CBI के विवाद का जानिए बिहार कनेक्शन, छह साल से निदेशक हैं ये बिहारी IPS
सीबीआइ में विवाद अक्सर चलता रहता है और इसमें आइपीएस अॉफिसर्स की अहम भूमिका होती है। पिछले छह वर्षों से सीबीआइ निदेशक का शीर्ष पद बिहारी आइपीएस अधिकारियों के पास ही रहा है।
By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 04:55 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 08:17 AM (IST)
पटना [राज्य ब्यूरो]। वैसे तो देश की प्रीमियर जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) अक्सर चर्चा में रही है। लेकिन पिछले छह वर्षों से यह प्रीमियर जांच एजेंसी जिन वजहों से चर्चा और विवादों के केंद्र में रही है, उसमें बिहारी आइपीएस अधिकारियों की बड़ी भूमिका रही है।
शायद यह बिहार के लिए पहला अवसर था कि पिछले छह वर्षों से सीबीआइ निदेशक का शीर्ष पद बिहारी आइपीएस अधिकारियों के पास रहा है। बीच में 57 दिनों के लिए राकेश अस्थाना के कार्यकारी निदेशक का कार्यकाल छोड़ दिया जाए तो 3 दिसंबर, 2012 से यह पद बिहारी आइपीएस अधिकारियों के पास ही रहा है।
मौजूदा सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा भले ही अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम व केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के आइपीएस अधिकारी हैं। आलोक वर्मा की गिनती एक कड़क आइपीएस अधिकारी के रूप में होती है। आलोक वर्मा मूल रूप से बिहार के शिवहर जिले के रहने वाले हैं।
आलोक वर्मा महज 22 साल की उम्र में ही आइपीएस की सेवा में आए थे। सीबीआइ का निदेशक बनने से पहले वह दिल्ली के पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात थे। उससे पहले वह तिहाड़ जेल के महानिदेशक भी रहे हैं। तिहाड़ जेल के महानिदेशक पद पर रहते भी वे विवादों में आए थे।
जब तिहाड़ जेल में बंद निर्भया कांड के अभियुक्तों का एक विदेशी चैनल पर साक्षात्कार दिखाया गया था। उस मामले की जांच भी हुई थी। लेकिन आलोक वर्मा को जांच में बेदाग घोषित किया गया। आलोक वर्मा का चयन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने किया था। सीबीआइ का निदेशक बनने से पहले वे शायद ऐसे पहले निदेशक थे जिनके पास सीबीआइ में काम करने का कोई अनुभव नहीं था।
57 दिनों के लिए कार्यकारी निदेशक बने थे राकेश अस्थाना
आलोक वर्मा से पहले 57 दिनों के लिए राकेश अस्थाना को सीबीआइ का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया था। राकेश अस्थाना का भी बिहार से पुराना संबंध रहा है। राकेश अस्थाना बतौर सीबीआइ एसपी के रूप में एकीकृत बिहार के धनबाद में अपनी सेवा दे चुके हैं। बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच में उनकी अहम भूमिका रही है।
राकेश अस्थाना से पहले सीबीआइ निदेशक के पद पर बिहार कैडर के आइपीएस अधिकारी अनिल सिन्हा काबिज थे। अनिल सिन्हा के दो वर्षों का कार्यकाल विवाद रहित रहा। अनिल सिन्हा ने 3 दिसंबर, 2014 को सीबीआइ के निदेशक का कार्यभार संभाला था और 2 दिसंबर, 2016 तक इस पद पर बने रहे। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद 57 दिनों के लिए राकेश अस्थाना को कार्यकारी निदेशक के रूप में तैनात किया गया था।
शायद यह बिहार के लिए पहला अवसर था कि पिछले छह वर्षों से सीबीआइ निदेशक का शीर्ष पद बिहारी आइपीएस अधिकारियों के पास रहा है। बीच में 57 दिनों के लिए राकेश अस्थाना के कार्यकारी निदेशक का कार्यकाल छोड़ दिया जाए तो 3 दिसंबर, 2012 से यह पद बिहारी आइपीएस अधिकारियों के पास ही रहा है।
मौजूदा सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा भले ही अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम व केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के आइपीएस अधिकारी हैं। आलोक वर्मा की गिनती एक कड़क आइपीएस अधिकारी के रूप में होती है। आलोक वर्मा मूल रूप से बिहार के शिवहर जिले के रहने वाले हैं।
आलोक वर्मा महज 22 साल की उम्र में ही आइपीएस की सेवा में आए थे। सीबीआइ का निदेशक बनने से पहले वह दिल्ली के पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात थे। उससे पहले वह तिहाड़ जेल के महानिदेशक भी रहे हैं। तिहाड़ जेल के महानिदेशक पद पर रहते भी वे विवादों में आए थे।
जब तिहाड़ जेल में बंद निर्भया कांड के अभियुक्तों का एक विदेशी चैनल पर साक्षात्कार दिखाया गया था। उस मामले की जांच भी हुई थी। लेकिन आलोक वर्मा को जांच में बेदाग घोषित किया गया। आलोक वर्मा का चयन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने किया था। सीबीआइ का निदेशक बनने से पहले वे शायद ऐसे पहले निदेशक थे जिनके पास सीबीआइ में काम करने का कोई अनुभव नहीं था।
57 दिनों के लिए कार्यकारी निदेशक बने थे राकेश अस्थाना
आलोक वर्मा से पहले 57 दिनों के लिए राकेश अस्थाना को सीबीआइ का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया था। राकेश अस्थाना का भी बिहार से पुराना संबंध रहा है। राकेश अस्थाना बतौर सीबीआइ एसपी के रूप में एकीकृत बिहार के धनबाद में अपनी सेवा दे चुके हैं। बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच में उनकी अहम भूमिका रही है।
राकेश अस्थाना से पहले सीबीआइ निदेशक के पद पर बिहार कैडर के आइपीएस अधिकारी अनिल सिन्हा काबिज थे। अनिल सिन्हा के दो वर्षों का कार्यकाल विवाद रहित रहा। अनिल सिन्हा ने 3 दिसंबर, 2014 को सीबीआइ के निदेशक का कार्यभार संभाला था और 2 दिसंबर, 2016 तक इस पद पर बने रहे। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद 57 दिनों के लिए राकेश अस्थाना को कार्यकारी निदेशक के रूप में तैनात किया गया था।
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