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कम वजन वाले बच्चों में मधुमेह होने का ज्यादा खतरा

कम वजन वाले बच्चों में मधुमेह का ज्यादा खतरा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 01:56 AM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 06:14 AM (IST)
कम वजन वाले बच्चों में मधुमेह होने का ज्यादा खतरा
कम वजन वाले बच्चों में मधुमेह होने का ज्यादा खतरा

पटना। जिन बच्चों का जन्म के समय कम वजन होता है, उन्हें मधुमेह का खतरा ज्यादा रहता है। वर्तमान में देशभर में सात करोड़ से ज्यादा मधुमेह के मरीज हैं। इसके अलावा आठ करोड़ लोग मधुमेह के मरीज होने की कगार पर हैं। ये बातें गुरुवार को विश्व मधुमेह दिवस पर बिहार उद्योग संघ के तत्वावधान में आयोजित समारोह में मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार ने कहीं।

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डॉ. कुमार ने कहा, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार देश में 2030 में देश में मधुमेह के मरीजों की संख्या 30 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि लोग खान-पान एवं जीवनशैली में सुधार लाकर मधुमेह को बहुत हद तक नियंत्रित कर सकते हैं। इस अवसर पर बीआइए के अध्यक्ष रामलाल खेतान, पूर्व अध्यक्ष केपीएस केशरी सहित कई लोगों ने भाग लिया। अंधेपन का कारण भी बन रहा मधुमेह

नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार सिंह ने कहा कि अधिक समय तक मधुमेह होने पर व्यक्ति के अधिकांश अंग प्रभावित होने लगते हैं। मधुमेह का असर लोगों के आंखों पर भी पड़ता है। मधुमेह से आंखों की होने वाली बीमारी को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। इसका सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो रोशनी जाने का भी खतरा रहता है। इस अवसर पर संजीवनी हॉस्पिटल की ओर से जांच शिविर भी लगाया गया, जिसमें काफी संख्या में लोगों ने अपनी आंखों की जांच कराई। आयुर्वेद से मधुमेह से नियंत्रण संभव

विश्व मधुमेह दिवस पर राजधानी में आयोजित सेमिनार में आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार दुबे ने कहा कि आयुर्वेद में कई दवाएं मधुमेह को नियंत्रित करने में कारगर साबित हो रही है। इसके अलावा योग एवं व्यायाम भी मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक होता है। अगर प्रत्येक व्यक्ति कम से कम एक घंटा प्रतिदिन टहलें तो मधुमेह पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है। मुफ्त में लगा जांच शिविर

विश्व मधुमेह दिवस पर बिग हॉस्पिटल के तत्वावधान में मुफ्त स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. आरके झा ने कहा कि मधुमेह के प्रति लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि समय-समय पर मधुमेह की जांच होती रहे। बीमारी को शुरू में पकड़ में आने पर इसका समुचित इलाज संभव है।


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