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इस मामले में अफगानिस्‍तान जैसे हैं बिहार के हालात, बेहतर प्रदर्शन से उम्‍मीद बरकार

प्रति व्‍यक्ति आय की बात करें तो बिहार के हालात अफगानिस्‍तान जैसे हैं। हालांकि, अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार को देख बेहतर प्रदर्शन से उम्‍मीद बरकार है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 11:10 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 07:04 PM (IST)
इस मामले में अफगानिस्‍तान जैसे हैं बिहार के हालात, बेहतर प्रदर्शन से उम्‍मीद बरकार
इस मामले में अफगानिस्‍तान जैसे हैं बिहार के हालात, बेहतर प्रदर्शन से उम्‍मीद बरकार

पटना [एसए शाद]। बिहार में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का मात्र 38 प्रतिशत है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में बिहार में प्रति व्यक्ति आय में इजाफा हुआ है, मगर यह काफी नहीं है। सर्विस सेक्टर में प्रदेश के बेहतर प्रदर्शन ने इसकी वृद्धि में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन, दिल्ली, कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात जैसे राज्यों से बिहार में प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है। विभिन्न राज्यों के प्रति व्यक्ति आय की तुलना अगर अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर करें तो बिहार की स्थिति अफगानिस्तान जैसी है।

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राज्य की प्रति व्यक्ति आय की ओर इशारा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार बिहार को विशेष सहायता दिए जाने की वकालत कर चुके हैं। 15वें वित्त आयोग की टीम जल्द ही बिहार के दौरे पर आएगी और राज्य सरकार की ओर से कम प्रति व्यक्ति आय की दुहाई देकर अधिक राशि देने की मांग की जाएगा। इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एकजुट हैं।

10 साल में अधिक नहीं बढ़ी प्रति व्‍यक्ति आय

पिछले 10-12 सालों से लगातार दस फीसद से अधिक की बेहतर विकास दर बरकरार रखने के बावजूद सूबे में हर व्यक्ति की जेब में अपेक्षा से कम राशि है। यहां प्रति व्यक्ति आय में बहुत वृद्धि नहीं हो पाई है। दस साल पूर्व जहां यह राष्ट्रीय औसत का करीब 31 प्रतिशत थी, वहीं अब यह लगभग 38 प्रतिशत है।

दिल्ली-गुजरात जैसे राज्यों से बहुत कम आय

दिल्ली, कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात जैसे राज्यों से बिहार में प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है। वित्त आयोग हर पांच वर्ष के लिए राज्यों को राशि आवंटित करने के क्रम में इस बार 2011 की जनगणना को आधार बनाएगा। साथ ही प्रति व्यक्ति आय को भी इसने अपने मापदंड में शामिल कर रखा है। जल्द ही प्रदेश के दौरे पर आने वाली 15वें वित्त आयोग की टीम के समक्ष राज्य सरकार ने इन दोनों ही मुद्दों पर अपना पक्ष मजबूती से रखने की तैयारी की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लगातार राज्य की कम प्रति व्यक्ति आय की चर्चा कर बिहार पर विशेष ध्यान दिए जाने की वकालत कर रहे हैं।

बिहार की हालत अफगानिस्तान जैसी

विभिन्न राज्यों के प्रति व्यक्ति आय की तुलना अगर अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर की जाए तो बिहार की स्थिति अफगानिस्तान जैसी है। छत्तीसगढ़ की स्थिति कुछ बेहतर है मगर इसकी तुलना कम्बोडिया से हो सकती है। देश में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय दिल्ली में है, मगर इसका मुकाबला बोसनिया हर्जिगोविना से ही हो सकता है। बोसनिया हर्जिगोविना 1992 में हुए युद्ध में जबकि पूरी तरह तबाह हो गया था। गुजरात और हरियाणा की इस मामले में क्रमश: नाइजेरिया और हुंड्रास से बराबरी की जा सकती है।

इस सेक्‍टरों में है उम्‍मीद

फिर भी हाल के दिनों में बिहार में कुछ प्रक्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन ने प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की उम्मीद जगाई है। इनमें सर्विस सेक्टर, ट्रांसपोर्ट, संचार, निर्माण एवं खनन प्रमुख हैं। कृषि और पशु पालन प्रक्षेत्र का संयुक्त ग्रोथ रेट पहले के 4 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर अभी 6.02 प्रतिशत हो गया है। यह इस कारण महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रदेश की 89 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और इनमें से अधिकांश खेती एवं पशुपालन पर निर्भर हैं। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में अब सर्विस सेक्टर का लगभग 60 प्रतिशत योगदान हो गया है।

निर्माण और भवन निर्माण प्रक्षेत्रों ने क्रमश: 19.31 प्रतिशत और 16.58 प्रतिशत की बेहतर विकास दर रिकार्ड की है। अनाज का उत्पादन भी पहले से बढ़ा है। इन सबने मिलकर राज्य में प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने की उम्मीद जगाई है।

विशेष सहायता की दरकार

परन्तु राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने के लिए यह प्रयास काफी नहीं है। इसके लिए बिहार को विशेष सहायता की आवश्यकता होगी, जिसके लिए वित्त आयोग के समक्ष गुहार लगाने की तैयारी है। अधिक राशि के दावे के लिए पूर्व में मिली राशि की चर्चा की भी तैयारी है।

देखा जाए तो राशि आवंटन के लिए केंद्रीय संसाधनों में हिस्सेदारी का अनुपात 11वें वित्त आयोग के 29.5 प्रतिशत से बढ़कर 14वें वित्त आयोग में 42 प्रतिशत हुआ है। मगर, यह देखने की भी जरूरत है कि  कुल राशि में से कम प्रतिशत हिस्सेदारी  मिली है। और यह हिस्सेदारी लगातार कई सालों से घटती चली आ रही है, जबकि कुछ राज्यों के लिए यह अनुपात बढ़ता ही जा रहा है।

बिहार में आधारभूत संरचना की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष (बीआरजीएफ) के तहत 12,000 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई थी। इसके विरूद्ध 9597.92 करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं की स्वीकृति अभी नीति आयोग द्वारा दी गई है। नीति आयोग के शासी परिषद की चौथी बैठक में पिछले माह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है कि अभी भी 902.08 करोड़ की राशि की परियोजनाओं को स्वीकृति नहीं मिली है। उन्होंने नीति आयोग से यह भी अनुरोध किया है कि बीआरजीएफ के तहत लंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए बकाया 1651.29 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई जाए।

निजी निवेश भी जरूरी

राज्य सरकार का स्पष्ट मानना है कि निजी निवेश भी लोगों की आमदनी बढ़ाने का जरिया बनेगा। प्रदेश में उद्योग इकाइयों की संख्या बढ़ेगी तो रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। इसी सोच के तहत राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद का पुनर्गठन कर इसे और बेहतर बनाया गया है। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई प्रकार की छूट का भी प्रदेश की औद्योगिक प्रोत्साहन नीति में प्रावधान किया गया है।

कुछ राज्यों में प्रति व्यक्ति आय

बिहार: 38,546 रुपये

छत्तीसगढ़: 91,772 रुपये

दिल्ली: 3,29,093 रुपये

गुजरात: 1,56,691 रुपये

हरियाणा: 1,96,982 रुपये

कुछ बेहतर प्रदर्शन

फोन

2001: 10 लाख

2017: 8.49 करोड़

ऊर्जा

2011-12: 1712 मेगावाट

2017-18: 3769 मेगावाट

बैंकिंग

डिपोजिट: 12.1 प्रतिशत वृद्धि

क्रेडिट: 11.5 प्रतिशत वृद्धि

रोड डेंसिटी

बिहार: 289 किलोमीटर प्रति सौ वर्ग किलोमीटर

राष्ट्रीय औसत: 139.1 किलोमीटर प्रति सौ वर्ग किलोमीटर

अनाज उत्पादन

चावल उत्पादन में 21.1 प्रतिशत की वृद्धि

गेहूं उत्पादन में 29 प्रतिशत की वृद्धि

राजस्व सरप्लस राज्य बनता जा रहा बिहार (राशि करोड़ में)

2012-13: 5,101

2016-17: 10,819

2017-18: 14,556 (अनुमानित)

केंद्रीय संसाधन में हिस्सेदारी की दर

आयोग : प्रतिशत

11वां : 29.5

12वां : 30.5

13वां : 32.0

14वां : 42.0

कुछ राज्यों की बढ़ रही हिस्सेदारी (प्रतिशत में)

राज्य              2000-05      2005-10      2010-2015       2015-2020

महाराष्ट्र         4.63             4.99             5.19                   5.52

पंजाब             1.14             1.29             1.38                   1.57

गुजरात           2.82             3.59             3.04                   3.08

हरियाणा         0.94             1.07             1.04                   1.08

राजस्थान       5.47              5.60             5.85                   5.49

कर्नाटक         4.93               4.45            4.32                    4.71

कुछ राज्यों की घट रही हिस्सेदारी (प्रतिशत में)

राज्य            2000-05        2005-10       2010-15            2015-20

तमिलनाडु     5.38              5.30              4.96                   4.02

उत्तर प्रदेश   19.79            19.26            19.67                17.95

आंध्र प्रदेश      7.70              7.35              6.93                  4.30

बिहार            14.59            11.02            10.91                 9.66


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