सूबे के 24 प्रमुख डाकघरों से बनेगा पासपोर्ट
सूबे के अधिक से अधिक लोगों को पासपोर्ट बन सके इसके लिए सभी बड़े डाकघरों से पासपोर्ट बनाने की सुविधा दी गई है।
पटना । सूबे के अधिक से अधिक लोगों को पासपोर्ट बन सके इसके लिए सभी बड़े डाकघरों से पासपोर्ट बनवाने की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। प्रथम चरण में सूबे के पांच प्रमुख डाकघरों में पासपोर्ट केंद्र खोलकर देखा गया कि इससे ग्रामीण क्षेत्र के कितने लोगों को सहूलियत मिलने लगेगी। डाकघरों में पासपोर्ट बनवाने की भीड़ लगने लगी तो अब 19 अन्य शहरों के प्रमुख डाकघरों में पासपोर्ट केन्द्र खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अगले दो-तीन महीने में सारे केन्द्रों से पासपोर्ट बनाने की प्रक्रिया चालू हो जाने की उम्मीद है। देशभर में ऐसे 251 डाकघरों में पासपोर्ट केन्द्र बनाने की योजना है।
कितने डाकघरों से बन रहा है पासपोर्ट :
प्रथम चरण में डाक विभाग व पासपोर्ट कार्यालय ने सूबे के भागलपुर, पूर्णिया, बेतिया, मुजफ्फरपुर एवं सिवान के जिला मुख्यालय के डाकघरों में पासपोर्ट केन्द्र बनाए हैं। इन जिलों के डाकघरों से पासपोर्ट बनाने का काम भी शुरू हो गया है। काफी अच्छे परिणाम मिलने से डाक विभाग भी काफी उत्साहित है।
: शीघ्र ही 19 नए शहरों के डाकघरों से बनने लगेगा पासपोर्ट :
सूबे के पांच प्रमुख शहरों से बेहतर परिणाम मिलने के बाद डाक विभाग एवं पासपोर्ट कार्यालय ने अब काफी जोर-शोर से गोपालगंज, नवादा, बेगूसराय, समस्तीपुर, मुंगेर, सुपौल, गया, बक्सर, आरा, बांका, सासाराम, औरंगाबाद, छपरा समेत 19 प्रमुख शहरों के मुख्य डाकघरों में पासपोर्ट केन्द्र खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। गोपालगंज, बेगूसराय, गया एवं नवादा में तो इस महीने के अंत तक पासपोर्ट केन्द्र बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद भी है।
कॉरपोरेट स्टाइल में बिहार के तमाम वैसे डाकघरों के भवनों को विकसित किया जाएगा जहां पासपोर्ट केन्द्र खुलने हैं। नीचे में आवेदकों एवं उनके साथ आने वाले लोगों के बैठने की बेहतर व्यवस्था होगी। जिला मुख्यालयों में कई ऐसे डाकघर हैं जिनके भवन जर्जर हो चुके हैं। उन भवनों को नए सिरे से इसी के अनुरूप बनाया जाएगा।
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डाक विभाग एक ही छत के नीचे नागरिकों को अधिक से अधिक उत्पाद उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहा है। कई नागरिक सुविधाएं डाकघरों से उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसी क्रम में सूबे के 24 प्रमुख डाकघरों में पासपोर्ट केंद्र खोलने का निर्णय लिया गया है। पांच शहरों में शुरू भी हो चुका है। मकसद है कि कोई भी नागरिक डाकघर में एक काम के लिए पहुंचे तो अन्य उत्पाद भी खरीदने को बाध्य हो जाए।
- अनिल कुमार, पोस्टमास्टर जनरल, पूर्वी क्षेत्र, पटना