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बिहार में 15वें वित्त आयोग के पैसों से होगी रोगों की निगरानी, प्रखंडों में बनेंगी प्रयोगशालाएं

कोरोना के बाद बदले हालात को देखते हुए विभाग ने जिलों से लेकर प्रखंड स्तर तक रोगों की निगरानी की कार्ययोजना तैयार की है। रोगों की निगरानी सहजता से हो इसके लिए प्रखंड स्तर पर अलग से स्वास्थ्य संरचना विकसित की जानी है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 04:23 PM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 04:23 PM (IST)
बिहार में 15वें वित्त आयोग के पैसों से होगी रोगों की निगरानी, प्रखंडों में बनेंगी प्रयोगशालाएं
बिहार में रोगों की पहचान व निगरानी के लिए स्वास्थ्य विभाग ने योजना बनाई है। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार में रोगों की पहचान व निगरानी के लिए स्वास्थ्य विभाग 15वें वित्त आयोग से मिली राशि का उपयोग करेगी। क्षेत्र में कोई नया रोग तो नहीं फैल रहा या इसकी कोई आशंका तो नहीं, इसके लिए प्रखंड स्तर पर प्रयोगशालाएं भी बनाई जाएंगी। स्वास्थ्य विभाग इस आशय का एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है। 15वें वित्त आयोग की ओर से अगले पांच वर्ष के लिए जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य प्रणाली और आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए बिहार को 6,017 करोड़ रुपये मिलेंगे। यह शत प्रतिशत केंद्र का अनुदान होगा। 15वें वित्त आयोग ने 2021-22 से 2025-26 तक के लिए यह राशि मुहैया कराई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार वित्त आयोग के अनुदान का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व उपकेंद्रों को मजबूत करने पर खर्च किया जाएगा। जिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के भवन नहीं है या पुराने भवन जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं वैसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, उपकेंद्रों को अपने भवन मुहैया कराए जाएंगे। इसके लिए 323.29 करोड़ रुपये की व्यवस्था है।

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  • - 2021-22 से 2025-26 तक बिहार के लिए स्वीकृत हैं छह हजार करोड़ रुपये 
  • - ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, उपकेंद्रों को नए भवन देने की कवायद भी 

इसके साथ ही बड़ा कार्य रोगों की निगरानी से संबंधित है। कोरोना के बाद बदले हालात को देखते हुए विभाग ने जिलों से लेकर प्रखंड स्तर तक रोगों की निगरानी की कार्ययोजना तैयार की है। रोगों की निगरानी सहजता से हो, इसके लिए प्रखंड स्तर पर अलग से स्वास्थ्य संरचना विकसित की जानी है। जानकारी के अनुसार, प्रखंडों में जांच प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी, जहां डाक्टर और जांच पदाधिकारी प्रतिनियुक्त किए जाएंगे। इनका मूल काम रोगों पर नजर रखना होगा। यदि किसी प्रकार की बीमारी या महामारी की जानकारी इन्हें मिलती है तो इनका काम उसके कारणों का पता करना और निदान के लिए आवश्यक कदम उठाना होगा। विभाग के अनुसार प्रखंड स्तर पर प्रयोगशाला निर्माण के लिए फिलहाल करीब 50 करोड़ रुपये का उपबंध किया गया है। 


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