मिशन 2019 को ले गोहिल की रणनीति, जात नहीं जमात के ट्रैक पर चलेगी कांग्रेस
मिशन 2019 के लिए कांग्रेस ने बिहार में पार्टी को नयी धार देने के लिए जात नहीं जमात की राजनीति पर फोकस किया है।
पटना [राज्य ब्यूरो]। पहले लोकसभा इसके बाद विधानसभा चुनाव को देखते हुए बिहार कांग्रेस बड़े बदलाव की ओर अग्रसर है। प्रदेश नेतृत्व ने पार्टी को नई धार देने के इरादे से 'जात' के बदले 'जमात' की राजनीति पर फोकस किया है। बिहार कांग्रेस के युवा प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने पिछले दिनों पार्टी नेताओं के साथ चुनावी रणनीति तय करने को बुलाई गई बैठक में नेताओं को 'जमात' की राजनीति करने की सलाह देकर अपने मनसूबों से अवगत करा दिया है।
वैसे यह रातों-रात लिया फैसला नहीं। तकरीबन पांच महीने पहले जब गोहिल को बिहार के प्रभारी का पद सौंपा गया, उन्होंने बिहार कांग्रेस के नेताओं से पहली मुलाकात में ही अपनी रणनीति साफ कर दी थी।
इसके बाद कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व ने अपनी सोच को जाति के आवरण से बाहर निकालकर किसानों के हक में खड़े होने का फैसला किया। किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिए जाने को मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने बिहार के सभी जिलों, प्रखंडों और पंचायतों में विरोध प्रदर्शन किए।
इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस अब महिलाओं को पार्टी के साथ जोडऩे की कवायद में जुटी है। पार्टी को इल्म है कि महिला वोट को जोड़े बगैर प्रदेश में जीत का सेहरा नहीं सज सकता। नतीजा मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के बहाने महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार को मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने अभी एक दिन पहले ही 'इंदिरा शक्ति एप' और 'मिर्ची स्प्रे' की लांचिंग की।
कार्यक्रम में पटना के विभिन्न कॉलेजों, स्कूलों की तकरीबन दो हजार लड़कियों को आमंत्रित कर पार्टी यह संदेश देने में सफल रही कि कांग्रेस से इतर दूसरा कोई दल महिलाओं का हितैषी नहीं है।
इसके पूर्व महिला कांग्रेस भी महिलाओं को पार्टी के करीब लाने के लिए महिला स्वरोजगार कार्यक्रम का आयोजन राज्यभर में कर चुकी है। इन प्रयासों के जरिए कांग्रेस जहां दूसरे राजनीतिक दलों से अलग दिखने की कवायद में जुटी है, वहीं पार्टी बिहार में अपनी खोई हुई जमीन की तलाश में भी है।