बदलता बिहार: लड़कियों को लेकर बदली सोच, अब बेटा नहीं बेटियां ले रहे गोद
बिहार बदल रहा है। यहां लोगों की लड़कियों के प्रति सोच भी बदल रही है। इसी का परिणाम है कि अब लोग बेटियाें को अधिक संख्या में गोद ले रहे हैं।
By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 22 Feb 2018 10:37 AM (IST)Updated: Fri, 23 Feb 2018 11:18 PM (IST)
style="text-align: justify;">पटना [दीनानाथ साहनी]। बिहार में बेटियों के प्रति समाज की परंपरागत सोच बदल रही है। मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना हो या फिर केंद्र प्रायोजित 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का सकारात्मक प्रभाव अनाथ बच्चों को गोद लेने वालों पर भी पड़ा है। यही कारण है कि जिन बेटियों को कभी जन्म लेते ही मार दिया जाता था अब लोग गोद लेने के लिए कतार में खड़े हैं। 'बेटे नहीं, बेटी चाहिए’ के लिए आवेदन करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
समाज कल्याण विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017-18 में जनवरी तक 164 अनाथ बच्चों को गोद लिया गया। इसमें 124 लड़कियां हैं। जबकि मात्र 40 लड़के ही गोद लिये गए। बेटियों को गोद लेने संबंधी आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी 410 आवेदन में से 307 आवेदन अनाथ बच्चियों के लिए आए हैं।
सीएआरए ने भेजा प्रशंसा पत्र
लड़कियों के प्रति समाज में बदलाव लाने के सरकारी प्रयासों की केद्र सरकार ने तारीफ की है। हाल में समाज कल्याण विभाग को केंद्र सरकार की एजेंसी सीएआरए (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी) ने पत्र के जरिये लड़कियों को गोद लेने वालों को प्रोत्साहन के लिए तारीफ की है।
डॉक्टर-इंजीनियर भी गोद लेने वालों में शामिल
सिक्किम के डॉ.एमपी कुलश्रेष्ठ दंपती निसंतान हैं। उन्होंने हाल में बेटी गोद लेने के लिए राज्य सरकार के पास आवेदन किया है। इसी तरह इंदौर निवासी इंजीनियर रमण दंपती ने भी बेटी को गोद लेने के लिए आवेदन दे रखा है। कोलकाता के दत्ता दंपती ने निसंतान होने का हवाला देते हुए एक बेटी का लालन-पालन करने की ख्वाहिश रखते हुए आवेदन सरकार को दिया है।
आयकर विभाग में अधिकारी और दिल्ली निवासी सीपी मिश्रा ने बच्चा गोद लेने के लिए आवेदन किया और बेटी को ही चुना है। मणिपुर राज्य की एक महिला इंजीनियर जो नोएडा स्थित डेनमार्क की कंपनी में कार्यरत है ने भी चार माह पहले बेटी गोद लेने के लिए आवेदन दिया है।
आवेदन के नियम
बच्चा गोद लेने के लिए सीएआरए की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। इसके साथ ही जिले में अधिकृत एनजीओ के माध्यम से भी आवेदन किया जा सकता है। गोद लेने के इच्छुक दंपती की पूरी जांच के बाद उन्हें नंबर आने पर बच्चा गोद मिलेगा। कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार के मुताबिक बेटी गोद लेने वाले अधिकतर दंपती संपन्न और शिक्षित हैं। बच्चा गोद लेने वालों की पहचान गुप्त रखी जाती है।
सोच में बदलाव के ये हैं कारण
राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण के कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार ने कहा कि आज बेटियां गोद लेने वालों का आंकड़ा 35-40 फीसद ज्यादा है जो पहले न के बराबर था। यह इस बात को दर्शाता है कि सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन में बेटियों के प्रति लोगों की सोच में बड़ा बदलाव आया है।
इस बदलाव को लेकर समाज कल्याण विभाग की मंत्री मंजु वर्मा कहती हैं कि लड़कियों को गोद लेने के प्रति समाज की सोच बदलने का बड़ा कारण शिक्षा है। दूसरा कारण है बेटियों की उपलब्धियां, जो हर क्षेत्र में लड़कों से आगे रही हैं। उनमें समर्पण, सेवा भाव और संवेदनशीलता होती है। बेटियों की इन खूबियों ने लोगों को सोच बदलने पर मजबूर किया है।
आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज
- स्थायी निवास प्रमाण जिसमें पैन कार्ड आधार कार्ड, वोटर आइडी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली और टेलीफोन बिल शामिल हैं।
- आय प्रमाण जिसमें वेतन रसीद, सरकारी विभाग द्वारा जारी आय प्रमाण पत्र, इनकम टैक्स रिटर्न
- परिवार की फोटो या दंपति की फोटो
- दंपती की शादी का प्रमाण पत्र व फोटो
- एकल व्यक्ति की स्थिति में तलाकशुदा अथवा मृत पति या पत्नी का डेथ सर्टिफिकेट
- दंपती का जन्म प्रमाणपत्र
- दंपती को कोई बीमारी नहीं है इस बावत मान्यता प्राप्त डाक्टर द्वारा जारी प्रमाणपत्र
समाज कल्याण विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017-18 में जनवरी तक 164 अनाथ बच्चों को गोद लिया गया। इसमें 124 लड़कियां हैं। जबकि मात्र 40 लड़के ही गोद लिये गए। बेटियों को गोद लेने संबंधी आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी 410 आवेदन में से 307 आवेदन अनाथ बच्चियों के लिए आए हैं।
सीएआरए ने भेजा प्रशंसा पत्र
लड़कियों के प्रति समाज में बदलाव लाने के सरकारी प्रयासों की केद्र सरकार ने तारीफ की है। हाल में समाज कल्याण विभाग को केंद्र सरकार की एजेंसी सीएआरए (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी) ने पत्र के जरिये लड़कियों को गोद लेने वालों को प्रोत्साहन के लिए तारीफ की है।
डॉक्टर-इंजीनियर भी गोद लेने वालों में शामिल
सिक्किम के डॉ.एमपी कुलश्रेष्ठ दंपती निसंतान हैं। उन्होंने हाल में बेटी गोद लेने के लिए राज्य सरकार के पास आवेदन किया है। इसी तरह इंदौर निवासी इंजीनियर रमण दंपती ने भी बेटी को गोद लेने के लिए आवेदन दे रखा है। कोलकाता के दत्ता दंपती ने निसंतान होने का हवाला देते हुए एक बेटी का लालन-पालन करने की ख्वाहिश रखते हुए आवेदन सरकार को दिया है।
आयकर विभाग में अधिकारी और दिल्ली निवासी सीपी मिश्रा ने बच्चा गोद लेने के लिए आवेदन किया और बेटी को ही चुना है। मणिपुर राज्य की एक महिला इंजीनियर जो नोएडा स्थित डेनमार्क की कंपनी में कार्यरत है ने भी चार माह पहले बेटी गोद लेने के लिए आवेदन दिया है।
आवेदन के नियम
बच्चा गोद लेने के लिए सीएआरए की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। इसके साथ ही जिले में अधिकृत एनजीओ के माध्यम से भी आवेदन किया जा सकता है। गोद लेने के इच्छुक दंपती की पूरी जांच के बाद उन्हें नंबर आने पर बच्चा गोद मिलेगा। कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार के मुताबिक बेटी गोद लेने वाले अधिकतर दंपती संपन्न और शिक्षित हैं। बच्चा गोद लेने वालों की पहचान गुप्त रखी जाती है।
सोच में बदलाव के ये हैं कारण
राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण के कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार ने कहा कि आज बेटियां गोद लेने वालों का आंकड़ा 35-40 फीसद ज्यादा है जो पहले न के बराबर था। यह इस बात को दर्शाता है कि सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन में बेटियों के प्रति लोगों की सोच में बड़ा बदलाव आया है।
इस बदलाव को लेकर समाज कल्याण विभाग की मंत्री मंजु वर्मा कहती हैं कि लड़कियों को गोद लेने के प्रति समाज की सोच बदलने का बड़ा कारण शिक्षा है। दूसरा कारण है बेटियों की उपलब्धियां, जो हर क्षेत्र में लड़कों से आगे रही हैं। उनमें समर्पण, सेवा भाव और संवेदनशीलता होती है। बेटियों की इन खूबियों ने लोगों को सोच बदलने पर मजबूर किया है।
आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज
- स्थायी निवास प्रमाण जिसमें पैन कार्ड आधार कार्ड, वोटर आइडी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली और टेलीफोन बिल शामिल हैं।
- आय प्रमाण जिसमें वेतन रसीद, सरकारी विभाग द्वारा जारी आय प्रमाण पत्र, इनकम टैक्स रिटर्न
- परिवार की फोटो या दंपति की फोटो
- दंपती की शादी का प्रमाण पत्र व फोटो
- एकल व्यक्ति की स्थिति में तलाकशुदा अथवा मृत पति या पत्नी का डेथ सर्टिफिकेट
- दंपती का जन्म प्रमाणपत्र
- दंपती को कोई बीमारी नहीं है इस बावत मान्यता प्राप्त डाक्टर द्वारा जारी प्रमाणपत्र
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