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यह बिहार है... यहां 'मुर्दे' को भी मिलता है PM आवास योजना का घर... जानें मामला

यह बिहार है यहां मुर्दे को भी पीएम आवास योजना का घर मिल जाता है। भले जिंदा को इंतजार करना पड़े। सासाराम किशनगंज और बांका जिले में मामला उजागर होने पर अफसरों ने की कार्रवाई।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 12:38 PM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 10:29 PM (IST)
यह बिहार है... यहां 'मुर्दे' को भी मिलता है PM आवास योजना का घर... जानें मामला
यह बिहार है... यहां 'मुर्दे' को भी मिलता है PM आवास योजना का घर... जानें मामला

पटना, दीनानाथ साहनी। बिहार में प्रधानमंत्री आवास योजना में दिलचस्प वाकया सामने आया है। राज्य के सासाराम, किशनगंज और बांका जिले में चार मृतकों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दे दिया गया। इसमें विकास मित्र और मुखिया की मिलीभगत सामने आया है। इस मामले का उजागर होने पर  अफसरों ने कार्रवाई करते हुए जांच में दोषी पाये गये विकास मित्रों एवं तीन मुखिया पर प्राथमिकी दर्ज करायी है। दिलचस्प यह है कि सूचना का अधिकार कानून (आरटीआइ) से मिली जानकारी में गरीबों के लिए लागू प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि हड़पने में नेता से लेकर मुखिया तक की संलिप्तता सामने आई है। 

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मृतक के नाम पर बैंक खाता

आरटीआइ से मिली सूचना के मुताबिक बांका जिले के शंभूगंज प्रखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना में तो मुखिया और विकास मित्र ने पैसे डकारने के लिए हद पार कर दी। दोनों ने मिलकर चार साल पहले स्वर्गवासी हो चुके हिलिया मांझी के नाम पर खोले गये बैंक खाते में राशि ट्रांसफर कराना चाहा, लेकिन प्रखंड विकास समिति की मासिक बैठक में वार्ड सदस्य की शिकायत यह मामला उजागर हो गया। इस मामले में तत्कालीन बीडीओ ने प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार पर कठोर कार्रवाई करते हुए मुखिया एवं विकास मित्र पर प्राथमिकी दर्ज करायी और राशि भुगतान पर भी रोक लगा दी। 

राम बदन मांझी कागज पर जिन्दा

आरटीआइ कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय ने सासाराम के चेनारी प्रखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना पर अनूठा भ्रष्टाचार सामने लाया है। प्रधानमंत्री  आवास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 में ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर लाभार्थियों का चयन कर पहली किस्त के रूप में 40-40 हजार रुपये बैंक खाते में भेजे गए थे। रोचक यह कि लाभुकों की सूची में चार साल पहले स्वर्ग सिधार चुके राम बदन मांझी के नाम पर भी पहली किस्त के रूप में 40 हजार रुपये खर्च दिखा दिया गया और उसे कागज में जिन्दा बताया गया। ग्राम पंचायत की शिकायत पर बीडीओ ने जांच करायी तो पता चला कि आवास का लाभ पाने वाले राम बदन मांझी ही नहीं बल्कि स्वर्गवासी तुलसी मांझी के नाम पर भी आवास आवंटित किया गया है।

बैंक खाते से रुपये भी निकाल लिये गये

यही नहीं, तुलसी मांणी के नाम पर बैंक खाते से रुपये भी निकाल लिये गये। इस मामले में तत्कालीन बीडीओ ने मृतकों को आवास दिलाने के लिए जिम्मेदार कर्मियों व मुखिया को वसूली का नोटिस जारी किया और उसकी रिकवरी करायी। इसी तरह का वाकया किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड में सामने आया है, जहां मृतक मो.शकुर के नाम पर प्रधानमंत्री आवास आवंटित किया गया, लेकिन यह बात बीडीओ को पता चला तो उन्होंने जांच करायी और उसे सही पाया। बीडीओ द्वारा विकास मित्र को नोटिस जारी किया गया है। 

कहते हैं आरटीआइ कार्यकर्ता

'प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में निचले स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। लाभुकों से पैसे लेकर ही उन्हें घर बनाने के लिए राशि दी जाती है। इसकी जांच होनी चाहिए। मृतकों के नाम पर आवास देने की शिकायत और भी सामने आई है। इसकी सूचना मांगी गई है क्योंकि इस तरह का प्रकरण गंभीर है। रिपोर्ट आने के बाद एक लोकहित याचिका हाईकोर्ट में दायर करेंगे।'

- शिवप्रकाश राय, आरटीआइ कार्यकर्ता


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