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बिहार संवादी : दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के चयनित शोधार्थियों का एलान

पटना में आयोजित बिहार संवादी में दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के चुने गए तीन शोधार्थियों के नामों का एलान किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Apr 2018 09:44 PM (IST)Updated: Sat, 21 Apr 2018 09:44 PM (IST)
बिहार संवादी : दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के चयनित शोधार्थियों का एलान
बिहार संवादी : दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के चयनित शोधार्थियों का एलान

पटना । पटना में आयोजित बिहार संवादी में दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के चुने गए तीन शोधार्थियों के नामों का एलान कर दिया गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति की जूरी के सदस्य और बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल के प्रोफेसर एसएन चौधरी और नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी के निदेशक शक्ति सिन्हा ने बिहार संवादी के मंच से इन तीन शोधार्थियों के नामों की घोषणा की। इस मौके पर शक्ति सिन्हा ने दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति शुरू करने के दैनिक जागरण के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में मौलिक शोध की जरूरत है। उनका कहना था कि कोशिश ये होनी चाहिए कि जो भी शोध किए जाएं उनमें स्थानीय संदभरें का इस्तेमाल हो, भारतीय ज्ञान पद्धति को प्रमुखता से सामने रखकर शोध की दिशा तय हो। जबतक अनुवाद पर हमारी निर्भरता ज्यादा रहेगी तबतक भारतीय ज्ञान पद्धति को मजबूती नहीं मिलेगी। जब हिंदी में मौलिक शोध को बढ़ावा मिलेगा और ज्ञान का विकेंद्रीकरण होगा।

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नीतीश कुमार ने भी अपने संबोधन में दैनिक जागरण के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि ज्ञान की भूमि से ज्ञानवृत्ति की शुरुआत एक सकारात्मक कदम है। दैनिक जागरण की ज्ञानवृत्ति के लिए इलाहाबाद की रहनेवाली दीप्ति सामंत रे को उनके प्रस्तावित शोध 'प्रधानमंत्री जनधन योजना के भारत में वित्तीय समावेशन पर प्रभावों का समालोचनात्मक विश्लेषण' पर शोध के लिए चुना गया है। दीप्ति सामंत रे डी फिल हैं और अर्थशास्त्र उनका विषय है। अबतक उनके 10 से ज्यादा शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं।

दूसरी शोधार्थी लखनऊ की नाइश हसन है जिनके शोध का विषय होगा, भारत के मुस्लिम समुदाय में मुता विवाह, एक सामाजिक अध्ययन। नाइश हसन सामाजिक कार्यकर्ता हैं और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए अपनी आवाज उठाती रही हैं। वो समाजशास्त्र से एमफिल हैं। तीसरे शोधार्थी हैं बलिया के निर्मल कुमार पाडे। इनके प्रस्तावित शोध का विषय है 'हिंदुत्व का राष्ट्रीयकरण बजरिए हिंदी हिंदू हिन्दुस्तान, औपनिवेशिक भारत में समुदायवादी पुनरुत्थान की राजनीति और भाषाई-धार्मिक-सास्कृतिक वैचारिकी का सुदृढ़ीकरण।' निर्मल कुमार पाडे इतिहास में पीएचडी हैं ।

इन तीनों चयनित शोधार्थियों को छह महीने से लेकर नौ महीने तक दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के तहत 75 हजार रुपये हर महीने दिए जाएंगे। अपनी भाषा हिंदी में मौलिक शोध को बढ़ावा देने के लिए दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति की शुरुआत की गई है। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के अंतर्गत राजनीतिशास्त्र, समाज शास्त्र, अर्थनीति और कूटनीति आदि में हिंदी में मौलिक शोध कराने के लिए शोधार्थियों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे। आवेदनकर्ताओं से संबंधित विषय पर हजार शब्दों में एक सिनॉप्सिस मंगवाया गया था। देशभर से 671 शोधार्थियों ने अपने प्रस्ताव भेजे जिनपर तीन चरणों में विचार किया गया। सबसे पहले विशेषज्ञों की एक समिति ने 671 प्रस्तावों में से 145 का चयन किया। उसके बाद दैनिक जागरण संपादक मंडल ने इन प्रस्तावों पर विचार किया और उसमें से 11 प्रस्तावों को अगले चरण के विचार के लिए चुना गया। इन 11 शोध प्रस्तावों पर दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्त की अध्यक्षता वाली जूरी ने इन सभी से बातचीत की। इस जूरी में प्रोफेसर एस एन चौधरी और शक्ति सिन्हा थे। दिनभर चले इस साक्षात्कार के बाद तीन शोधार्थियों के प्रस्ताव को दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के योग्य पाया गया। इन तीन शोधार्थियों को अंतराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक हर महीने 75 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के दौरान चयनित शोधार्थी को हर तीन महीने पर अपने कार्य की प्रगति रिपोर्ट विशेषज्ञों के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी। शोध की समाप्ति के बाद शोधार्थी को करीब दो सौ पन्नों की एक पुस्तक भी प्रस्तुत करनी होगी। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के तहत किए गए शोधकार्य के प्रकाशन में दैनिक जागरण मदद करेगा लेकिन पुस्तक पर शोधार्थी का सर्वाधिकार सुरक्षित होगा।

दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के दायरे को ध्यान में रखते हुए निर्णायक मंडल के सम्मानित सदस्यों का चयन किया गया था। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति अपनी भाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जारी दैनिक जागरण की मुहिम हिंदी हैं हम के तहत एक विषेष उपक्रम है।

इनका हुआ चयन :

1. इलाहाबाद की दीप्ति सामंत रे

विषय : 'प्रधानमंत्री जनधन योजना के भारत में वित्तीय समावेशन पर प्रभावों का समालोचनात्मक विश्लेषण'

2. लखनऊ की नाइश हसन

विषय : 'भारत के मुस्लिम समुदाय में मुता विवाह, एक सामाजिक अध्ययन'

3. बलिया के निर्मल कुमार पाडे।

विषय : 'हिंदुत्व का राष्ट्रीयकरण बजरिए हिंदी हिंदू हिन्दुस्तान, औपनिवेशिक भारत में समुदायवादी पुनरुत्थान की राजनीति और भाषाई-धार्मिक-सास्कृतिक वैचारिकी का सुदृढ़ीकरण।'

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