कोरोना ने बदली अंग्रेजों के जमाने की परंपरा, थानों में मॉर्निंग डायरी की जगह अब ई-मेल चिट्ठी
कोरोना के कारण अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही मॉर्निंग डायरी की प्रथा बस औपचारिकता रह गई है। अब मॉर्निंग डायरी की जगह ई-मेल चिट्ठी लिखी जा रही है।
पटना, जेएनएन। कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर पुलिस ने अपनी एक और कार्यशैली में बदलाव लाया है। साथ ही इसे डिजिटल इंडिया की ओर कदम बढ़ाना भी माना जा रहा है। अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही मॉर्निंग डायरी की प्रथा बस औपचारिकता रह गई है। वरीय अधिकारियों के कार्यालय में डाक लेकर जाने की व्यवस्था तो है, लेकिन हाल के दिनों से चिट्ठी-पत्री ई-मेल या वाट्सएप से भेजी जा रही है।
तारीफ और सजा का तय होता है हकदार
पुलिस मैनुअल के अनुसार, थानाध्यक्ष को सुबह आठ बजे मॉर्निंग डायरी लिखना है। इसमें थाने में सेवारत सभी पुलिस पदाधिकारियों की कार्यशैली और उपलब्धि का जिक्र होता है। इसके बाद थाने का जवान उसे सर्किल इंस्पेक्टर या डीएसपी के कार्यालय में भेजना है। डीएसपी सुबह नौ बजे समेकित रिपोर्ट बनाकर एसपी की गोपनीय शाखा में पहुंचाते हैं। इससे एसपी को पता चलता है कि किस थाने का कौन अफसर तारीफ के काबिल है और कौन सजा का हकदार है। अक्सर, एसपी सुबह डायरी पढ़कर अंदाजा लगाते थे। सुबह चाय की चुस्की के साथ चेतावनी और शाबाशी का दौर चलता था। लेकिन अब ये व्यवस्था बदलती दिख रही है।
हर सुबह लिखा जाता है खैरियत प्रतिवेदन
जिले के थानेदारों की मानें तो वे हर सुबह स्टेशन डायरी में खैरियत प्रतिवेदन लिखते हैं। लेकिन, उसे डीएसपी कार्यालय में भेजने का कोई समय निर्धारित नहीं रह गया है। कोविड-19 खतरे को लेकर महत्वपूर्ण पत्र ई-मेल या वाट्सएप से भेजे जा रहे हैं। एसएसपी उपेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि कांड के कई प्रकार होते हैं। कुछ मामले में इंस्पेक्टर स्वयं कार्रवाई करने के सक्षम होता है। संगीन मामलों में टीम वर्क किया जाता है। लंबे समय से महत्वपूर्ण पत्र ई-मेल के जरिए भेजे जा रहे हैं। नियमित कार्य अब भी वैसा ही चल रहा है। अफसरों को उनके काम के हिसाब से शाबाशी और सजा दी जाती है।