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सदन में रहकर भी फिल्मों में अश्लीलता के खिलाफ आवाज उठाते रहे रामधारी सिंह दिनकर

राष्ट्रकवि दिनकर की रचना जीवन के संघर्ष से लड़ने और जीतने की प्रेरणा देती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 01:38 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 01:38 AM (IST)
सदन में रहकर भी फिल्मों में अश्लीलता के खिलाफ आवाज उठाते रहे रामधारी सिंह दिनकर
सदन में रहकर भी फिल्मों में अश्लीलता के खिलाफ आवाज उठाते रहे रामधारी सिंह दिनकर

पटना । राष्ट्रकवि दिनकर की रचना जीवन के संघर्ष से लड़ने और जीतने की प्रेरणा देती है। आपातकाल के विरोध में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में गांधी मैदान से आंदोलन का शंखनाद हुआ था तब दिनकर की रचना 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है' आंदोलन का मूलमंत्र बन गया था। 'दिनकर शोध संस्थान' के स्थापना दिवस पर विद्यापति भवन में आयोजित कार्यक्रम में ये बातें बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहीं। उन्होंने आयोजकों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन अगर रामधारी सिंह दिनकर की जयंती या पुण्यतिथि पर होते तो इसकी महत्ता और बढ़ जाती।

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: सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते रहे दिनकर :

पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा दिनकर एक साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक आंदोलनकारी भी थे। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर जेपी आंदोलन में उनका अहम योगदान रहा। 1952 में राज्यसभा सदस्य चुने जाने के बाद 12 वर्षो तक वे संसद सदस्य रहे। राज्यसभा सदस्य के तौर पर दिनकर का चुनाव स्वयं पंडित नेहरू ने किया था। इसके बावजूद सरकार की नीतियों के खिलाफ मुखालफत करने से वे नहीं चूके। उन्होंने उस दौरान अभिनेता पृथ्वी राज कपूर से अच्छी फिल्में बनाने का आग्रह किया था। अश्लील फिल्मों के निर्माण पर दिनकर ने सदन में आवाज उठाई थी। दिनकर की कही बातों पर आज केंद्र सरकार अमल कर रही है। मोदी के अनुसार डिजिटल मीडिया पर भी सरकार की नजरें हैं।

: दिनकर की कविताएं व्यवस्था पर चोट करती हैं : तार किशोर प्रसाद :

बिहार के उप-मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने कहा कि दिनकर की कविताएं व्यवस्था पर चोट करती हैं। उनकी ओजस्वी कविताएं स्वाधीनता आंदोलन में क्रांतिकारियों में जोश भरती रहीं। दिनकर की कविताएं सभी काल में प्रासंगिक हैं। दिनकर युग पुरुष के रूप में आज भी हमारे बीच हैं।

: कविता कभी पुरानी नहीं पड़ती, समसामयिक होती है- डॉ. संजय जायसवाल :

भाजपा बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि राष्ट्र कवि दिनकर की कविताएं आज भी प्रासंगिक है। दिनकर ने हिमालय कविता की रचना नरकटियागंज में की थी। नौकरी के दौरान वे साहित्य कर्म करते रहे। उन्होंने कहा कि कविता कभी पुरानी नहीं होती, बल्कि समसामयिक होती है। दिनकर की कविता परिस्थतियों से लड़कर कुछ बेहतर करने का संदेश देती है।

: युवाओं को दिनकर की कविताओं से प्रेरणा लेने की जरूरत- मंगल पांडेय :

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय व पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि युवाओं को दिनकर की कविताओं से प्रेरणा लेने की जरूरत है। शोध संस्थान दिनकर की रचनाओं से जन-जन को जोड़ने का काम करे। समारोह के दौरान सांसद हरीश द्विवेदी, बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश, पूर्व पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव, विधायक संजीव चौरसिया, विधायक अरुण कुमार सिन्हा, देवेश कांत, पटना हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस राजेंद्र प्रसाद आदि ने दिनकर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।

: मोकामा पुल का नामकरण दिनकर के नाम पर नहीं हो सका - अरविंद :

कार्यक्रम के दौरान दिनकर के पोते अरविद कुमार ने अतिथियों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बरौनी से दिल्ली तक दिनकर के नाम पर ट्रेन चलाने की घोषणा की थी। मोकामा पुल का नाम भी दिनकर के नाम पर करने की बात हुई थी लेकिन इस दिशा में अभी कोई काम नहीं हुआ। आयोजन के दौरान समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाले उद्यमियों, व्यवसायी, शिक्षाविद्, चिकित्सकों को दिनकर सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुमार राघवेंद्र ने की। कार्यक्रम में विवेक माधव, राकेश ओझा, सूरज पांडेय, कुलभूषण, संतोष कुमार, राजीव सिन्हा, विकास सिन्हा, नवनीत कुमार आदि मौजूद थे।

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