ईद तो मनी पर नहीं मिल सके गले
लॉकडाउन की ईद हमेशा के लिए यादगार बन गई
पटना। लॉकडाउन की ईद हमेशा के लिए यादगार बन गई। रविवार की शाम चांद देखने के बाद जो उत्साह का माहौल बना तो सोमवार को पूरे दिन ईद मुबारक का दौर चला। लोगों ने एक-दूसरे को बधाइयां दीं और खूब इबादत भी की। हालांकि, तरीका जरूर बदल गया। कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग में शामिल होकर लोगों ने गले मिलने से परहेज किया, वहीं शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए शहर की तमाम मस्जिदों और ईदगाहों में सन्नाटा रहा। तमाम अकीदतमंदों ने अपने घरों में ही ईद की नमाज अदा की और दुआएं कीं। पहली बार ऐसा हुआ कि गांधी मैदान में ईद की नमाज नहीं हुई। लोगों ने नमाज अदा करने के बाद फोन और सोशल मीडिया के जरिये अपने परिवार और दोस्तों को ईद की बधाई दी। लोगों ने नये कपड़े पहनकर लजीज व्यंजनों का आनंद उठाया।
सोशल मीडिया और मोबाइल ने कायम रखा जुड़ाव
शारीरिक दूरी के दौर में सोशल मीडिया और मोबाइल ने लोगों को सामाजिक तौर पर जुड़े रहने का विकल्प दिया। लोगों ने एक-दूसरे को सोशल मीडिया के जरिये ही एक-दूसरे को पर्व की बधाइयां दी।
बड़ों ने बच्चों को दी ईदी
सब्र और इबादत का महीना पूरा होने पर मुसलमानों ने सोमवार को पहली बार ईदगाहों और मस्जिदों की बजाय घरों में शारीरिक दूरी का लिहाज कर ईद की नमाज अदा की। सबने अल्लाह का शुक्रिया अदा किया। इस मौके पर बड़ों ने बच्चों को ईदी दी। लॉकडाउन के कारण इस बार ईद का उत्साह नहीं के बराबर नजर आया। घरों में कोरोना खत्म करने की दुआ मांगी गई।
सूने पड़े रहे ईदगाह और मस्जिदें
बरकत और रहमत वाला रमजान वही था जो हर साल आता है, लेकिन प्रकृति के निजाम ने रोजेदारों को अलग अंदाज में इबादत करने पर मजबूर किया। मस्जिदों की बजाय घरों में ही बरकत और रहमत उतरी। लॉकडाउन के कारण राजधानी के गांधी मैदान, स्टेशन की जामा मस्जिद, शाही ईदगाह गुलजारबाग, शनिचरा ईदगाह, फुलवारीशरीफ ईदगाह, दानापुर ईदगाह, खगौल ईदगाह के अलावा शहर के समस्त मस्जिदों में ईद की नमाज नहीं अदा की गई।
बाहर निकलने से बचे लोग :
अशोक राजपथ के किनारे रहने वाली खुदाबख्श लाइब्रेरी की निदेशक डॉ. शाइस्ता बेदार ने कहा कि लॉकडाउन के कारण घर से बाहर नहीं निकलीं। घर में ही अमन-चैन की दुआ करते हुए नमाज अदा कर सेवई और पकौड़े का आनंद उठाया। बीएन कॉलेज के पास रहने वाले उर्दू निदेशालय के निदेशक इम्तियाज अहमद ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार के साथ गांव में ईद मनाई। रंगकर्मी तनवीर अख्तर ने कहा कि घर में ही सारी रस्में अदा कीं।
जिसने दूसरों को खुश कर दिया, उसी की है ईद
मीतन घाट स्थित हजरत कुतुबुल आलम मखदूम शाह मोहम्मद मुअनम पाक खानकाह के सज्जादानशीं सैय्यद शाह शमीमुद्दीन अहमद मुनअमी ने बताया कि जिसने दूसरों को आज खुश कर दिया उसी की आज ईद है। खानकाह इमादिया मंगल तालाब के सज्जादानशीं सैयद शाह मिस्बाहुल हक अमादी ने बताया कि किसी का दुख अपना दुख, किसी की खुशी अपनी खुशी लगने का पर्व ईद है।