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बेउर जेल उड़ाने की धमकी से हड़कंप, पगली घंटी बजते ही आनन-फानन में पहुंचे जवान

दिन मंगलवार... समय दोपहर के दो बजे... बेउर जेल के लैंडलाइन टेलीफोन की घंटी अचानक जोर से घनघनाई। कहा गया एक घंटे में जेल को उड़ाने की साजिश है। फिर तो हथियार लेकर दौड़ पड़े जवान।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 08:59 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 10:12 PM (IST)
बेउर जेल उड़ाने की धमकी से हड़कंप, पगली घंटी बजते ही आनन-फानन में पहुंचे जवान
बेउर जेल उड़ाने की धमकी से हड़कंप, पगली घंटी बजते ही आनन-फानन में पहुंचे जवान

पटना, जेएनएन। दिन मंगलवार... समय दोपहर के दो बजे... बेउर जेल के लैंडलाइन टेलीफोन की घंटी अचानक जोर से घनघनाई। ऑपरेटर के फोन उठाते ही कहा जाता है कि एक घंटे में जेल को उड़ाने की साजिश है। फोन को ठीक से रखा भी नहीं गया कि जेल के अंदर से एक कक्षपाल ने कैदियों के बीच जमकर मारपीट होने की सूचना दी। अचानक मिलीं इस तरह की सूचनाओं से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया।

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अचानक घनघना उठी पगली घंटी

काराधीक्षक के निर्देश पर जेल के अंदर लगी पगली घंटी बजाई गई। सारे सुरक्षाकर्मी जहां और जिस हालत में थे, हाथ में अस्त्र-शस्त्र लेकर जेल के अंदर भागने लगे। आनन-फानन में सारे कैदियों को उनके वार्ड में बंदकर दिया गया। देखते ही देखते पूरी बेउर जेल पुलिस छावनी में तब्दील हो गई। बेउर थाने की पुलिस भी पहुंच गई। जेल के चारों ओर पुलिस की गश्ती बढ़ा दी गई। 

छह टीमों ने ली सघन तलाशी

जेल के अंदर काराधीक्षक जवाहर लाल प्रभाकर व कारापाल त्रिभुवन सिंह अपनी टीम के साथ मोर्चा ले चुके थे। इसके बाद छह टीमें बनाकर सघन तलाशी ली गई। अचानक पगली घंटी बजने से कैदियों में भी हड़कंप मच गया। कैदी अपने-अपने वार्ड में पहले ही जा चुके थे। तलाशी में कोई आपत्तिजनक सामान नहीं मिला। करीब तीन बजे के आसपास लाउडस्पीकर से सूचना प्रसारित कराई गई कि यह मॉक ड्रिल थी। इसके बाद कैदियों व सुरक्षाकर्मियों ने राहत की सांस ली। 

कहते हैं अधिकारी

बेउर जेल में बिना सूचना दिए मंगलवार दोपहर दो बजे पगली घंटी बजाई गई। जो सुरक्षाकर्मी अपने घरोंं में आराम कर रहे थे, वे भी पांच मिनट में जेल में पहुंच गए। घंटे भर तक सुरक्षाकर्मियों ने जेल में सघन तलाशी अभियान चलाया। एक घंटे के बाद उन्हें बताया गया कि यह मॉक ड्रिल थी। इसकी सूचना जेलर तक को नहीं दी गई थी। मॉक ड्रिल की जानकारी कारा मुख्यालय को ही दी गई थी। 

- जवाहर लाल प्रभाकर, काराधीक्षक बेउर 


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