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पटना हाइकोर्ट: जेएनयू छात्र नेता चंद्रशेखर हत्याकांड में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित

पटना हाईकोर्ट ने JNU छात्र संघ नेता चंद्रशेखर हत्याकांड में तीन अभियुक्तों को मिली उम्र कैद की सजा को चुनौती देने वाली अपील पर मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। 1997 का है मामला

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 07:47 PM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 07:47 PM (IST)
पटना हाइकोर्ट: जेएनयू छात्र नेता चंद्रशेखर हत्याकांड में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित
पटना हाइकोर्ट: जेएनयू छात्र नेता चंद्रशेखर हत्याकांड में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित

पटना [जेएनएन]। पटना हाईकोर्ट ने जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) छात्र संघ के नेता चंद्रशेखर हत्याकांड में तीन अभियुक्तों को मिली उम्र कैद की सजा को चुनौती देने वाली अपील पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सीबीआई की विशेष अदालत ने छात्र नेता हत्याकांड मामले में तीन अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए 40-40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। 

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सजा के खिलाफ अभियुक्तों ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। जिस पर न्यायाधीश एके त्रिवेदी एवं न्यायाधीश विनोद कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। अभियुक्तों की तरफ से जबलपुर से आए वरीय अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह,पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता अजय कुमार ठाकुर सहित कुछ वकीलों ने कहा कि पर्याप्त साक्ष्य के बिना ही अभियुक्तों उम्र कैद की सजा सुना दी । यह सब इसलिए कि यह एक चर्चित हत्याकांड था। 

सीबीआई की अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302,120बी,34 एवं आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत सिवान के निवासी ध्रुव जायसवाल, शेख मुन्ना एवं इलियास बारी को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। यह सजा 23 मार्च 2012 को सुनाई गई थी। इसी सजा के खिलाफ पटना हाइकोर्ट में सुनवाई की जा रही है। मंगलवार को हुई सुनवाई में फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। 

गौरतलब है कि अपराधीकरण एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाने वाले चंद्रशेखर की 31 मार्च 1997 को सिवान शहर में जेपी चौक के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। चंद्रशेखर को निशाना बनाकर की गई गोलीबारी में भृगुरासन पटेल, अधिवक्ता चंद्रखेतु सिंह और मुहम्मद आलम खान भी गंभीर रूप से घायल हुए थे। 16 वर्ष तक चली कानूनी प्रक्रिया के बाद 23 मार्च 2012 को अभियुक्तों को सजा सुनाई गई। 

सीबीआइ ने सात अगस्त, 1997 को राजद के तत्कालीन सांसद शहाबुद्दीन, ध्रुव कुमार जायसवाल, रुस्तम मियां, शेख मुन्ना, इलियास वारिस और मुहम्मद रियाजुद्दीन को नामजद करते हुए जांच की। सीबीआइ ने ध्रुव, रुस्तम, शेख, इलियास और रियाजुद्दीन के खिलाफ 30 मई, 1998 को आरोप पत्र दायर किया था। रियाजुउद्दीन की मृत्यु ट्रायल के दौरान हो गई। इस मामले में शहाबुद्दीन के खिलाफ जांच जारी है।


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