बिहार में दस फीसद महंगी हो सकती है बिजली, जानिए क्या होंगे रेट
बिहार में बिजली कंपनियों ने बिजली दरों में दस फीसदी वृद्धि का जो प्रस्ताव दिया है और अगर बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने मान लिया तो अप्रैल से उपभोक्ताओं को झटका लगना तय है।
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिजली वितरण कंपनियों ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दरों में समेकित रूप से 10 फीसद वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। वितरण कंपनियों के प्रस्ताव को अगर बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने मान लिया तो अप्रैल से उपभोक्ताओं को झटका लगना तय है।
हालांकि प्रस्ताव के मुताबिक छोटे उपभोक्ताओं को कुछ राहत भी दी गई है। शहरी क्षेत्र में प्रथम सौ यूनिट बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं की बिजली दरें कम करने का प्रस्ताव है। इसी तरह ग्र्रामीण क्षेत्रों में प्रथम 50 यूनिट तक बिजली खपत करने वालों को भी राहत मिल सकती है।
पिछले साल कंपनियों के प्रस्ताव पर आयोग ने बिजली दरों में 55 फीसद का इजाफा किया था, जिसे बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2952 करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर बढ़ी हुई दरों को 20 फीसद तक कर दिया था। माना जा रहा है कि इस वर्ष भी आयोग द्वारा नई दरें तय होने के बाद राज्य सरकार की ओर से उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी का एलान किया जाएगा।
बहरहाल, बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए आयोग से कुल 16 हजार 400 करोड़ रुपये खर्च करने की अनुमति मांगी है। नॉर्थ बिहार कंपनी ने अपनी विभिन्न योजनाओं के लिए 72 सौ करोड़ रुपये और साउथ बिहार ने 92 सौ करोड़ रुपये की अनुमति मांगी है।
बिजली कंपनियों ने आयोग को मंगलवार को प्रस्ताव दिया था। अब आयोग जल्द ही प्रमंडलवार जनसुनवाई की तारीख तय करेगा। माना जा रहा है कि दिसंबर के आखिरी हफ्ते से जनसुनवाई शुरू हो जाएगी। अलग-अलग हितधारकों के समूह के साथ नए टैरिफ प्रस्ताव पर विमर्श किया जाएगा।
इस क्रम में कारोबार व उद्योग जगत के संगठनों के साथ-साथ आम लोगों को भी आमंत्रित किया जाता है। जनसुनवाई के बाद मार्च के आखिरी हफ्ते में नई टैरिफ का ऐलान कर दिया जाएगा। विनियामक आयोग को मिले प्रस्ताव के मुताबिक पिछले वर्ष के मॉडल के आधार पर ही वितरण कंपनियों ने इस वर्ष भी टैरिफ का प्रस्ताव दिया है।
बिना सब्सिडी के प्रति यूनिट बिजली दर क्या होगी, प्रस्ताव में इसे तार्किक तरीके से बताया गया है। प्रस्ताव में बिजली खरीदने के खर्च का भी उल्लेख है।
कब कितनी बढ़ी दरें
2017-18 : 20 फीसद (सब्सिडी के बाद)
2016-17 : वृद्धि नहीं
2015-16 : 2.5 फीसद
2014-15 : वृद्धि नहीं
2013-14 : वृद्धि नहीं
2012-13 : 6.9 फीसद
2011-12 : 12.1 फीसद
2010-11 : 19 फीसद
2009-10 : पांच पैसा
अभी कितनी है दरें
शहरी घरेलू उपभोक्ता
यूनिट : दरें
शून्य से 100 यूनिट : 4.27 रुपये
101 से 200 यूनिट : 5.02 रुपये
201 से 300 यूनिट : 5.77 रुपये
300 यूनिट से ज्यादा : 6.52 रुपये
ग्रामीण घरेलू (मीटर वाले)
यूनिट : दरें
शून्य से 50 यूनिट : 265 रुपये
51 से 100 यूनिट : 2.90 रुपये
100 से ज्यादा : 3.15 रुपये
बिना मीटर : 267.50 रुपये फिक्स