जन्म के साथ ही नवजात की कराएं थायराइड जांच
जरूरत होने पर विशेषज्ञ डाक्टरों से दवाएं लेकर टीएचएस स्तर को सामान्य रखें और हर चार से आठ सप्ताह में जांच करवा कर इसे देखते रहें। इसके अलावा जन्म के साथ ही नवजात की भी थायराइड जांच करानी चाहिए क्योंकि कई बच्चों को जन्मजात हाइपोथायराडिज्म या इक्टोपिक थायराइड की समस्या होती है। इसमें थायराइड ग्रंथि का विकास नहीं होने से शारीरिक व मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।
पटना। गर्भावस्था में थायराइड ग्रंथि से बनने वाले हार्मोन के स्तर में कई बदलाव होते हैं। देश में करीब 44.3 प्रतिशत गर्भवती को पहले तीन माह में हाइपोथायराइड की समस्या होती है। पहले तीन माह भ्रूण के विकास के लिए हार्मोंस मां से ही मिलते हैं। इन्हीं हार्मोन से शिशु के ब्रेन व तंत्रिका तंत्र का विकास होता है। ऐसे में गर्भ की पुष्टि होते ही थायराइड की जांच करानी चाहिए। जरूरत होने पर विशेषज्ञ डाक्टरों से दवाएं लेकर टीएचएस स्तर को सामान्य रखें और हर चार से आठ सप्ताह में जांच करवा कर इसे देखते रहें। इसके अलावा जन्म के साथ ही नवजात की भी थायराइड जांच करानी चाहिए क्योंकि कई बच्चों को जन्मजात हाइपोथायराडिज्म या इक्टोपिक थायराइड की समस्या होती है। इसमें थायराइड ग्रंथि का विकास नहीं होने से शारीरिक व मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।
ये बातें बुधवार को विश्व थायराइड दिवस के उपलक्ष्य में एम्स पटना में थायराइड डिस्आर्डर व कैंसर विषय पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई ) कार्यक्रम न्यूक्लियर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. पंकज कुमार ने कहीं। उन्होंने थायराइड सर्जरी के बाद रेडियो आयोडीन की उपयोगिता पर भी चर्चा की। इसके पूर्व मुख्य वक्ता एसजीपीजीआइएमएस लखनऊ में डिपार्टमेंट आफ न्यूक्लियर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष प्रो. डा. संजय गंभीर, एम्स पटना के डीन प्रो. डा. उमेश भदानी, डा. संजीव कुमार, चिकित्साधीक्षक डा. सीएम सिंह, डा. प्रितांजलि सिंह, डा. प्रेम कुमार आदि ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में एम्स पटना के अलावा आइजीआइएमएस व पीएमसीएच के डाक्टर व छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए।
डा. संजय गंभीर ने थायराइड ग्रंथि के विकार की जांच में नाभिकीय चिकित्सा के योगदान पर प्रकाश डाला। डीन प्रो. डा. उमेश भदानी ने हार्ट सर्जरी के पहले प्रि-एनेस्थेटिक जांच में थायराइड के पूर्ण परीक्षण की जरूरत पर प्रकाश डाला। डा. माला , डा. भारतेंदु , डा. हिमाली सिन्हा, डा. प्रिताजंलि, डा. देव्येंदु, डा. श्रीकांत, डा. चंदना झा, डा. अमित राज, डा. क्रांति भावना, डा. प्रदीप, डा. शाहीन, डा. अमित सिन्हा, डा. जगजीत पांडेय ने मल्टीडिसीप्लिनरी अप्रोच से थायराइड इलाज पर प्रकाश डाला।
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थायराइड के इंडोक्राइन
आस्पेक्ट पर डाला प्रकाश
आइजीआइएमएस के डा. आनंद कुमार ने थायराइड के इंडोक्राइन आस्पेक्ट के बारे में बताया। वक्ताओं ने बताया कि एम्स पटना में नियमित रूप से नाभिकीय चिकित्सा विभागाध्यक्ष डा. पंकज कुमार द्वारा थायरायड क्लीनिक संचालित किया जाता है। यहां मरीजों को उचित परामर्श दिया जाता है। जल्द ही संस्थान में रेडियो आयोडीन की चिकित्सा उपलब्ध हो जाएगी। मौके पर प्रो. डा. सीएम सिंह, प्रो. डा. अनूप कुमार, डा. मोहन कुमार, डा. संजीव कुमार, आरएसओ अरविद गुप्ता, विकास कुमार, पवन भास्कर, बिजेंद्र आदि मौजूद थे।