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बिहार में मुर्दों के नाम पर हुआ था ये घोटाला, सुप्रीम कोर्ट के जज ने शुरू की जांच

बिहार में ट्रेन से गिरकर और कटकर मौत के शिकार लोगों को क्लेम के नाम पर हुए 100 करोड़ के घोटाले की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज ललित पटना पहुंच गए हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 09:43 AM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 09:43 AM (IST)
बिहार में मुर्दों के नाम पर हुआ था ये घोटाला, सुप्रीम कोर्ट के जज ने शुरू की जांच
बिहार में मुर्दों के नाम पर हुआ था ये घोटाला, सुप्रीम कोर्ट के जज ने शुरू की जांच

पटना [चन्द्रशेखर]। ट्रेन से गिरकर और कटकर मौत के शिकार लोगों के क्लेम के नाम पर 100 करोड़ के गबन की जांच करने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस ललित पटना पहुंचे। साथ में रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस कन्नन के साथ ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार केपी यादव भी आए। ट्रिब्यूनल की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के दो बड़े अधिवक्ताओं को भी साथ लाया गया। जांच टीम ने घोटाले के सारे कागजातों का अवलोकन किया। 

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घर-घर जाकर सबूत जुटाए जा रहे 

जांच टीम से जुड़े अधिकारियों की मानें तो रेलवे ने काउंसिल फॉर द कमेटी के लिए सर्वोच्च न्यायालय के दो वरीय अधिवक्ताओं को नियुक्त किया है। पिछले एक सप्ताह से उनकी ओर से ट्रिब्यूनल के राष्ट्रीय सदस्यों को जांच के लिए पटना भेजा गया था। ये लाभान्वितों की सूची लेकर लोगों से घर-घर जाकर जानकारी ले रहे थे। घोटाले में शामिल लोगों द्वारा कई लोगों को पहले से ही समझा दिया गया था कि वे जांच कमेटी के सामने कुछ नहीं बोलेंगे।

इसके बावजूद सौ से अधिक ऐसे लोग मिले जो कमेटी के सदस्यों के सामने खुलकर जानकारी देते रहे। प्रथम दृष्टया दो तरह के घोटाले प्रकाश में आए हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें मुआवजे की कोई राशि नहीं मिली। जबकि कुछ लोग ऐसे मिले जिन्हें मामूली दस-बीस फीसद मुआवजे की रकम देकर टरका दिया गया। 

जांच के दायरे में ये बिंदु 

कमेटी इस बात की भी जानकारी ले रही है कि जिन लोगों को दो से चार बार एक ही नाम से मुआवजा दिया गया उनकी रकम की वापसी किस आधार पर की गई? बैंक में ऐसे लोगों के जो खाते खोले गए उनके इंट्रोड्यूसर कौन थे? एक ही बार में इतनी मोटी राशि महज एक विदड्राल फार्म पर कैसे निकल गई?

मृतक के बच्चों के नाम पर जो फिक्स डिपॉजिट की राशि जमा की गई थी उसका सर्टिफिकेट किसके आदेश से अधिवक्ताओं के पास रखा गया है, किसके आदेश पर एक्सक्यूशन वारंट फार्म 12 जो आरबीआइ को जारी किया गया, उसमें चेक पेमेंट के बजाय ऑन लाइन पेमेंट का आदेश दिया गया? घोटाला उजागर होने पर अचानक किसके आदेश से सारे कर्मचारियों का तबादला कर दिया गया था?

मृतक के परिजनों के नाम जो मुआवजे की राशि का भुगतान हुआ है उसमें बाकायदा सूद जोड़कर दिया गया है? सूद के रूप में करोड़ों की राशि का बंदरबांट हुआ है। ऐसे कई अनुत्तरित प्रश्नों का जवाब ढूंढने के लिए पूर्व मध्य रेल के कई वरिष्ठ अधिकारियों को भी आज कमेटी के सामने उपस्थित होना पड़ा।

जांच कमेटी के समक्ष आज दस ऐसे परिजन पहुंचे जिनके नाम पर रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल से मोटी राशि निकाल ली गई, परंतु उन्हें पैसा नहीं मिला। कमेटी के समक्ष ऐसे लोगों ने बयान दर्ज कराया। 


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