तीसरी लहर से निपटने को हर जिले में बनेगा कोर ग्रुप
तीसरी लहर में इलाज के लिए अफरातफरी नहीं हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पुख्ता तैयारी कर रहा है। उद्देश्य है कि गंभीर लक्षण वाले रोगियों का भी इलाज जिले में हो सके। इसके लिए हर जिले में कोविड केयर वर्किंग ग्रुप (सीसीडब्ल्यूजी) बनाया जा रहा है।
पटना । तीसरी लहर में इलाज के लिए अफरातफरी नहीं हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पुख्ता तैयारी कर रहा है। उद्देश्य है कि गंभीर लक्षण वाले रोगियों का भी इलाज जिले में हो सके। इसके लिए हर जिले में कोविड केयर वर्किंग ग्रुप (सीसीडब्ल्यूजी) बनाया जा रहा है। सीसीडब्ल्यूजी आइसीयू की स्थापना से लेकर वहां भर्ती गंभीर रोगियों के उपचार तक के लिए टेलीमेडिसिन उपकरणों की मदद से एम्स पटना के विशेषज्ञों के संपर्क में रहेंगे। जरूरत होने पर एम्स के विशेषज्ञ उस जिले में जाकर भी अपेक्षित मदद मुहैया कराएंगे।
इस बाबत सोमवार को पटना एम्स ने सभी जिलों के सिविल सर्जन, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, उपाधीक्षकों के अलावा स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ बैठक की। कोरोना नोडल पदाधिकारी डा. संजीव कुमार ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देश पर हर जिले में कोरोना के गंभीर रोगियों के उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित कराना है।
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एम्स में प्रशिक्षण प्राप्त
डाक्टरों पर बड़ी जिम्मेदारी :
हर जिले में कोविड केयर वर्किंग ग्रुप और आइसीयू स्थापना के लिए हुई बैठक की अध्यक्षता एम्स के निदेशक डा. पीके सिंह ने की। कार्यक्रम का संचालन डा. ए कुमार ने किया, सीसीडब्ल्यूजी की स्थापना और दायित्वों की जानकारी कोरोना नोडल पदाधिकारी डा. संजीव कुमार ने दी। डा. नीरज कुमार ने इसके गठन और कार्य दायित्वों, डा. अभ्युदय ने ई-ग्रांड राउंड के महत्व पर प्रकाश डाला। एम्स के डा. दिवेंदु, डा. मुक्ता अग्रवाल, डा. हंसमुख जैन व डा. वीणा सिंह ने कहा कि जिलों के जिन फिजिशियन, शिशु रोग विशेषज्ञों व नर्सों को कोरोना के गंभीर मरीजों के उपचार का प्रशिक्षण दिया गया है, उन्हें ही हर जिले के सीसीडब्ल्यूजी में रखा जाए।
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पुख्ता तैयारी क्यों है जरूरी
-4 से पांच लाख यानी प्रति दस लाख जांच में 300 से 370 नए मामले आ सकते हैं तीसरी लहर में हर दिन
- 20 हजार से अधिक आइसीयू बेड तैयार रखे जाएं।
- 17 हजार 480 बेड की जरूरत होगी बिहार में।
- 20 फीसद बेड बच्चों के लिए आरक्षित करने की सलाह, हर जिले में एक पीडियाट्रिक यूनिट
-5 फीसद आइसीयू बेड और आक्सीजन युक्त चार फीसद बेड बच्चों के लिए सुरक्षित रखने हैं।
(नोट : केंद्र को सौंपी गई कोविड आपातकालीन रणनीति तैयार करने वाली टीम की रिपोर्ट के अनुसार।)