भी सूखाग्रस्त क्षेत्र में शामिल किया जाए। बरहपुर ग्राम के अरुण कुमार सिंह ने कहा कि सरकारी योजना का लाभ लाभार्थी तक नहीं पहुंच पाता है। किसान सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाते हुए थक हार कर बैठ जाते हैं। मोर पूर्वी पैक्स अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि किसानों के पास पूंजी का अभाव है। मोकामा, घोसवरी व पंडारक प्रखंडों के लिए एक मात्र सहकारिता बैंक पंडारक में संचालित है। मराची के प्रगतिशील किसान पवन कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा किसानों को खुशहाल बनाने की योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक पहुंचे। इसके लिए हमें जागरूक रहने की भी जरुरत है। हम सहकारी खेती की ओर भी मुखातिब होना चाहते हैं। इसकी जानकारी किसानो तक पहुंचे, इसके लिए संबंधित विभागों को पहल करनी चाहिए। जितेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों का केसीसी ऋण से इंश्योरेंस का पैसा कट रहा है, लेकिन इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। कृषि विकास समिति, औंटा के अध्यक्ष रमेश चन्द्र सिन्हा ने कहा कि दलहन व सब्जी की खरीद के लिए सरकार को क्रय केन्द्र की स्थापना करनी चाहिए। वहीं टाल जाने के लिए चौड़ी संपर्क पथ के निर्माण पर भी सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। पैक्स अध्यक्ष मीना सिंह ने किसानों ने समस्याओं की पुरजोर वकालत करते हुए इसके निदान के लिए सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। किसान संगोष्ठी में शामिल अधिकारियों व किसानों ने दैनिक जागरण के संपादकीय पहल के लिए इस महत्वाकाक्षी संगोष्ठी पर धन्यवाद देते हुए आभार भी प्रकट कर रहे थे। ये लोग भी हुए कार्यक्रम में शामिल
सुरेश सिंह, अरुण सिंह, मनोज कुमार, जयशकर शर्मा, रमेश सिंह, पवन सिंह, विकास कुमार, अविनाश कुमार, राजनंदन कुमार, त्रिभुवन प्रसाद, रणवीर सिंह, रघुनाथ प्रसाद यादव, दीपक कुमार, उमाशकर सिंह, प्रमोद सिंह, अनिल सिंह, टुनटुन सिंह, उमा सिंह, शालिग्राम सिंह, अवध सिंह, संजय सिंह, मनोज महादेव, संदीप कुमार, निलेश प्रसाद गौर, दीपक कुमार, अर्चना कुमारी, अजय कुमार, कुणाल कुमार, संजय कुमार, अमित कुमार, संतोष कुमार, चंदन कुमार, उमेश शर्मा, दीपनारायण सिंह, मंगल साव, कृष्णमोहन कुमार, प्रमोद सिंह, दिनेश सिंह, रामकुमार, रामगति सिंह, शिवम सिंह, मुन्ना सिंह, अशोक कुमार समेत अन्य थे।