भीड़ ने दिया नया नारा, ये है बिहार, यहां पहले भी था नीतीश कुमार, आज ...
उस वक्त साढ़े पांच बजे होंगे। मुख्यमंत्री का स्टीमर दरभंगा हाउस के करीब से गुजर रहा था। स्टीमर की रेलिंग के पास खड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने चुनावी अभियान के स्ट्रैटजिस्ट रहे प्रशांत किशोर को पटना के छठ के बारे में बता रहे थे।
पटना। उस वक्त साढ़े पांच बजे होंगे। मुख्यमंत्री का स्टीमर दरभंगा हाउस के करीब से गुजर रहा था। स्टीमर की रेलिंग के पास खड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने चुनावी अभियान के स्ट्रैटजिस्ट रहे प्रशांत किशोर को पटना के छठ के बारे में बता रहे थे।
तभी भीड़ ने तेज आवाज में नारा लगाया- ये है बिहार, यहां पहले भी था नीतीश कुमार और आज भी है नीतीश कुमार। मुख्यमंत्री ने हाथ हिलाकर घाट पर उमड़े श्रद्धालुओं का अभिवादन किया।
प्रशांत किशोर भीड़ के इस नारे को सुन मुस्कुराने लगे। प्रशांत किशोर के कैंपेन का ही यह स्लोगन था- बिहार में बहार हो नीतीशे कुमार हो।
छठ घाटों पर श्रद्धालुओं का हाल लेने मुख्यमंत्री पहले अघ्र्य के दिन यानी मंगलवार को शाम साढ़े चार बजे दानापुर के नासरीगंज स्थित घाट से निकले। मुख्यमंत्री सचिवालय के आला अधिकारियों के अतिरिक्त उनके साथ प्रशांत किशोर भी थे।
पटना के प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर कमान संभाले हुए थे। नासरीगंज घाट पर पटना के डीएम और एसपी भी मौजूद थे। इन्हें भी मौजूद रहना था मुख्यमंत्री के भ्रमण में पर इन्हें कहा गया कि वे लोग घाटों के इंतजाम को देखे।
एडीजी पुलिस मुख्यालय सुनील कुमार मुख्यमंत्री के काफिले में साथ हो लिए। नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा अपने आईपैड के साथ थे।
नासरीगंज से स्टीमर खुला तो मुख्यमंत्री घाट वाले किनारे पर आकर स्टीमर की रेलिंग से सटकर खड़े हो गए। वहीं पर प्रशांत किशोर भी थे। शुरू के कुछ घाटों में भीड़ अपेक्षाकृत कम थी। इसी बीच दीघा पुल आ गया।
मुख्यमंत्री ने बताया- ऊपर रोड का हिस्सा राज्य सरकार का है। रोड का हिस्सा अभी बनना बाकी है। पुल पर बातें हो रहीं थी कि एक बड़ा स्ट्रेच आ गया। पुल के तुरंत बाद वाले इस स्ट्रेच में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ थी। मुख्यमंत्री ने कहा- यही मेन घाट है। बजाप्ता स्पेस है। पटना के लोग यहीं आ गए हैं।
आगे बढऩे पर कई और ऐसे घाट दिखे जहां काफी जगह थी। एक जगह तो वाहनों के पार्किंग की भी व्यवस्था थी। कलेक्ट्रिएट घाट और महेंद्रू घाट वाले हिस्से को जोड़कर एक बड़ा घाट अघ्र्य के लिए तैयार किया गया था।
यहां काफी जगह थी। बैरिकेडिंग देख कुछ सवाल होता कि तभी मुख्यमंत्री ने समझाया कि यह इसलिए इतनी बड़ी संख्या में लगाया गया है कि लोग इसके आगे नहीं जाएं। आगे गहराई अधिक है।
उन्होंने कहा कि हर बार स्थिति बदलती है गंगा घाटों की। ऐसा संभव है कि अगले साल उस घाट पर अघ्र्य की स्थिति नहीं रहे जहां इस बार अघ्र्य हो रहा है। पूरा सर्वे करके घाट की व्यवस्था करनी पड़ती है।
इसी बीच गांधी सेतु आ गया। गायघाट करीब था। मुख्यमंत्री को यहां उतरना था। उन्होंने कहा-हमने महसूस किया कि इस बार लोगों ने काफी बुद्धिमता से काम लिया। घाट पर जल्दी पहुंचे और अघ्र्य संपन्न करने के बाद तुरंत लौट भी गए।
पहले तो यह देखने में आता था कि अंधेरा छाने तक लोग आते रहते थे। उन्होंने कहा कि प्रशासन की व्यवस्था से मैं संतुष्ट हूं। मैंने देखा प्राय: घाटों पर वाच टावर व नियंत्रण कक्ष बनाए गए थे। माइक से एनाउंसमेंट भी रहा था। लोगों को छठ की बधाई देते हुए मुख्यमंत्री स्टीमर से उतर गए।