Bihar Govt New Policies in New Year 2020: इथनॉल लाएगा बड़ा निजी निवेश, बिजली उत्पादन भी होगा
New Year 2020 New Policies नए साल में निजी निवेश के मोर्चे पर राज्य सरकार को बड़ी कामयाबी मिल सकती है। दो बड़ी कंपनियों ने चीनी के साथ-साथ इथनॉल बनाने के प्रस्ताव दिए हैं।
पटना [एसए शाद]। New Year 2020 New Policies: नए साल में निजी निवेश के मोर्चे पर राज्य सरकार को बड़ी कामयाबी मिल सकती है। दो बड़ी कंपनियों ने प्रदेश में चीनी के साथ-साथ इथनॉल बनाने के प्रस्ताव दिए हैं, जिनमें से एक को राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद (SIPB) ने अपनी हरी झंडी प्रदान कर दी है। इसमें बिजली उत्पादन भी होगा। इसके माध्यम से 10,143 करोड़ का निजी निवेश संभव हो सकेगा। दूसरा प्रस्ताव जिसे फिलहाल 'ऑन होल्ड' रखा गया है, आठ हजार करोड़ रुपये का है।
पिछले दिनों एसआइपीबी ने निवेश के जिन 67 प्रस्तावों पर विचार किया उनमें ये दोनों बहुत अहम माने जा रहे हैं। शेष प्रस्ताव छोटे-छोटे निवेश के हैं। इन दोनों प्रस्तावों को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि हाल ही में केंद्र सरकार ने छोआ (मोलासेस) से सीधे इथनॉल बनाने की अनुमति प्रदान कर दी है। अब तक व्यवस्था यह थी कि छोआ से पहले चीनी बनाई जाती और इसके बाद बचे छोआ से इथनॉल बनाया जाता। देश में चीनी के अधिक उत्पादन को देख चीनी मिलों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है।
एसआइपीबी ने 10,143 करोड़ रुपये के निवेश के जिस प्रस्ताव को स्टेज-1 का क्लीयरेंस प्रदान किया है, वह मगध सुगर मिल प्रा. लिमिटेड का है। इसकी योजना पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज में मिल लगाने की है जिसमें चीनी एवं इथनॉल के साथ-साथ बिजली का भी उत्पादन हो सकेगा। दूसरा प्रस्ताव रहेजा एंड प्रसाद कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. का है जो पटना के अगमकुआं में मिल की स्थापना का इच्छुक है। इस मिल में भी चीनी और इथनॉल के साथ-साथ बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।
प्रदेश में इस समय 11 चीनी मिलें कार्यरत हैं और अधिकांश चीनी के साथ-साथ इथनॉल भी बना रहीं हैं। मगर इन्हें 'सी-हेवी' किस्म के छोआ से ही इथनॉल बनाने की अनुमति है। दूसरे शब्दों में छोआ से पहले चीनी बनाया जाता है और इससे बचने वाले छोआ, जिसे सी-हेवी भी कहा जाता है, उससे फिर इथनॉल बनाया जाता है। छोआ से सीधे यानी 'बी-हेवी' किस्म के छोआ से इथनॉल बनाने की इजाजत नहीं है।
नरकटियागंज में मगध सुगर मिल्स प्रा.लि. की पहले से ही एक मिल कार्यरत है जिसने पचास फीसद बी-हेवी छोआ से सीधे इथनॉल बनाने की अनुमति राज्य के मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग से मांगी है। बिहार सुगर मिल्स एसोसिएशन के सचिव नरेश भट्ट ने कहा कि हम बी-हेवी छोआ से सीधे इथनॉल बनाने की अनुमति के लिए प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही इजाजत मिल जाएगी।
केंद्र सरकार ने इस बात की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा कि यह अनुमति चीनी मिलों के लिए वरदान साबित होगी क्योंकि अभी चीनी का 'ओवर प्रोडक्शन' हो रहा है। चीनी मिल आवश्यकतानुसार यह निर्णय ले सकेंगी कि उन्हें चीनी अधिक बनाना है या इथनॉल। भट्ट ने कहा कि पेट्रोल में 20 फीसदी तक इथनॉल बनाने की अनुमति है। इथनॉल के उत्पादन से न केवल चीनी मिलों को फायादा होगा, बल्कि अन्य देशों से हो रही पेट्रोल खरीद भी कम होगी।