दहेज को ना...क्या कहा पटना वासियों ने, आइए जानते हैं
दहेज प्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए बिहार सरकार भी प्रयासरत है तो वहीं दैनिक जागरण ने इस कुप्रथा के खिलाफ जंग छेड़ दी है। पटना कार्यालय में इस विषय पर आज परिचर्चा आयोजित की गई ।
पटना [जेएनएन]। दहेज कुप्रथा के खिलाफ दैनिक जागरण की पहल रंग ला रही है। आज दैनिक जागरण के पटना स्थित कार्यालय में दहेज को ना..कहने के लिए शहर के आम और खास लोग आए और इस गंभीर विषय पर चर्चा की। परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर सद्गुरु शरण अवस्थी ने सभी लोगों का स्वागत किया।
कार्यक्रम में बोलते हुए प्रसन्नता ने कहा कि दहेज समाज के लिए कोढ़ के समान है जिससे निजात दिलाना हम सबका काम है। पद्मलता ठाकुर मगध महिला की प्रिंसिपल ने कहा कि समाज की इस बुराई को हम सबको मिलकर मिटाना है। उन्होंने कहा कि समाज के सभी तबके में यह दानव व्याप्त है। यह अमीर-गरीब नहीं देखता।
कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों के विचार अलग-अलग लग रहे । एक ओर जहां कुछ लोगों का कहना था कि दहेज की यह बीमारी कहीं-न-कहीं हमारे अपने समाज से, अपने घर से निकली है, जहां दूल्हे खरीदने के लिए ऊंची बोली लगाई जाती है, तो वहीं बेटियों के माता-पिता की इच्छा होती है कि सामाजिक प्रतिष्ठा पाने के लिए पैसे देकर बेहतर से बेहतर दामाद ला सकें।
जब तक हमारे समाज की यह सोेच नहीं बदलेगी तब तक हम इस दानव से कभी मुकाबला नहीं कर सकेंगे। वहीं, युवा प्रतिभागियों ने कहा कि इस सामाजिक सोच को बदलना जरूरी है। उनका मानना था कि जब हमारी परवरिश एक जैसी होती है, हम एक जैसे हैं तो फिर खरीद बिक्री क्यों?
परिचर्चा में शामिल लड़कियों ने कहा कि हमें बिकाऊ दूल्हा नहीं चाहिए और ना ही एेसी ससुराल चाहिए जहां ढेरों धन-दौलत हो, हमें बस सम्मान चाहिए और हमें भी घर के सदस्यों जैसी अहमियत मिले, इससे ज्यादा की ख्वाहिश नहीं है हमें।
उन्होंने कहा कि दहेज के लिए, पैसों के लिए बेटियां जिंदा जला दी जाती हैं, प्रताड़ित की जाती हैं, क्या यही हमारे विकसित समाज का चेहरा है, क्या एेसा विकृत चेहरा देखकर कोई लड़की शादी जैसे बंधन में बंधना चाहेगी? मजबूरीवश मां-बाप की सम्मान के लिए बेटियां सबकुछ चुपचाप सहती हैं।