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औषधि विभाग की छापेमारी से हड़कंप, 4 करोड़ 58 लाख की दवा जब्त

राजधानी पटना सहित राज्य के 28 जिलों में नकली दवाओं पर रोक और कैंसर की दवाओं के दाम पर नियंत्रण के लिए औषधि नियंत्रण विभाग की छापेमारी से दवा कंपनियों में खलबली मची है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2015 10:09 AM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2015 10:49 AM (IST)
औषधि विभाग की छापेमारी से हड़कंप, 4 करोड़ 58 लाख की दवा जब्त

पटना। राजधानी पटना सहित राज्य के 28 जिलों में नकली दवाओं पर रोक और कैंसर की दवाओं के दाम पर नियंत्रण के लिए औषधि नियंत्रण विभाग की छापेमारी से दवा कारोबार करने वालों में खलबली है।

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पटना में अब तक 46 संस्थाओं में छापेमारी कर 4 करोड़ 58 करोड़ रुपये की दवाएं जब्त की गई हैं। इनमें 1,452 अलग-अलग ट्रेड की दवाएं शामिल हैं। 301 दवाओं को बिक्री के लिए प्रतिबंधित किया गया है। इनमें से 191 दवाओं के सैंपल जांच के लिए राजधानी और कोलकाता के लेबोरेट्री में भेजे गए हैं। पटना में नकली दवाएं दिल्ली, मेरठ और आगरा से आती थीं।

बुधवार को भी औषधि नियंत्रण विभाग द्वारा पटना के जीएम रोड स्थित संदीप इंटरप्राइजेज, राजाबाजार स्थित ऑन्कोमेड मार्केटिंग और पाटलिपुत्रा स्थित रुबन हॉस्पिटल की दवा दुकान में छापेमारी की गई। ड्रग इंस्पेक्टर विकास शिरोमणि ने बताया कि संदीप इंटरप्राइजेज में मंगलवार को ही छापेमारी की गई थी।

24 घंटे के अंदर कुछ जरूरी दस्तावेज मांगे गए थे। उपलब्ध नहीं करा पाने के कारण पुणे के गेटवेल ऑनकोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की 7 एंटी कैंसर दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। इन कंपनियों की दवाएं ऊंचे दाम पर बाजार में बेची जा रही थीं।

4313 की दवा बिक रही थी 19800 में : 4,313 रुपये की दवा 19,800 रुपये में बेची जा रही थी। कंपनी की फोस्फा 1 एमजी, डेक्सम 4 एमजी और 8 एमजी की टैबलेट, आइडॉक्स 50 और 20 एमजी और पैस्लीवेल 30 एमजी और 260 एमजी की दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। कंपनी के 34 और उत्पादों के बारे में जानकारी मांगी गई है जिसे उपलब्ध नहीं करा पाने की स्थिति में बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

बुधवार की सुबह राजाबाजार में आइजीआइएमएस के सामने स्थित ऑन्कोमेड मार्केटिंग में छापेमारी कर पूणे की कंपनी आयोन हेल्थकेयर की छह दवाओं पर रोक लगा दी गई है। रुबन हॉस्पिटल की दवा दुकान में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री किए जाने की शिकायत मिली थी।

ड्रग इंस्पेक्टर अशोक कुमार यादव ने बताया कि वहां से प्रतिबंधित दवाएं बायोडिटरी और के-7 मिली हैं। के-7 का प्रयोग हड्डियों को जोडऩे के लिए किया जाता है। इसके अलावा छह दवाएं ऊंचे दाम पर बेची जा रही थीं। कई दवाओं की खरीद के कागज नहीं दिखाए जा सके।

301 दवाएं बिक्री के लिए प्रतिबंधित : औषधि नियंत्रक रमेश कुमार का कहना है कि : विभाग द्वारा 25 नवंबर से कैंसर की दवाओं पर नियंत्रण के लिए छापेमारी अभियान शुरू किया गया था। प्रधान सचिव के निर्देश पर नकली दवाओं पर रोक लगाने के लिए राज्य के 28 जिलों में छापेमारी जारी है।

इन जिलों में मोतिहारी, बेतिया, कैमूर, रोहतास, छपरा, सीवान, गोपालगंज, दरभंगा, मघेपुरा, सुपौल, गया और मुजफ्फरपुर शामिल हैं। छापेमारी उत्पादन यूनिट, सीएनएफ, कंपनी डिपो, थोक और खुदरा विक्रेता हर जगह की जा रही है। छापेमारी के दौरान सैंपल लिए गए हैं, जिनमें से नॉन बायोलॉजिकल दवाओं की जांच राजधानी स्थित लेबोरेटरी में कराई जा रही है और बाकी की दवाएं कोलकाता भेजी गई हैं।

छापेमारी के दौरान 301 दवाओं को बिक्री के लिए प्रतिबंधित किया गया है। हम लोग कैंसर की दवाओं के दाम पर नियंत्रण और नकली दवाओं पर रोक लगाने को पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।


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