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बिहारः छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सुविधा की उम्मीद लगाए छात्रों को निराशा, 3.20 लाख आवेदन लंबित

वजीफे के लिए विश्वविद्यालयों में आए तीन लाख 20 हजार आवेदन लंबित पड़े हैं। हालांकि आवेदनों के परीक्षण में 56654 आवेदन त्रुटिपूर्ण पाए गए हैं। इसकी वजह से छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सरकारी सुविधा पाने की उम्मीद लगाए गरीब एवं जरूरतमंद छात्र-छात्राओं में निराशा है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 04:01 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 04:01 PM (IST)
बिहारः छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सुविधा की उम्मीद लगाए छात्रों को निराशा, 3.20 लाख आवेदन लंबित
बिहार के छात्रों को निराशा है। -

दीनानाथ साहनी, पटना : कोरोना महामारी का असर कहें या विश्वविद्यालयों की लापरवाही, वजीफे के लिए विश्वविद्यालयों में आए तीन लाख 20 हजार आवेदन लंबित पड़े हैं। हालांकि आवेदनों के परीक्षण में 56,654 आवेदन त्रुटिपूर्ण पाए गए हैं। इसकी वजह से छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सरकारी सुविधा पाने की उम्मीद लगाए गरीब एवं जरूरतमंद छात्र-छात्राओं में निराशा है। लंबित आवेदनों को लेकर विश्वविद्यालयों का जवाब भी दिलचस्प है-वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में वजीफे के लिए प्राप्त अर्जियों का निष्पादन किया जा रहा है। कई त्रुटियों के चलते भी अर्जियां लंबित हैं। इसका खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत दिए आवेदन से हुआ है।

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लंबित अर्जियों पर सूचना आयोग में भी शिकायत

आरटीआइ कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय ने बताया कि जानकारी मांगे जाने पर अक्सर विश्वविद्यालयों द्वारा पूरी सूचना उपलब्ध नहीं करायी जाती है। इसकी शिकायत राज्य सूचना आयोग में दर्ज करायी है। छात्रवृत्ति के लिए किए गए आवेदनों में मामूली त्रुटियों की वजह से राशि रोके रखना कहां का न्याय है। इससे गरीब और जरूरतमंद विद्यार्थियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इनमें सर्वाधिक आवेदन इंटर और स्नातक में प्रथम श्रेणी से पास करने वाली छात्राओं के हैं। साथ ही संबद्ध 36 डिग्री कालेजों के लाभार्थियों के नाम ही विश्वविद्यालयों की सूची से गायब है। इससे वजीफे की हकदार बेटियों को मुख्यमंत्री कन्या प्रोत्साहन योजना के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। 

 

मगध विवि में सर्वाधिक 83,211 आवेदन लंबित 

पटना विश्वविद्यालय में 5,536, नालंदा खुला विश्वविद्यालय में 433, मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय में 1,267, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में 1,404, मगध विश्वविद्यालय (बोधगया) में 83,211, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा) में 34,801, जय प्रकाश विश्वविद्यालय (छपरा) में 13,013, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में 32,084, बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा) में 35,481, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर) में 55,075, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में 204, ललित नारायण मिश्र मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा) में 56,601, पूर्णिया विश्वविद्यालय में 1350 आवेदन लंबित हैं। 

छात्रवृत्ति भुगतान में तेजी लाने का  आदेश

लंबित आवेदनों के संबंध में शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने स्वीकार किया कि कोरोना महामारी में उच्च शिक्षण संस्थानों के बंद रहने के चलते भी छात्रवृत्ति योजनाओं के आवेदनों के निष्पादन में देरी हुई है। इस संबंध में संबंधित संस्थानों को छात्रवृत्ति भुगतान की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। कई विश्वविद्यालयों द्वारा आवेदनों की त्रुटियों को दूर कर और छात्रवृत्ति स्वीकृति के लिए मोहलत देने का अनुरोध किया गया है। आवेदनों में जो खामियां पकड़ी गई हैं उनमें आय प्रमाण पत्र संदिग्ध होना, जाति प्रमाण पत्र का गलत अंकन, आधार का सत्यापन नहीं होना महत्वपूर्ण है। 


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