Education in Bihar: हर जिले के आसपास खुलेगा बड़ा शैक्षिक संस्थान, सभी विषयों की होगी पढ़ाई
Education in Bihar हर जिले के आसपास होगा उच्च शिक्षण संस्थान नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा से जोड़ने की पहल शिक्षा विभाग ने नई शिक्षा नीति के आलोक में प्रस्ताव तैयार करने में जुटा
पटना, जेएनएन। आने वाले वर्षों में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए घर छोड़कर दूर जाने की शायद जरूरत नहीं होगी। नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के बीच की इस दूरी को पाटने की बड़ी पहल की गई है। इसके तहत अगले दस सालों तक प्रत्येक जिले या आसपास ही एक ऐसा बड़ा बहु-विषयक संस्थान विकसित या स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें सभी विषयों की पढ़ाई हो सके। यह संस्थान सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्र के हो सकते है।
नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए सरकार बढ़ा रही कदम
केंद्र सरकार से नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर दिए गए निर्देश के आलोक में शिक्षा विभाग ने अमल करना शुरू कर दिया है। नये वित्तीय वर्ष के बजट में हर जिले में उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना को लेकर प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है। विभाग के विशेष सचिव एससी झा के मुताबिक उच्च शिक्षा के बीच इस दूरी को पाटे बगैर उच्च शिक्षा के संकल नामांकन दर के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा। फिलहाल नीति में 2035 तक उच्च शिक्षा के सकल नामांकन दर को 50 फीसद तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। मौजूदा समय में उच्च शिक्षा का यह संकल नामांकन दर करीब 26 फीसद है।
नजदीक में व्यवस्था नहीं होने के कारण उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती है बड़ी आबादी
माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में छात्र इसलिए ही उच्च शिक्षा की ओर कदम नहीं बढ़ाते है, क्योंकि वह उनकी पहुंच से काफी दूर होते है। नीति में इसी दूरी को कम करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके साथ ही छात्रों का उच्च शिक्षा की ओर कदम न बढ़ाने का दूसरा जो बड़ा कारण माना जाता है, वह उनकी रुचि के विषयों का नजदीक के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई का न होना है। यही वजह है कि नीति में जो नए उच्च शिक्षण संस्थान विकसित या स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है, वह सभी बहुविषयक होंगे। यानी उनमें विज्ञान, कला, संगीत और तकनीक सभी की पढ़ाई होगी। इसके साथ ही नीति में इस संस्थानों की गुणवत्ता को भी मजबूत बनाने पर जोर दिया गया है। साथ ही इन संस्थानों में जो पढ़ाई होगी, वह दो भाषाओं में दी जाएगी। इनमें एक भारतीय भाषा होगी।