अतिक्रमण हटाने के दौरान हंगामा, तोड़फोड़ और आगजनी
प्रशासन व नगर निगम की लापरवाही के कारण अतिक्रमणकारी भस्मासुर बन गए हैं।
पटना। प्रशासन व नगर निगम की लापरवाही के कारण अतिक्रमणकारी भस्मासुर बन गए हैं। सोमवार की दोपहर बो¨रग रोड चौराहे पर अतिक्रमण हटाने गई नगर निगम की टीम व जिला नियंत्रण कक्ष की फोर्स पर इन लोगों ने धावा बोल दिया। सड़क पर आगजनी व तोड़फोड़ की। आधा दर्जन वाहनों के शीशे तोड़ दिए। इस दौरान कुछ राहगीरों को चोटें आई। करीब घंटे भर तक हंगामा चला। इन सबके बीच नगर निगम की टीम ने पार्किंग में चल रही फास्ट फूड की दुकानों को हटा दिया। हंगामा व रोड़ेबाजी कर रहे असामाजिक तत्वों पर काबू करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इसमें आधा दर्जन फुटपाथी दुकानदार भी चोटिल हुए। हंगामे की सूचना पर आसपास के थाने की पुलिस, सचिवालय और कोतवाली डीएसपी सहित वज्र वाहन और दमकल की गाड़ी पहुंच गई। इसके बाद स्थिति पर नियंत्रण किया जा सका। देर शाम इस मामले में अंचल के सिटी मैनेजर ओमप्रकाश की शिकायत पर एसके पुरी थाने में पार्षद पति रंजीत कुमार, संजय वर्मा, संतोष कुमार सहित 25 अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।
जानकारी के मुताबिक बो¨रग रोड चौराहे की पार्किंग में चल रहीं दुकानों को पूर्व में कई बार हटाया जा चुका है। हालांकि अभियान समाप्त होने के चंद मिनटों बाद ही वे दोबारा काबिज हो जाते थे। सोमवार को नगर निगम की टीम फोर्स लेकर दोपहर करीब एक बजे पार्किंग जोन में चल रही दुकानें हटाने पहुंची। जिस समय टीम पहुंची, लंच आवर था। दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ थी। दुकानदारों का तर्क था कि उन्हें हटने का समय नहीं दिया गया। सीधे जेसीबी चला दिया गया। दो दुकानें टूट गई। भगदड़ मची। दुकानदार कुछ समझ पाते तब तक दूसरी छोर से भी जेसीबी लगाकर दुकानें तोड़ी जाने लगीं। निगम की इस कार्रवाई के विरोध में सभी दुकानदार एकजुट हो गए। बो¨रग रोड पर आगजनी कर रास्ता जाम कर दिया। निगम की कार्रवाई के विरोध में नारेबाजी करने लगे। इस बीच भीड़ में कुछ असामाजिक तत्व शामिल हो गए। जो निगमकर्मियों और पुलिस पर पथराव करने लगे। जवाबी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने बल प्रयोग किया। पथराव में आधा दर्जन से अधिक वाहनों के शीशे टूट गए। हर तरफ अफरातफरी मच गई।
नहीं थी लोकल थाने को खबर :
राजीव नगर में हुए हंगामे का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि बो¨रग रोड चौराहे पर अतिक्रमण हटाने के दौरान फिर एक चूक हो गई। स्थानीय थाने का तर्क है कि अभियान चलाने की उन्हें पूर्व में सूचना नहीं दी गई। बो¨रग रोड पर हो रहे हंगामे और तोड़फोड़ से स्थानीय लोग सहम गए। जाम लग गया। किसी ने घटना की जानकारी बुद्धा कॉलोनी और एसकेपुरी थाने को दी। दोनों थानों के थानेदार फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। थोड़ी ही देर में सचिवालय डीएसपी और डीएसपी लॉ एंड आर्डर भी पहुंच गए।
दुकानदारों का आरोप, ठेकेदार लेता है पैसा :
दुकानदारों को आरोप था निगम ने पार्किंग का ठेका दिया है। संबंधित ठेकेदार प्रति दिन पांच सौ रुपया एक दुकानदार से लेता है। यहां तीस से अधिक दुकानें लगती हैं। पगड़ी के तौर पर भी 10-15 हजार रुपये लिए जाते है। कुछ पुलिसकर्मी भी पैसा वसूलने आते हैं। स्थानीय रंगदारों का भी इन दुकानदारों को संरक्षण प्राप्त है। हर दिन दुकान से वसूली जाने वाली राशि में सबका हिस्सा बंटा हुआ है। इसलिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है।
पुलिस, निगम पर उठ रहीं उंगली : धनराज टॉवर के सामने से अतिक्रमण हटाना नगर निगम के लिए पुरानी चुनौती है। नगर निगम ने यहां से दर्जनों बार अतिक्रमण हटाया है। अभियान खत्म होते ही अतिक्रमणकारी दोबारा काबिज हो जाते हैं। निगम के सूत्रों का कहना है कि पिछली बार निगम ने अभियान की वीडियोग्राफी करा स्थानीय थाने को सौंपी थी। अदालत ने भी आदेश दिया है कि एक बार जहां से अतिक्रमण हट जाए, वहां दोबारा अतिक्रमण होने से रोकना स्थानीय थाने की जिम्मेदारी है। लेकिन, इस पार्किंग से 15 हजार से अधिक की रोज अवैध कमाई होती है। इसके कारण पुलिस यहां के अतिक्रमण की तरफ ध्यान नहीं देती है। स्थानीय नागरिक यहां के स्थानीय नेताओं पर भी अतिक्रमणकारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हैं। कई बार इनके बचाव में बड़े राजनेता आ चुके हैं। इससे इनका मनोबल काफी बढ़ा हुआ है। नागरिकों की शिकायत है कि जब पार्किंग ठेकेदार गाड़ियां लगाने की जगह दुकानें लगवा रहा है तो उसका लाइसेंस क्यों नहीं रद हो रहा है?
मजबूरी में लोग सड़क पर खड़ा करते हैं वाहन
शहर में जहां पार्किंग स्थल है वहां अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। मजबूरन लोगों को अपनी गाड़ियां सड़कों पर खड़ी करनी पड़ती है। जिससे जाम लगता है। पुलिस चालान काटती है सो अलग।
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इनसेट ::
फुटपाथी दुकानदारों का अलग अर्थशास्त्र :
राजधानी के फुटपाथी दुकानदारों का अलग अर्थशास्त्र है। जानकार बताते हैं कि एक खास ब्रांड के लिट्टी-चोखा की राजधानी में 20 से अधिक ठेले लगते हैं। एक ठेले पर औसतन दो लोग काम करते हैं। इस तरह उक्त ब्रांड के मालिक के पास हर समय कम से कम 50 लोगों की फौज तैयार रहती है। एक ठेले से गिरे हालात में भी हजार रुपये रोज की कमाई होती है। यानी उक्त ब्रांड की लिट्टी-चोखा का ठेला चलवाने वाले की मासिक आय 6 लाख रुपये है। इतनी आमदनी लाखों खर्च कर अच्छा रेस्टोरेंट चलाने वाले की भी नहीं होती है। राजधानी में लगने वाले अधिकांश ठेले इसी तरह के लोगों के हैं। बो¨रग रोड चौराहे पर जितनी दुकानें चलती हैं उनके मालिक आसपास बाइक खड़ी कर मौजूद रहते हैं। उनके इशारे पर ही उनके कर्मचारी हंगामे पर उतर जाते हैं। बाद में वे अपने लोगों को ले किसी बड़े नेता के पास गुहार लगाने पहुंच जाते हैं। गरीब ठेला वाले के नाम पर नेता की सहानुभूति हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं। पुलिस-प्रशासन पर दबाव पड़ता है और धंधा चालू रहता है।
अतिक्रमण के खिलाफ जारी रहेगा अभियान
पटना नगर निगम अतिक्रमण के विरुद्ध अभियान जारी रखेगा। पटना उच्च न्यायालय के निर्देश के आलोक में पटना शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाना है। बो¨रग कैनाल रोड में कई बार अतिक्रमण हटाया गया। एसएसपी को पत्र लिखकर सहयोग का अनुरोध करेंगे। बो¨रग कैनाल रोड को अतिक्रमणमुक्त बनाया जाएगा।
अभिषेक सिंह, नगर आयुक्त।