डॉक्टरों की हड़ताल से एनएमसीएच में दो दर्जन ऑपेरशन टले
बेहद आश्चर्यजनक है कि बिहार का दूसरा बड़ा नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल पीजी कर रहे विद्यार्थी यानी जूनियर डॉक्टरों का मोहताज बना है। डेंगू पीड़ित एक बच्चा मरीज की मृत्यु के बाद लोगों द्वारा डॉक्टरों के साथ की गयी मारपीट से आक्रोशित जूनियर डॉक्टर सोमवार को तीसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। इनके हड़ताल पर चले जाने से अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई। एक तरह से ठप ही हो गयी।
पटना सिटी। बेहद आश्चर्यजनक है कि बिहार का दूसरा बड़ा नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल पीजी कर रहे विद्यार्थी यानी जूनियर डॉक्टरों का मोहताज बना है। डेंगू पीड़ित एक बच्चे की मौत के बाद लोगों द्वारा डॉक्टरों के साथ की गयी मारपीट से आक्रोशित जूनियर डॉक्टर सोमवार को तीसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। इनके हड़ताल पर चले जाने से अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई।
यहां दो सौ से अधिक डॉक्टरों के कार्यरत रहने के बावजूद पीजी छात्रों की हड़ताल पूरी तरह से सफल रही। हड़ताली पीजी छात्रों से भयभीत कार्यरत डॉक्टरों ने खुद को कार्य से अलग रखा। दूर-दराज से आए मरीजों का इलाज नहीं हुआ। हड़ताली डॉक्टरों ने इमरजेंसी को बंद कर दिया। मरीज की जान बचाने की गुहार परिजन लगाते रहे। इमरजेंसी स्थित डॉक्टरों का कक्ष पूरे दिन खाली रहा। इमरजेंसी रजिस्ट्रार का कमरा भी खाली था। ओपीडी की सेवा ठप रही। करीब दो दर्जन ऑपरेशन नहीं हुए। हालांकि ओटी इंचाज डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि गायनी में एक, आर्थो में तीन ऑपरेशन हुआ है। अन्य कोई ऑपरेशन नहीं हुआ।
शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी का सभी बेड खाली था। गरीब मरीज और बेबस परिजन परेशान होते रहे। इन सब के बीच दर्जनभर ऐसे भी डॉक्टर मिले जो इमरजेंसी और अलग-अलग विभाग के वार्ड में भर्ती अपनी यूनिट के मरीज को देख रहे थे।
हद तब पार हो गई जब अस्पताल की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा गार्ड इमरजेंसी आने वाले मरीजों और परिजनों को भगाते रहे। टेंपो व दूसरे वाहनों पर मरीज लेकर आने वालों को सुरक्षा गार्ड ने अपनी हनक दिखाते हुए दूर से ही चिल्ला कर कहा कि भागो, मरीज ले जाओ, यहां हड़ताल है। सेंट्रल रजिस्ट्रेशन काउंटर पर मरीजों की भीड़ उमड़ी। सोमवार को ढाई हजार से अधिक मरीजों का रजिस्ट्रेशन होने के बदल केवल 819 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ। यह मरीज जब ओपीडी पहुंचे तो इनमें से करीब दो सौ मरीजों को डॉक्टरों ने देखा। इसी बीच जूनियर डॉक्टरों के दल ने आकर ओपीडी बंद करा दिया। मौजूद सीनियर डॉक्टर अपनी इज्जत बचाते हुए चेंबर से निकल गए। मरीज व परिजन घंटों इंतजार कर रहे। दोपहर से शाम और रात तक अस्पताल में फिर डॉक्टर नजर नहीं आए।