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बिहार में धूमधाम से हुई विश्वकर्मा पूजा, जानिए भगवान व पूजा के बारे में ये बातें

बिहार सहित पूरे देश में आज भगवान विश्‍वकर्मा की पूजा धूमधाम से की जा रही है। आइए जानते हैं भगवान विश्‍वकर्मा व उनकी पूजा के बारे में कुछ बातें।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 17 Sep 2017 10:36 AM (IST)Updated: Sun, 17 Sep 2017 11:35 PM (IST)
बिहार में धूमधाम से हुई विश्वकर्मा पूजा, जानिए भगवान व पूजा के बारे में ये बातें
बिहार में धूमधाम से हुई विश्वकर्मा पूजा, जानिए भगवान व पूजा के बारे में ये बातें

पटना [जेएनएन]। सृष्टि के आदि शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा रविवार को बिहार में श्रद्धापूर्वक की गई। हर साल 17 सितंबर को उनकी पूजा की जाती है। विश्‍वकर्मा पूजा के अवसर पर आइए जानते हैं कौन हैं भगवान विश्‍वकर्मा, कैसे होती है उनकी पूजा और क्‍या है इस साल पूजा का श्‍ुाभ मुहूर्त।

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सृष्टि के निर्माता विश्‍वकर्मा

मान्‍यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि का निर्माण किया, इसलिए उन्‍हें सृष्टि का निर्माणकर्ता कहते हैं। देवताओं के लिए अस्त्र-शस्त्र, आभूषण और महलों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया। इंद्र का सबसे शक्तिशाली अस्त्र वज्र भी उन्होंने ही बनाया था।

हस्तिनापुर से ले स्वर्ग लोक तक का निर्माण
प्राचीन काल में जितनी राजधानियां थीं, प्राय: सभी विश्वकर्मा की ही बनाई मानी जाती हैं। यहां तक कि सतयुग का ‘स्वर्ग लोक’, त्रेता युग की ‘लंका’, द्वापर की ‘द्वारिका’ और ‘हस्तिनापुर’ आदि जैसे प्रधान स्थान विश्वकर्मा के ही बनाए माने जाते हैं। ‘सुदामापुरी’ भी विश्वकर्मा ने ही तैयार किया था।
बनाए सुदर्शन चक्र व पुष्पक विमान
मान्यता है कि सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोग की वस्तुएं विश्वकर्मा ने ही बनाई थीं। कर्ण का कुंडल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, महादेव का त्रिशूल और यमराज का कालदंड भी उन्हीं की देन हैं। कहते हैं कि पुष्पक विमान का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया था।
भगवान के हैं ये पांच रूप
हमारे धर्मशास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा के पांच स्वरूपों और अवतारों का वर्णन है। विराट विश्वकर्मा, धर्मवंशी विश्वकर्मा, अंगिरावंशी विश्वकर्मा, सुधन्वा विश्वकर्मा और भृगुवंशी विश्वकर्मा।
ऋग्वेद में विश्वकर्मा सूक्त के नाम से 11 ऋचाएं
ऋग्वेद में विश्वकर्मा सूक्त के नाम से 11 ऋचाएं लिखी गई हैं, जिनके प्रत्येक मंत्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता आदि। ऋग्वेद में ही विश्वकर्मा शब्द एक बार इंद्र व सूर्य का विशेषण बनकर भी प्रयुक्त हुआ है।
धन-धान्य व सुख-समृद्धि के लिए करें पूजा
यदि आप धन-धान्य और सुख-समृद्धि की चाह रखते हैं, तो भगवान विश्वकर्मा की पूजा विशेष मंगलदायी होती है। हम यदि अपने प्राचीन ग्रंथों, उपनिषदों एवं पुराणों आदि का अवलोकन करें, तो पाएंगे कि आदि काल से ही विश्वकर्मा अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण न केवल मानव, बल्कि देवताओं के बीच भी पूजे जाते हैं।

ऐसे करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा

भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को स्‍थापित कर पूजा की जाती है, हालांकि कुछ लोग अपने कल-पुर्जों को ही विश्वकर्मा मानकर उनकी पूजा करते हैं। इस अवसर पर यज्ञ का भी आयोजन किया जाता है।
विश्‍वकर्मा पूजा करने के पहले स्‍नान कर लें। भगवान विष्‍णु का ध्‍यान करने के बाद एक चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्‍वीर रखें। फिर, दाहिने हाथ में फूल, अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और अक्षत को चारों ओर छिड़कें और फूल को जल में छोड़ दें। इसके बाद रक्षासूत्र मौली या कलावा बांधे और भगवान विश्वकर्मा का ध्यान कर उनकी विधिव‍त पूजा करें। पूजा के बाद औजारों और यंत्रों आदि को जल, रोली, अक्षत, फूल और मि‍ठाई से पूजें और हवन करें।
भगवान विश्वकर्मा पूजा का मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:
इस साल पूजा का समय
भगवान विश्‍वकर्मा पूजा का इस साल का शुभ समय ये है:

- सूर्योदय- 6:17 बजे
- सूर्यास्त- 18:24 बजे
- संक्रांति का समय- 00:54 बजे
 


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