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बिहार में आश्वासन के बाद भी नहीं बदला सचिवालयकर्मियों का पदनाम, प्रोन्‍नति का भी अटका है मामला

बिहार सचिवालय सेवा संघ ने आश्वासन के अनुसार पदनाम में परिवर्तन और रिक्त पदों को प्रोन्नति के जरिए भरने की मांग की है।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 07:07 PM (IST)Updated: Thu, 21 May 2020 07:07 PM (IST)
बिहार में आश्वासन के बाद भी नहीं बदला सचिवालयकर्मियों का पदनाम, प्रोन्‍नति का भी अटका है मामला
बिहार में आश्वासन के बाद भी नहीं बदला सचिवालयकर्मियों का पदनाम, प्रोन्‍नति का भी अटका है मामला

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार सचिवालय सेवा संघ ने आश्वासन के अनुसार पदनाम में परिवर्तन और रिक्त पदों को प्रोन्नति के जरिए भरने की मांग की है। संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार ने सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि वे इस संबंध में दिए गए आश्वासन पर तत्काल अमल करें। 

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पत्र के मुताबिक संघ और अपर मुख्य सचिव के बीच इस साल 26 फरवरी को हुई बैठक में सहायकों का पदनाम बदलने पर सहमति बनी थी। इसके अलावा रिक्त पदों पर कार्यकारी व्यवस्था के तहत पदस्थापन का भी भरोसा दिया गया था, लेकिन दोनों मामलों में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

पत्र के मुताबिक वित्त विभाग ने 1999 में ही तय किया था कि बिहार सचिवालय सेवा का गठन केंद्रीय सचिवालय सेवा के अनुरूप किया जाएगा। झारखंड, ओडीसा, गुजरात, केरल एवं तमिलनाडु में सचिवालय सेवा के सहायक एवं लिपिकीय सेवा के कर्मियों का पदनाम बदल गया। इन राज्यों में सहायक को सहायक प्रशाखा पदाधिकारी, उच्चवर्गीय लिपिक को वरीय सचिवालय सहायक और निम्नवर्गीय लिपिक को कनीय सचिवालय सहायक का पदनाम दे दिया है। 

पत्र के मुताबिक राज्य सचिवालय में उच्चतर पदों पर काफी रिक्तियां हैं। निदेशक के 14, उप सचिव के 98, अवर सचिव के 280 और प्रशाखा पदाधिकारी के 486 पद रिक्त हैं। ये रिक्तियां स्वीकृत पद के करीब 62 फीसद हैं। ऊपर के पद भरे जाएं तो काफी कर्मियों को प्रोन्न्ति का लाभ मिलेगा। इससे उनकी कार्यदक्षता भी बढ़ेगी। संघ ने कहा कि सचिवालयकर्मी कोरोना के खिलाफ जारी संघर्ष में सरकार का पूरा साथ दे रहे हैं। सरकार भी संघ के साथ किए गए वायदे पर अमल करे। मालूम हो कि पदनाम परिवर्तन का आश्वासन आंदोलन की धमकी के बाद दिया गया था। 


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