बच्चों में पेट के बढ़ते आकार को नहीं करें नजरअंदाज
बच्चों में पेट के बढ़ते आकार को नहीं करें नजरअंदाज
पटना (फुलवारीशरीफ)। एम्स पटना के रेडियोलॉजी विभाग द्वारा एक दिवसीय रेडियोलॉजिस्टों के सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें रेडियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार में यह पहला सम्मेलन है जिसमें सिर्फ बच्चों की बीमारियों की पहचान के तरीके को समझाने के लिए देशभर के रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ एम्स पटना पहुंचे है। वयस्क और बच्चों की बीमारियों में काफी अंतर होता है। साथ ही सीटी स्कैन जैसी जाच से उससे निकलने वाले रेडिएशन से बच्चों पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। सम्मेलन का उद्घाटन आइजीआइएमएस के निदेशक डॉ. एसआर विश्वास ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
इस मौके पर पेडियाट्रिक रेडियोलॉजी में आई कई अत्याधुनिक तकनीक पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने बताया कि बीमारियों की जाच के लिए सीटी स्कैन की जगह अल्ट्रासाउंड व एमआरआइ का इस्तेमाल करना चाहिए। अल्ट्रासाउंड व एमआरआइ से रेडिएशन नहीं निकलता है। एनएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. प्रणव कुमार संथालिया ने कहा कि बच्चों में किडनी ट्यूमर, विल्स ट्यूमर व न्यूरो ब्लास्टोमा जैसी गंभीर बीमारी में कई लक्षण पाए जाते हैं। खासकर यह बीमारी एक से छह वर्ष के बच्चों में ज्यादा देखी जाती है। इसमें पेशाब से खून आना, बच्चों के पेट का आकार बढ़ना है। इस तरह के लक्षण आने पर अल्ट्रासाउंड व एमआरआइ जरूर करवाना चाहिए। एमआर यूरोग्राफी के माध्यम से इस तरह की बीमारियों का इलाज आसानी के साथ किया जा सकता है। मौके पर आइएसपीआर के निदेशक डॉ. कोहली, सेक्रेटरी डॉ. कुशलजीत सोढ़ी, दिल्ली एम्स की डॉ. देना, डॉ. मनीषा जाना, एम्स जोधपुर के डॉ. सर्वेश तिवारी, पीजीआइ चंडीगढ़ से डॉ. सोढ़ी, डॉ. अनमोल, कोलकाता से डॉ. विजोन कुंड, डॉ. दीपेन्द्र दास, लखनऊ से डॉ. नीरा कोहली, डॉ. अमित परिहार, पटना के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. चंदन, डॉ. प्रवीण, डॉ. अमर के साथ 200 पीजी छात्रों ने हिस्सा लिया।