प्रेमचंद रंगशाला में दिखा 'जोरू का गुलाम'
प्रेमचंद रंगशाला में शनिवार की शाम लोक पंच की ओर से नाटक जोरू का गुलाम का मंचन
पटना। प्रेमचंद रंगशाला में शनिवार की शाम लोक पंच की ओर से नाटक 'जोरू का गुलाम' का मंचन किया गया। कलाकारों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति से दर्शकों को बांधे रखा। मंच सज्जा और प्रकाश व्यवस्था भी बेहतर रही। नाटक में दिखाया गया कि अनगिनत लोग अपने हसीन ख्वाब लिए रोजी-रोजगार, तालीम और बेहतरीन कल की खातिर गाव से पलायन कर शहर में आ बसते हैं। लेकिन शहर की संस्कृति और मिजाज, गाव की संस्कृति और मिजाज से बिल्कुल अलहदा होती है। यहा तक कि शहर की आबोहवा इंसान की फितरत तक बदल डालती है। खासकर अजीबोगरीब हालात तो तब पैदा होते हैं, जब ऐसे लोग ना पूरी तरह गाव के रह पाते हैं और ना ही शहर के।
ये थी कहानी : नाटक में तीन प्रमुख पात्र हैं- मिया, बीवी और साला। मिया परेशान है अपनी दबंग बीवी और अपने साले से, जो हमेशा आग में घी का काम करता है। दोनों ने मिलकर बेचारे का चैन-सुकून छीन रखा है। घर का सारा काम-काज उसी को करना पड़ता है। लेकिन बेचारे की बीवी की धौंस के आगे एक नहीं चलती। आखिरकार एक दिन सपने में ही सही उसे एक ऐसी चमत्कारी किताब मिलती है, जिसमें उसे न सिर्फ ऐसी पत्नी के जुल्मों से छुटकारा पाने की तरकीब मिलती है बल्कि ऐसी पत्िनयों को वश में रखने का मंत्र भी मिल जाता है। हालात अब बिल्कुल उल्टे पड़ जाते हैं। पति को रौबदार अवतार में पाकर उसकी पत्नी और भाई हैरत में पड़ जाते हैं। लेकिन सपने तो आखिर सपने ही होते हैं, चाहे कितना भी सुंदर क्यों ना हो, उसके टूटते ही उसकी सारी खुशी काफूर हो जाती है।
इन्होंने किया अभिनय : जीजा की भूमिका में प्रवीण सप्पू, पत्नी की भूमिका में बबली कुमारी और साला की भूमिका में दीपक आनंद रहे। मंच संरचना उदय सागर, संगीत संचालन अमन आयुष्मान, प्रेक्षागृह प्रभारी जितेंद्र राज, कॉस्टयूम अमन व अतुल राज, प्रस्तुति नियंत्रक राम प्रवेश, लेखक अभिषेक चौहान और प्रकाश परिकल्पना एवं निर्देशन रवि भूषण बबलू का रहा।