चुनावकर्मियों ने ही नहीं किया कोरोना गाइडलाइन का पालन
खतरे को न्योता - 80 फीसद चुनावकर्मी पहनने की जगह घर ले गए फेसशील्ड - 50 फीसद चुनावकर्मियों को मास्क पहनने-उतारने का नहीं था सलीका - 5 फीसद मतदाता बिना मास्क पहने पहुंचे मतदान करने - 15 फीसद मतदाता मास्क मुंह के नीचे आपस में बातें करते दिखे --------------------- जागरण संवाददाता पटना
पटना । विधान सभा चुनाव कोरोना काल का पहला सबसे बड़ा लोकतंत्र का पर्व है। कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ चुनाव संपन्न कराने में निर्वाचन आयोग के साथ जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की भी अहम भूमिका है। हालांकि, गुरुवार को हुए विधान परिषद स्नातक-शिक्षक क्षेत्र के लिए हुए मतदान में चुनावकर्मियों ने कोविड गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा दीं। मॉडल बूथ पर भी ऐसा कोई अधिकारी नहीं था जो कोविड गाइडलाइन का अनुपालन सुनिश्चित कराए। नोटेड्रम और बांकीपुर गर्ल्स हाईस्कूल में एक भी मतदानकर्मी फेसशील्ड नहीं लगाए थे। कुछ लोग तो मास्क भी मुंह से नीचे किए थे। बताते चलें कि विधान परिषद चुनाव को विधान सभा के लिए ट्रायल बताया जा रहा था।
वर्दी में घुसाए थे फेसशील्ड :
निर्वाचन आयोग ने मतदान के दौरान लोगों के सीधे संपर्क में आने वाले सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को फेसशील्ड, मास्क, हैंड सैनिटाइजर व ग्लव्स की किट मुहैया कराई थी। इसमें से 80 फीसद से अधिक लोग फेस शील्ड को घर ले गए। कुछ जवान तो वर्दी में घुसाए दिखे जबकि मतदानकर्मी बैग में रखे थे।
कोरोना बचाव का नहीं दिया
गया चुनावकर्मियों को प्रशिक्षण :
मतदान करा रहे चुनावकर्मियों के मास्क नहीं पहनने या उसे मुंह से नीचे किए रहने की बात सिविल सर्जन के संज्ञान में लाई गई। वहीं, बताया गया कि चुनावकर्मियों का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया है कि मतदान के दौरान कोरोना बचाव के लिए कैसे क्या करना है? मास्क कैसे पहनना और उतारना है, दोबारा पहनना है कि नहीं, इस बारे में कोई निर्देश नहीं मिला है। वहीं, बूथ पर बिना मास्क बैठे सिपाहियों व कुछ चुनावकर्मियों को देखकर मतदाताओं ने इसका विरोध भी किया। हालांकि, करीब 5 फीसद मतदाता भी बिना मास्क पहने वोट डालने पहुंच गए थे। वहीं 15 प्रतिशत लोग मास्क नीचे कर आपस में बातें करते दिखे।
सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी सिंह ने बताया कि हर जागरूक व्यक्ति को पता है कि कोरोना से बचाव के लिए क्या सावधानियां अपेक्षित हैं। ऐसे में चुनावकर्मियों को इसकी जानकारी नहीं होने के बारे में क्या कहा जाए।