Move to Jagran APP

तीन माह बची थी मिराज के वीजा की मियाद, फरार होकर दिल्ली से दुबई चला जाता बीवी के साथ Patna News

दानापुर कोर्ट से भागने की फिराक में लगे मिराज के वीजा की मियाद मात्र तीन माह बची थी। इसके लिए उसने प्लान बना रखा था।

By Edited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 02:01 AM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 10:40 AM (IST)
तीन माह बची थी मिराज के वीजा की मियाद, फरार होकर दिल्ली से दुबई चला जाता बीवी के साथ Patna News
तीन माह बची थी मिराज के वीजा की मियाद, फरार होकर दिल्ली से दुबई चला जाता बीवी के साथ Patna News
प्रशांत कुमार, पटना। दानापुर अनुमंडल कोर्ट में सिपाही प्रभाकर राज को गोली मारकर पुलिस हिरासत से फरार होने की कोशिश करने वाले मो. मिराज उर्फ रिंकू शहर छोड़ने की पूरी प्लानिंग कर रखी थी। वह दो साल पहले ही दुबई से लौटा था। वहां वह नौकरी करता था। पटना लौटने पर उसने घरवालों के विरोध के बावजूद मजदूर की बेटी रेशमा से अतंरधर्म शादी कर ली थी, लेकिन इमारत-ए-शरिया से प्रमाण नहीं लिया था।


मिराज जॉब वीजा पर दुबई गया था। वह घर जाने की छुट्टी लेकर वहां से पटना आया था। अब उसके वीजा की अवधि मात्र तीन महीने बची है, इसलिए वह भागने के लिए उतावला था। वह अलीगढ़ जाकर रेशमा से मुस्लिम रीति-रिवाज से निकाह करता और इसके प्रमाणपत्र के आधार पर उसका भी वीजा बनवाकर दुबई ले जाता।

ग‌र्ल्स हॉस्टल से पत्‍‌नी की गिरफ्तारी
बोरिंग रोड चौराहे के समीप किराना गली के एक ग‌र्ल्स हॉस्टल से रेशमा को बुधवार की देर रात गिरफ्तार किया गया था। भारी संख्या में पुलिस बल के प्रवेश करने पर हॉस्टल में रहने वाली लड़कियों में अफरातफरी मच गई थी। पुलिस ने ग‌र्ल्स हॉस्टल से रेशमा का बुर्का और लाल दुपट्टा भी बरामद किया है। हालांकि, उसके पास से कोई पिस्तौल नहीं मिली। उसने जो पिस्तौल दी थी, उसे पुलिस ने घटना के बाद मिराज के हाथ से छीना था।


बाइक से भगाने का काम करता गौतम
रेशमा ने गौतम को दिल्ली से पटना बुलाया था। मनोव्वर ने उन्हें एक बाइक और पिस्तौल दी थी। रेशमा ने बाइक में 500 रुपये का पेट्रोल भरवाया। इसके बाद वह गौतम के साथ बाइक पर बैठकर दानापुर कोर्ट पहुंची। गौतम बाइक लेकर मुख्य सड़क के दूसरी तरफ खड़ा था। साजिश के तहत मिराज भागते हुए मुख्य सड़क पर आता और गौतम के साथ बाइक पर बैठकर हाजीपुर की तरफ भाग निकलता। रेशमा ऑटो पकड़कर पाटलिपुत्र जंक्शन जाती और वहां से ट्रेन पकड़कर हाजीपुर जाती। हाजीपुर से गौतम वापस अपने घर और दोनों पति-पत्नी ट्रेन लेकर अलीगढ़ चले जाते।



मिराज के पिता का रहा है आपराधिक इतिहास
मिराज के पिता अख्तर का लंबा-चौड़ा आपराधिक इतिहास रहा है। वह बेटे पर अपनी छाया पड़ने नहीं देना चाहता था, इसलिए उसने मिराज को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाया। इसके बाद एक रिश्तेदार के माध्यम से उसे नौकरी करने के लिए दुबई भेज दिया। दो साल पहले वह पटना आया और अपराधियों की संगत में पड़ गया। पहली बार उसे पिता ने ही उसे गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था, लेकिन साक्ष्यों के अभाव में मिराज के न्यायालय से जमानत मिल गई। तबसे वह अपराध की दुनिया का खिलाड़ी बन गया।


चैन की जिंदगी जीना चाहता था मिराज
रेशमा से प्रेम विवाह करने के बाद मिराज चैन की जिंदगी बसर करना चाहता था। लेकिन, अपराध जगत ने उसे इस कदर जकड़ लिया था कि निकलना मुश्किल हो गया। 26 जनवरी को वह फुलवारीशरीफ हाईस्कूल के पास हत्या करने गया था। झंडोत्तोलन के दौरान उसने फाय¨रग की। दूसरे गुट की गोलियों से वह भी घायल हुआ था। तब उसने बाईपास थाना क्षेत्र के एक अस्पताल में छिपकर इलाज करवाया था। इसके बाद भी कई मामलों में उसकी संलिप्तता उजागर हुई थी। फुलवारीशरीफ थानाध्यक्ष मो. कैसर आलम ने कड़ी मेहनत के बाद उसे गिरफ्तार किया था। मिराज को मालूम था कि उसपर इतने मुकदमे दर्ज हैं कि कुछ महीनों में वह बाहर नहीं आ सकता, इसलिए उसने दानापुर कोर्ट से भागने की साजिश की।


पिता को था मिराज से जान का खतरा
पहली बार जेल से छूटने के बाद मिराज दो गिरोहो का सरगना बन गया। गिरोहों का काम लूटपाट और सुपारी लेकर हत्या करना है। एक का संचालन सैनू करता है। जब पिता अख्तर ने मिराज की हरकतों का विरोध किया तो वह उन्हीं की जान का दुश्मन बन बैठा। अख्तर ने इस बाबत डीजीपी को आवेदन देकर जान बचाने की गुहार लगाई थी। फिर, वह जानीपुर चले गए और निजी सुरक्षाकर्मी साथ रखने लगे। जानीपुर से भी उन्होंने पता बदल लिया।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.