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शिक्षा ही व्यक्ति के बदलाव का सबसे सशक्त माध्यम : बिशप

शिक्षा ही व्यक्ति के बदलाव का सबसे सशक्त माध्यम है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 11:26 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 11:26 PM (IST)
शिक्षा ही व्यक्ति के बदलाव का सबसे सशक्त माध्यम : बिशप
शिक्षा ही व्यक्ति के बदलाव का सबसे सशक्त माध्यम : बिशप

पटना। शिक्षा ही व्यक्ति के बदलाव का सबसे सशक्त माध्यम है। शिक्षा का जैसे-जैसे विकास होगा, समाज उसी तरह से उन्नति एवं प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा। शिक्षा के प्रचार-प्रसार को लिए ईसाई समाज निरंतर प्रयासरत है। पटना में 1853 में प्रथम बिशप हाटमन ने शिक्षा की दीप जलाई थी, वह ज्योति निरंतर प्रकाश फैला रही है। ये बातें सोमवार को लोयाला हाईस्कूल के गोल्डेन जुबली समारोह में पटना महाधर्म प्रांत के महाधर्माध्यक्ष बिशप विलियम डिसूजा ने कहीं। इस अवसर पर भव्य सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में विश्व के कई देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें 60 से अधिक ब्रदर थे। समारोह के मुख्य अतिथि और मॉटफोर्ट ब्रदर्स ऑफ गैबरियल सुपिरियर जनरल ब्रदर जॉन कल्लारेकल ने कहा कि समाज के पिछड़े एवं गरीब तबके की सेवा करना ही सोसायटी का मुख्य दायित्व है। उस दिशा में सोसायटी निरंतर काम कर रही है।

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गोल्डेन जुबली गीत पर खूब झूमे बच्चे व अभिभावक

सांस्कृतिक समारोह में गोल्डेन जुबली गीत पर स्कूल के बच्चे एवं अभिभावक जमकर झूमे। समारोह के लिए विशेष रूप से गीत तैयार किया गया था। इस गीत पर बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसका अभिभावकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से प्रोत्साहित किया। गीत का बोल था लोयाला हाईस्कूल हुआ 50 साल का। समारोह में बच्चों ने वंदना नृत्य, अलादीन नाटक, अंधकार से प्रकाश की ओर, सिंफनी ऑफ फ्रीडम सहित कई कार्यक्रम प्रस्तुत कर अभिभावकों एवं अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

संत मांटफोर्ट की प्रतिमा का अनावरण

समारोह शुरू होने से पहले स्कूल परिसर में संत मांटफोर्ट की प्रतिमा का अनावरण किया गया। प्रतिमा का अनावरण बिशप विलियम डिसूजा ने किया। मौके पर देश-विदेश से आए ब्रदर भी शामिल हुए। इस समारोह में राजधानी के अधिकांश स्कूलों के प्राचार्य व शिक्षक भी शामिल हुए।

प्रेम व दया से ही जीत सकते दुनिया को

रोम से आए समारोह के विशिष्ठ अतिथि और स्कूल के पूर्व प्राचार्य ब्रदर टीके जेम्स ने कहा कि बच्चों को प्रेम व दया का पाठ पढ़ाने की जरूरत है। प्यार व दया से ही दुनिया को जीता जा सकता है। विकास के दौड़ में शामिल दुनिया को आज प्रेम व दया की ज्यादा जरूरत है। विकासशील होने के साथ-साथ दयावान भी होना बहुत जरूरी है। समारोह में आए अतिथियों का स्वागत स्कूल के प्राचार्य ब्रदर सुधाकर ने किया। इस अवसर पर लोयाला मांटफोर्ट मांटेसरी होम के प्राचार्य ब्रदर माइक सहित स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया।


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