आंखों से आसानी से हटवाएं चश्मा, आइजीआइएमएस में शुरू हुआ इलाज; जानें कितनी उम्र वालों को होगा फायदा
आइजीआइएमएस के क्षेत्रीय चक्षु संस्थान में लेसिक सर्जरी आरंभ हो गई है। एक साथ तीन मरीजों की लेसिक सर्जरी कर सफलतापूर्वक रोशनी वापस की गई। जानें कितने पैसे खर्च कर पटना के आइजीआइएमएस में यह आपरेशन कराया जा सकता है।
नलिनी रंजन, पटना : अब कमजोर आंखों से चश्मा आसानी से कम खर्च में उतरवाया जा सकता है। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) के क्षेत्रीय चक्षु संस्थान में लेसिक सर्जरी आरंभ हो गई है। पहली बार शनिवार को एक साथ तीन मरीजों की सफलतापूर्वक लेसिक सर्जरी की गई। तीनों मरीजों का एक साथ दोनों आंखों का आपरेशन किया गया। सर्जरी की शुरुआत होने के कारण मरीजों की सर्जरी मुफ्त में की गई। आपरेशन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के आरपी सेंटर कार्नियल विशेषज्ञ प्रो. राजेश सिन्हा के निर्देशन में आइजीआइएमएस के कार्निया यूनिट के हेड सह आइ बैंक के इंचार्ज प्रो. नीलेश मोहन ने किया।
इस दौरान डा. राखी कुसुमेश, धीरज कुमार, रंजय कुमार सहित कार्निया व ओटी टीम के सभी सदस्यों ने सहयोग किया। डा. नीलेश ने बताया कि पटना के रहने वाले रितेश राज, स्वर्णिमा और सुमन पांडेय की सफलता पूर्वक लेसिक सर्जरी की गई। तीनों के चश्मा का पावर माइनस पांच से लेकर सात के बीच में था। अब आपरेशन के बाद सभी का चश्मा हट गया। नार्मल रूप से आंखों का विजन छह बाइ छह हो गया है। सफलतापूर्वक आपरेशन होने पर संस्थान के निदेशक सह चीफ आरआइओ प्रो. विभूति प्रसन्न सिन्हा, चिकित्सा अधीक्षक डा. मनीष मंडल ने पूरी टीम को बधाई दी है।
सरकारी क्षेत्र के अस्पतालों में पहली बार सुविधा
आइजीआइएमएस के निदेशक सह क्षेत्रीय चक्षु संस्थान के प्रमुख डा. विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि बिहार में सरकारी क्षेत्र के अस्पतालों में यह पहली सुविधा है। अब मरीजों को इस सर्जरी के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। बाहर में इस आपरेशन पर लगभग 40-50 हजार रुपये से अधिक खर्च होते हैं। अब यह सर्जरी आइजीआइएमएस में महज 19 हजार रुपये में हो सकेगी। डा. विभूति ने बताया कि कार्नियल टोमोग्रामी के माध्यम से कार्निया की मैपिंग की जाती है। यह तय किया जाता है कि लेसिक सर्जरी की जा सकती है या नहीं। हरी झंडी मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। इस आपरेशन के लिए हाल में ही संस्थान की ओर से लगभग तीन करोड़ की लागत से विश्वस्तरीय नई मशीन मंगवाई गई है।
कौन-कौन करा सकते हैं यह सर्जरी
प्रो. नीलेश ने बताया कि एक बार चश्मा का नंबर स्थिर होने पर 20 से लगभग 35 आयु वर्ग के मरीज इस आपरेशन को करा सकते हैं। एक बार लेसिक सर्जरी होने के बार मरीज की उम्र 40 होने तक चश्मे की जरूरत नहीं होती है। 40 वर्ष के बाद अगर जरूरत हो तो नजदीक के चश्मा या मोतियाबिंद होने पर उसका उपचार संभव है।