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सीनियर सिटीजन्स में बढ़ा अवसाद, 35% में आखों की रोशनी जाने का खतरा-वजह भी जानें

कोरोना वायरस के कारण सीनियर सिटीजन्स में मानसिक तनाव व अवसाद के साथ-साथ दृष्टि दिव्यांगता की समस्या बढ़ी है। जानें कैसे इससे बचा जा सकता है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 08:18 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 08:18 AM (IST)
सीनियर सिटीजन्स में बढ़ा अवसाद, 35% में आखों की रोशनी जाने का खतरा-वजह भी जानें
सीनियर सिटीजन्स में बढ़ा अवसाद, 35% में आखों की रोशनी जाने का खतरा-वजह भी जानें

पटना, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण सीनियर सिटीजन्स में मानसिक तनाव व अवसाद के साथ-साथ दृष्टि दिव्यांगता की समस्या बढ़ी है। ऐसे में उनकी सुरक्षा को लेकर आंखों की विशेष देखभाल की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो 35 फीसद लोगों में आंखों की रोशनी जाने की समस्या हो सकती है।

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42 फीसद अवसाद, अलगाव व अकेलेपन का शिकार

एम्स दिल्ली के पूर्व डायरेक्टर व प्रसिद्ध नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. राजवर्धन आजाद ने शोध की जानकारी देते हुए कहा कि लॉकडाउन के कारण हर व्यक्ति-युवा और बूढ़े समान रूप से घर के अंदर फंस जाते हैं और हर गुजरते दिन एक नई चुनौती का सामना करते हैं। कई परिवार के बुजुर्गों की एकात्मक अवधारणा के कारण अकेले फंस जाते हैं। उन्होंने कहा कि एजवेल फाउंडेशन ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें करीब 42 फीसद बुजुर्ग अवसाद, अलगाव व अकेलापन के कारण चिंता का सामना करते हैं। जबकि अपने घर के कामों में मदद करने के लिए किसी के पास नहीं है। इससे वह आंशिक या पूर्ण अंधापन के साथ दैनिक जीवन के संघर्ष का सामना कर रहा है।

बीमारी के सामान्य संकेत और लक्षण

- धुंधला या बादलदार दृष्टि

- विकृत या अस्पष्ट दृष्टि

- कमी विपरीत या रंग संवेदनशीलता

- दृष्टि में काले धब्बे का अनुभव करना

- सीधी रेखाएं जो लहरदार या टेढ़ी दिखाई देती हैं

- दूर से देखने में मुश्किल

इन बातों का रखें ध्यान

जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर के अनुसार भारत में दृष्टि दोष वाले बुजुर्ग रोगियों की संख्या 22 फीसद से 35 फीसद तक है। बुजुर्गों में मोतियाबिंद के अलावा उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन और डायबिटिक मैक्यूलर रेटिनोपैथी तथा मैकुलम डीजनरेसन जैसी बीमारियां खासकर लोकडाउन के समय में घातक बन जाती है। डॉ. राजवद्र्धन ने बताया कि आंखों की परेशानी होने पर तुरंत नेत्र विशेषज्ञों टेली कन्सल्टेंसी से सलाह लिया जा सकता है या निकटतम अस्पताल तक जाया जा सकता है। घर में आखों की रौशनी जांचने के लिये कुछ चार्ट बनाकर अच्छी रोशनी में नजर की जांच कर सकते हैं। एक आंख बंद कर दूसरी से देखकर कम या ज्यादा रोशनी की जानकारी भी ले सकते हैं। इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से बड़े संकट को टाला जा सकता है।


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