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बिहार में कांग्रेस नेताओं के बीच आई दो-दो हाथ की नौबत, भिड़ने को कुर्सी से उठे सांसद तो करना पड़ा बीच बचाव

विधानसभा चुनाव की हार से कांग्रेस उबर नहीं पा रही है। राजद पहले से कोस रहा है। ताजा हालत यह है कि कांग्रेसी आपस में ही दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं। तीन दिन पहले एक वर बहू स्वागत समारोह में ऐसी ही नौबत आई थी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 12:31 PM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 12:31 PM (IST)
बिहार में कांग्रेस नेताओं के बीच आई दो-दो हाथ की नौबत, भिड़ने को कुर्सी से उठे सांसद तो करना पड़ा बीच बचाव
बिहार में कांग्रेसी नेताओं के बीच एक कार्यक्रम के दौरान दो-दो हाथ करने की नौबत आ गई।

राज्य ब्यूरो, पटना: विधानसभा चुनाव की बुरी हार से कांग्रेस उबर नहीं पा रही है। सरकार न बनने के लिए राजद पहले से कोस रहा है। ताजा हालत यह है कि कांग्रेसी आपस में ही दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं। तीन दिन पहले एक वर बहू स्वागत समारोह में ऐसी ही नौबत आई थी। हाथापाई की तो टल गई, मगर मामला आलाकमान तक पहुंच गया है। पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी रहे अमरेंद्र सिंह ने आलाकमान को पत्र लिखकर घटना का ब्यौरा दिया है। सांसद अखिलेश सिंह पर कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल से टेलीफोन पर शिकायत की है। 

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सिंह के मुताबिक मामला 27 दिसम्बर का है। राजधानी के एक क्लब में पार्टी के नेता इर्शाद हुसैन ने दावत दी थी। अमरेंद्र सिंह पहुंचे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदनमोहन झा और अखिलेश सिंह पहले से मौजूद थे। पत्र के मुताबिक सांसद अखिलेश सिंह ने 13 दिसम्बर को हुई विक्षुब्ध कांग्रेसियों की बैठक के बारे में पूछा। अपशब्दों का प्रयोग किया। मारपीट की धमकी दी। उन्होंने भी उसी शैली में जवाब दिया। अमरेंद्र सिंह ने सांसद अखिलेश सिंह को जवाब दिया-आप जहानाबाद के हैं तो हम भी बेगूसराय के हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दोनों नेता भिड़ने की गरज से कुर्सी छोड़ कर उठ गए। लोगों ने बीच बचाव किया। अब लिखा पढ़ी हो रही है।

क्या हुआ था बैठक

कांग्रेस के पूर्व विधायक भरत सिंह, जनार्दन शर्मा, पार्टी के नेता अमरेंद्र सिंह, अजय कुमार टुन्ना सहित कुछ अन्य नेताओं ने 13 दिसम्बर को बैठक बुलाई थी। उसमें हार की समीक्षा की गई। अमरेंद्र सिंह ने कहा था-बाहर से आए कुछ नेता पार्टी पर काबिज हो गए हैं। ऐसे नेताओं ने विधानसभा चुनाव में दूसरे दलों के मित्रों की जीत की गारंटी के लिए कांग्रेस की ओर से कमजोर उम्मीदवार खड़े किए। इससे पार्टी की फजीहत हुई। हालांकि अमरेंद्र सिंह ने किसी नेता का नाम नहीं लिया था। 


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