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Bihar Congress: लालू को पीछे छोड़ आगे बढ़ेगी कांग्रेस, चिंतन शिविर में राहुल गांधी के सामने निकला नया फार्मूला

नव चिंतन संकल्प शिविर में राहुल गांधी के सामने कांग्रेस ने नया फार्मूला निकाल लिया है। बिहार के नेताओं ने लालू का साथ छोड़कर पार्टी को आगे बढ़ाने की बात कही है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि लालू के कंधे की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 08:11 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 08:11 PM (IST)
Bihar Congress: लालू को पीछे छोड़ आगे बढ़ेगी कांग्रेस, चिंतन शिविर में राहुल गांधी के सामने निकला नया फार्मूला
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी। जागरण आर्काइव।

अरविंद शर्मा, पटना। लालू प्रसाद के भकचोन्हर (बेवकूफ) वाले बयान से भक्त चरण दास अभी तक इतने खफा हैं कि बिहार में राजद के साथ जाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं हैं। उदयपुर के नव चिंतन संकल्प शिविर में राहुल गांधी ने जब क्षेत्रीय दलों की विचारधारा पर सवाल उठाया और उन्हें जाति विशेष की पार्टी बताई तो बिहार में राजद की उपेक्षा से परेशान कांग्रेस के नेताओं को मौका मिल गया। प्रदेश कमेटी ने आलाकमान को साफ कर दिया कि गठबंधन के नाम पर समझौता नहीं, बल्कि अपने भरोसे पर खड़े होने की कोशिश होनी चाहिए। बिहार में कांग्रेस को अपनी पुरानी जमीन को अगर प्राप्त करना है तो उसे लालू प्रसाद के कंधे की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। 

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हालांकि कांग्रेस और राजद के रास्ते पहले से ही अलग हैं और दो सीटों पर उपचुनाव के साथ विधान परिषद चुनाव में भी दोनों अलग-अलग प्रत्याशी उतार चुके हैं। फिर भी लालू प्रसाद ने केंद्रीय स्तर पर गठबंधन बरकरार रहने की बात कही थी। इससे माना जा रहा था कि दोनों दलों के रास्ते अभी पूरी तरह से अलग नहीं हुए हैं। चिंतन शिविर में बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने शीर्ष नेतृत्व को बिहार में फिर खड़ा होने का फार्मूला भी दिया, जिसके मुताबिक खोए आधार को प्राप्त करने के लिए कांग्रेस को बिहार में अनुसूचित जाति और मुस्लिम वोट बैंक को फिर से साधने की जरूरत बताई गई।

बिहार कांग्रेस के अधिकतर महत्वपूर्ण पदों पर सवर्ण

चिंतन शिविर में सवाल इस पर भी उठाए गए कि बिहार कांग्रेस के अभी अधिकतर महत्वपूर्ण पदों पर सवर्ण हैं। प्रदेश अध्यक्ष, राज्यसभा की एकमात्र सीट और विधानसभा में पार्टी के नेता इसी वर्ग से आते हैं, लेकिन तब भी सवर्णों का वोट कांग्रेस को क्यों नहीं मिल पाता? इसलिए प्रदेश कमेटी का तर्क है कि सवर्णों के साथ वैसे अन्य समुदायों को भी अपने पाले में करने का प्रयास करना चाहिए, जो दशकों पहले कांग्रेस से जुड़े थे। हालांकि एक-दो सदस्यों ने आलाकमान को यह भी स्पष्ट किया कि बिहार में राजद को अलग करके कांग्रेस का आगे बढ़ना बहुत कठिन होगा, लेकिन चिंतन शिविर में शामिल नेताओं ने दावा किया कि शीर्ष नेतृत्व भक्त चरण के तर्कों से सहमत दिखा। 

लालू से क्यों खफा हैं भक्त चरण 

बिहार में दो विधायकों के असामयिक निधन के कारण करीब छह महीने पहले हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस भी हिस्सेदारी चाह रही थी। उसने राजद से एक सीट मांगी, लेकिन लालू ने इन्कार कर दिया। उसी क्रम में मीडिया से बातचीत के दौरान लालू ने भक्त चरण दास को भकचोन्हर कह दिया। इस संबोधन के सुर्खियों में आने के बाद भक्त चरण ने कभी कांग्रेस के पुराने साथी लालू से मिलने की जरूरत नहीं समझी। कांग्रेस के साथ बिहार में गठबंधन तो पहले ही टूट चुका था। विधान परिषद चुनाव में भी भक्त चरण दास ने दूरी बनाकर रखी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा एवं विधानसभा में कांग्रेस के नेता अजीत शर्मा ही बात करते रहे। 


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