भ्रष्ट शिक्षा प्रणाली पर चोट करता है मास्टर गनेसी राम
कई सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की चौपट व्यवस्था के पीछे वहां के कई भ्रष्ट शिक्षक ही होते हैं
पटना। कई सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की चौपट व्यवस्था के पीछे वहां के कई भ्रष्ट शिक्षकों से लेकर उस सरकारी विद्यालय की कार्यप्रणाली में लगे कई लोग शामिल होते हैं। जब कोई ईमानदार शिक्षक इस भ्रष्ट शिक्षा प्रणाली के खिलाफ आवाज बुलंद करता है तो उस शिक्षक के खिलाफ वहां के भ्रष्ट शिक्षक साजिश रचकर उसे स्कूल से निकालने की कोशिश में लग जाते हैं। उस शिक्षक का चरित्र हनन किया जाता है। कुछ ऐसे ही दृश्य शुक्रवार की शाम कालिदास रंगालय के मंच पर देखने को मिले। मौका था दिल्ली की नाट्य संस्था रंगश्री द्वारा आयोजित छठे भोजपुरी नाट्योत्सव के दूसरे चरण में डॉ. नरेंद्र रस्तोगी मशरक कृत हास्य व्यंग्य नाटक 'मास्टर गनेसी राम' के मंचन का। नाटक का निर्देशन महेंद्र प्रसाद सिंह ने किया। नाटक सरकारी विद्यालयों की कार्यप्रणाली पर जबरदस्त चोट करता है। यूनियनबाजी करने वाले शिक्षकों पर भी नाटक का एक संवाद है, 'सरकार रउआ सभे के हर साल वेतन बढ़ावत जात बिया आ रउआ सभे के एगो काम कहला प यूनियन देखावे लागत बानी' आज भी प्रासंगिक है। यह नाटक शिक्षकों और शिक्षा विभाग से जुड़े सभी लोगों के लिए आत्म विश्लेषण के लिए प्रेरित करता है। इन्होंने किया अभिनय : मास्टर गनेसी राम की भूमिका में महेंद्र प्रसाद सिंह, ईमानदार शिक्षिका मिस लाली की भूमिका में मीना राय, पुरुष शिक्षकों की भूमिका में अखिलेश कुमार पाडेय और लवकान्त सिंह, डिप्टी साहेब की भूमिका में आर जी श्याम, चपरासी और हेडमास्टर की पत्नी की भूमिका में क्रमश: रुस्तम कुमार और कुमारी कृति कुमारी, बच्चा- पीयूष ।
पार्श्व ध्वनि सौमित्र वर्मा का और प्रकाश व्यवस्था शुभम तिवारी ने की। सुचित्रा सिंह -रूप सज्जा औऱ दीपक कुमार -मंच व्यवस्था । मंच सज्जा- सुनील शर्मा ने की।