बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा, कांग्रेस का दलित-सवर्ण कार्ड में नहीं विश्वास
मदन मोहन झा ने प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाल ली है। उन्होंने कहा है कि हमारी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है और दलित-सवर्ण कार्ड में विश्वास नहीं करती है।
पटना [सुनील राज]। तकरीबन 11 महीने के लंबे अंतराल के बाद बिहार कांग्रेस को स्थायी अध्यक्ष मिल गया है। कांग्रेस आलाकमान ने बिहार कांग्रेस के पुराने नेता और पूर्व मंत्री डॉ. मदन मोहन झा को बिहार के अध्यक्ष पद की कमान सौंपी है।
लोकसभा चुनाव के ऐन पहले इस प्रकार से पार्टी में की गई उलटफेर को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई किस्म की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा से ऐसे ही कई प्रश्नों के बेबाकी से जवाब दिए। आइए देखें...
प्र. चुनाव के पहले इस प्रकार की उलट फेर के क्या मायने हैं?
उ. यह कोई रातों-रात लिया गया फैसला नहीं। काफी समय से बिहार कांग्रेस में स्थायी अध्यक्ष का पद रिक्त था। किसी ना किसी को स्थायी अध्यक्ष बनाया ही जाना था। ऐसे में कांग्रेस ने मुझ पर विश्वास किया और मुझे बिहार अध्यक्ष का पद दिया है। यह कोई उलटफेर नहीं। व्यवस्था है। संगठन की मजबूती के लिए इस प्रकार के फैसले राजनीतिक दल में आम हैं।
प्र. कहा जा रहा है चुनाव के पहले कांग्रेस ने सवर्ण कार्ड खेला है?
उ. कांग्रेस कोई क्षेत्रीय दल नहीं जो सवर्ण और दलित की राजनीति करे। कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। आजादी से लेकर अब तक अपने शासनकाल में कांग्रेस ने जाति और सम्प्रदाय की राजनीति से ऊपर उठकर जन हित में अपनी राजनीति की है। कांग्रेस ने अपने जीवनकाल में कभी भी सवर्ण और दलित कार्ड खेलने में विश्वास नहीं किया।
प्र. बिहार में कांग्रेस की स्थिति बेहद नाजुक है, क्या कहेंगे आप?
उ. देखिए यह सही है विगत कुछ सालों में कांग्रेस बिहार में कमजोर हुई है, लेकिन पिछले चार-पांच महीने में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने तकरीबन 10-11 वर्ष के बाद बड़ी जीत दर्ज कराई और इसके 27 विधायक विधानसभा पहुंचे। भविष्य में भी हम अच्छा काम करेंगे और कोशिश होगी कि हम सबको साथ लेकर चले।
प्र. तो भविष्य की क्या रणनीति होगी आपकी?
उ. अभी तो मुझे जवाबदेही मिली ही है। वैसे भी पार्टी संगठन किसी एक व्यक्ति की मेहनत से नहीं खड़ा होता। सबकी समान भागीदारी से ही संगठन को मजबूत किया जा सकता है। मुझे सहयोग देने के लिए चार कार्यकारी अध्यक्ष हैं। बिहार में एक जानकार प्रभारी हैं। तीन सचिव हैं हजारों नेता-कार्यकर्ता हैं सबके साथ बैठेंगे और भविष्य की मजबूती के लिए पार्टी जो आवश्यक कदम होंगे उठाएगी।
प्र. लोकसभा चुनाव में भाजपा को कैसे रोकेंगे?
उ. जैसे की मैंने पहले कहा, जिस प्रकार पार्टी की मजबूती के लिए सबका सहयोग जरूरी है ठीक उसी प्रकार चुनाव जीतने के लिए भी कई प्रकार की रणनीति बनानी होती है और वह सबके सहयोग से ही संभव है। हम आलाकमान के साथ ही महागठबंधन के अन्य दलों के साथ तमाम पहलुओं पर विचार कर बिहार में भाजपा को रोकने की रणनीति बनाकर अमल करेंगे और निश्चित तौर पर हम अपने प्रयासों में सफल भी होंगे।
प्र. पार्टी में गुटबाजी बहुत है, कैसे काबू करेंगे?
उ. जब परिवार में छोटी-छोटी बातों पर विवाद हो सकते हैं तो फिर तो कांग्रेस लाखों-करोड़ों लोगों की पार्टी है। वैसे मेरा मानना है कि कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है। कुछ लोगों को किसी मसले पर शिकायत हो सकती है। हम उन सभी मुद्दों और शिकायतें को देखेंगे। जो उचित तरीका होगा उसके आधार पर उसका समाधान किया जाएगा।
प्र. क्या कांग्रेस के नव नियुक्त अध्यक्ष अपना कार्यकाल पूरा करेंगे?
उ. देखिए न तो मुझे अध्यक्ष बनाए जाने की जानकारी थी और न ही आलाकमान द्वारा लिए जाने वाले दूसरे फैसले की जानकारी स्थानीय स्तर पर होना संभव है। पार्टी ने दायित्व दिया है उसका मैं सफलतापूर्वक निर्वहन करूंगा। इसके बाद जो फैसला लेना होगा आलाकमान को लेना है। मेरा काम निर्देशों का अनुपालन और पार्टी संगठन को मजबूती देना है उसमें मैं कोई चूक न हो इसके पूरे प्रयास करूंगा।