उत्कृष्ट लेखन ही समाज को दिखाता है दिशा
विस्मृत कर दी गयीं प्रतिभावान लेखिकाओं की रचनाओं को फिर से कलमबद्ध और पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की जरूरत
पटना। विस्मृत कर दी गयीं प्रतिभावान लेखिकाओं की रचनाओं को फिर से कलमबद्ध और पुस्तक के रूप में उपलब्ध कराने की जरूरत है। पद्मश्री उषा किरण खान ने मगध महिला कॉलेज के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयाम की ओर से आयोजित संगोष्ठी में यह बात कही। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जाकिया मशहदी ने स्त्री लेखन को समाज के सामने लाने की कोशिश को प्रेरक बताया। वहीं अवधेश प्रीत ने कहा कि उत्कृष्ट लेखन समाज को दिशा दिखाता है। इसे संजोने की जरूरत है। शिवदयाल ने बिहार की धरती की क्षमतावान बताया और कलम की धनी लेखिकाओं पर गर्व करने की बात कही। मगध महिला की प्राचार्य डॉ. शशि शर्मा ने स्त्री साहित्यकारों को स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना की। रानी सुमिता ने बिंदु सिन्हा के प्रसिद्ध उपन्यास 'सागर पाखी' की समीक्षात्मक टिप्पणी प्रस्तुत की। रीता सिंह ने कहा कि उनकी कहानियों में सामाजिकता है। इनकी कहानियां तात्कालीन समाज का बोध कराती हैं। उत्तरा सिंह ने भी बिंदु सिन्हा की कहानियों पर प्रकाश डाला। उपस्थित वक्ताओं ने बिंदु सिन्हा, प्रकाशवती नारायण, डॉ. शांता सिन्हा, शकीला अख्तर, डॉ. निरोज सिन्हा, मिथिलेश कुमारी जैसी लेखकों की लेखनी पर चर्चा की। वक्ताओं ने कहा कि लेखिका बिंदु सिन्हा ने रेणु पर अनेक आलेख को कैनवास विश्वविद्यालय, आस्ट्रेलिया के पाठ्यक्रम में शामिल कराया, जो बिहार के लिए बड़े गर्व की गर्व की बात है। उनके लेखन का वृहद संसार रहा। उनकी रचनाओं में 'सागर पाखी', 'टूटे महल के खंभे' आदि काफी लोकप्रिय रहीं। मंच संचालन डॉ. सुनीता गुप्ता, अभिनंदन आयाम की सचिव डॉ. वीणा अमृत और धन्यवाद ज्ञापन शाइस्ता अंजुम ने किया।