जलशक्ति अभियान की योजनाओं के लिए समय सीमा तय, अवैध कब्जा हटाना चुनौती Patna News
जल शक्ति अभियान के तहत प्रखंड विकास पदाधिकारियों को सितंबर तक टास्क पूरा करने को कहा गया है। मगर चुनौती अवैध कब्जा हटाने को लेकर है।
पटना, जेएनएन। जहां से गंगा, सोन, पुनपुन, मोरहर और मोहनाने नदी बहती है, वहीं भू-जल स्रोत संकट में पड़ गया है। जल शक्ति अभियान के तहत पटना सदर, फुलवारीशरीफ, पुनपुन, संपतचक और अथमलगोला प्रखंडो में अब समय सीमा में योजनाएं पूरी की जाएंगी। इसके लिए प्रखंड विकास पदाधिकारियों को सितंबर तक टास्क पूरा करने को कहा गया है।
पटना जिले में करीब 12 हजार से अधिक परंपरागत जलस्रोत अवैध कब्जे में चले गए हैं। जल संकट को देखते हुए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है। इसमें आहर, पईन, नहर, तालाब, परंपरागत नदी स्रोत और जलाशय शामिल हैं। पटना का कुल क्षेत्रफल करीब तीन लाख 17 हजार 236 हेक्टेयर है, जिसमें 65 फीसद हिस्सा करीब तीन लाख एक हजार 104 हेक्टेयर जमीन कृषि योग्य है। जिले के आठ प्रखंडों में सिंचाई सोन नहर से होती थी, जहां अब लोग सूखे जैसे हालात से बेहाल हैं। मनरेगा से घास छीलकर कमाने-खाने की व्यवस्था को समाप्त कर पाई-पाई की उपयोगिता सुनिश्चित कराई गई है।
ग्राम सभा में वर्षा जल संचय की योजनाओं की प्राथमिकता तय की गई है। इसके तहत जिले में सूक्ष्म सिंचाई की 407 योजनाओं को मंजूरी दी गई। जिले के 60 बड़े आहर-पईन और जलाशयों का चयन किया गया, जिससे एक से अधिक गांवों को पानी मिल सके। इसी तरह 128 अन्य जलस्रोतों का चयन किया गया, जो विलुप्त अथवा अवैध कब्जे के शिकार हो रहे थे। मानसून आगमन के पूर्व 338 योजनाओं का कार्य समय रहते पूरा कराने में कामयाबी मिली है।