Move to Jagran APP

बटिया जोहत दिनवा बितेला बलमुआ ..

देश के अलग-अलग राज्यों से आए लोक कलाकारों द्वारा लोक संस्कृति की उम्दा प्रस्तुति

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 10:31 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 10:31 PM (IST)
बटिया जोहत दिनवा बितेला बलमुआ ..
बटिया जोहत दिनवा बितेला बलमुआ ..

देश के अलग-अलग राज्यों से आए लोक कलाकारों द्वारा लोक संस्कृति की उम्दा प्रस्तुति सभागार में हो रही थी। मंच के बाहर एक ओर भोजपुरी कलाकारों द्वारा भोजपुरी लोक गीतों की प्रस्तुति हुई तो दूसरी ओर ओडिशा से आए लोक कलाकार लोक नृत्य की उम्दा प्रस्तुति कर दर्शकों को आनंदित करने में लगे थे। कलाकारों ने भगवान शिव के विविध स्वरूपों के साथ मां काली के रूद्र रूप में शिव-शक्ति के स्वरूप को पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लोक धुन पर आधारित गीतों के साथ कदमताल करते कलाकार अपने राज्यों की लोक कलाओं से दर्शकों को रूबरू करा रहे थे। वही परिसर में शिल्प कलाओं के विविध आयाम दर्शकों का मन मोह रहे थे। कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार को प्रेमचंद रंगशाला परिसर में देखने को मिला। मौका था भारत सरकार के पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता की ओर से आयोजित 'इंद्रधनुष' कार्यक्रम का। 10 दिसंबर से 13 दिसंबर तक चलने वाले चार दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार संगीत नाटक अकादमी के सचिव विनोद अनुपम, पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक गौरी बासु, कला संस्कृति एवं युवा विभाग की निदेशक मीना कुमारी, वरिष्ठ कलाकार मनोज कुमार बच्चन, पूर्वाचल सांस्कृतिक केंद्र के कार्यक्रम संयोजक डॉ. तापस सामंत्रे, कहानी घर की मीनाक्षी बनर्जी आदि ने किया। समारोह के दौरान मुख्य अतिथियों को अंग वस्त्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। वही समारोह का मंच संचालन वरिष्ठ कलाकार सोमा चक्रवर्ती ने किया। परिसर में घुली भोजपुरी लोक संस्कृति की मिठास :

loksabha election banner

चार दिवसीय समारोह के पहले दिन प्रेमचंद रंगशाला के बाहरी परिसर में मंच पर आसीन आरा से आए कलाकारों ने भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर रचित गीतों को पेश कर समाज के दर्द से दर्शकों को रूबरू कराया। ढोलक, झाल, तबले आदि वाद्य-यंत्रों के साथ कलाकारों ने एक से बढ़कर एक लोक गीतों की प्रस्तुति कर दर्शकों का मन मोह लिया। कलाकारों ने 'अखियां से दिन भर गिरे लोर ढर-ढर, बटिया जोहत दिनवा बितेला बलमुआ' को पेश कर महिलाओं की व्यथा को बखूबी बयां कर दर्शकों को भावुक कर दिया। जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे की ओर बढ़ता जा रहा था सभागार में मौजूद कलाकारों द्वारा परिसर में एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति हो रही थी। मंच पर आसीन कलाकारों ने 'कइसन पिया तोर करिया कि हवन गोर, सचमुच रूपवा बता द प्यारी धनिया', 'तनी बोल बिदेसी तु जइब कि ना, मान-मान तु प्यारी हमार कहना, मुलुक में जाइब जल्दी से आइब' आदि गीतों को पेश कर दर्शकों का मन मोह लिया। गीतों को जीवंत बनाने में संगत कलाकारों में तबले पर सूरजकांत पांडेय, हारमोनियम पर नगेंद्र दास पांडेय, नाल पर अभय ओझा एवं गायन में सत्येंद्र कुमार सिन्हा, ¨रकी मिश्रा आदि ने उम्दा प्रस्तुति कर समारोह में चार-चांद लगा दिया। मंच पर जीवंत हुई विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति :

एक ओर बिहार के स्थानीय कलाकार जहां प्रेमचंद रंगशाला के बाहरी परिसर में लोक गीतों की प्रस्तुति कर दर्शकों को आनंदित करने में लगे थे। वही रंगशाला के अंदर मंच पर ओडिशा, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों से आए लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से राज्यों की लोक संस्कृति से दर्शकों का दिल जीता। समारोह के दौरान मंच पर पहली प्रस्तुति ओडिशा के आए कलाकारों वहां के लोक नृत्य गोटीपुआ को शास्त्रीय नृत्य के जरिए भगवान विष्णु के विविध स्वरूप को पेश कर दर्शकों का मन मोह लिया। कलाकारों ने पारंपरिक वेश-भूषा से सजे भगवान विष्णु के अलग-अलग रूपों को मंच पर जीवंत कर दर्शकों की तालियां खूब बटोरीं। ब्रज की लोक संस्कृति से सराबोर हुआ परिसर - कार्यक्रम में चार-चांद लगाने के लिए उत्तरप्रदेश से आए कलाकारों ने उत्तरप्रदेश की लोक नृत्य चरकुला की उम्दा प्रस्तुति कर ब्रज रानी राधा के जन्मोत्सव को बयां कर दर्शकों का मन मोह लिया। कलाकारों ने 'आए रसिया चल चढ़ाए रसिया' बोल पर लोक नृत्य की उम्दा प्रस्तुति कर दर्शकों का मन मोह लिया। कलाकारों ने सिर पर 108 दीपक को लेकर लोक नृत्य की उम्दा प्रस्तुति कर राधा-रानी के जन्मोत्सव की झांकियां दिखा दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वही कलाकारों ने दूसरी ओर फूलों की होली कार्यक्रम के तहत भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम को दिखा दर्शकों को प्रेम के मूल स्वरूप से रूबरू किया। प्रस्तुति के दौरान बच्चा सिंह, सोहाना, रानी, शिवानी, अतुल सिंह, दीपक, राघव, गोपाल, सतीश आदि की उम्दा प्रस्तुति रही। समारोह के दौरान प्रांगण पटना की ओर से कलाकारों ने लोक नृत्य झिझिया के बहाने राजा चित्रसेन और रानी की कहानी को बयां कर समारोह को यादगार बना दिया। कलाकारों ने 'हाली-हुली बरसह इनर देवता, पानी बिनु परल छै अकाल हे रामा' गीत पर उम्दा प्रस्तुति कर दर्शकों का दिल जीता। मंच पर वर्षा कुमारी, निधि राय, श्रीपर्णा तिवारी, प्रीति कुमारी, सारिका कृष्ण अखौरी, श्रीजिता तिवारी, रितिका चक्रवर्ती, अर्पिता घोष, शिखा कुमारी आदि ने उम्दा प्रस्तुति की। बधइया और सोहर की उम्दा प्रस्तुति ने मोहा मन

समारोह के दौरान सुरसंगम कला के बैनर तले वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय लोक गायिका डॉ. नीतू कुमारी नूतन के निर्देशन में कलाकारों ने बधईयां, जट-जटिन व सोहर की उम्दा प्रस्तुति कर दर्शकों का दिल जीता। कलाकारों ने पनवा जइसन बाबू पातर सुपरिया जइसन हुर-हुर, टिकवा जब-जब मंगले रे जटवा' आदि को पेश कर समारोह को यादगार बना दिया। मंच पर पामला दास गुप्ता, सोनी, रीना, प्रिया कुमारी, जिया आदि ने उम्दा प्रस्तुति की। वही संगत कलाकारों में नाल पर युवा कलाकार सुधांशु रंजन, ढोलक पर विकास कुमार, हारमोनियम पर मोहम्मद जॉनी का उम्दा प्रदर्शन रहा। समारोह के दौरान संगीतम संस्था के बैनर तले भोजपुरी झुमर 'बनवा फुलेला बसंत में बउराइ हमरा जियरवा व नई झूलन की छइयां आदि गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति कर दर्शकों का दिल जीता। मंच पर कुमारी तन्या, दिव्या रानी, निशा कुमारी, अनिशा कुमार, राधा कुमारी आदि ने प्रस्तुति की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.