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मिशन 2019: कांग्रेस की अति सक्रियता से बढ़ सकती हैं राजद की मुश्किलें, जानिए

लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में कांग्रेस के कद बढ़ाओ अभियान से राजद की परेशानी बढ़ सकती है। कांग्रेस में तारिक अनवर की वापसी और मदन मोहन झा को प्रदेश की कमान-दो बड़ी बातें हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 09:59 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 09:59 AM (IST)
मिशन 2019: कांग्रेस की अति सक्रियता से बढ़ सकती हैं राजद की मुश्किलें, जानिए
मिशन 2019: कांग्रेस की अति सक्रियता से बढ़ सकती हैं राजद की मुश्किलें, जानिए

पटना [अरविंद शर्मा]। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कद बढ़ाओ अभियान से सबसे ज्यादा बेचैनी-परेशानी राजद खेमे में है। चुनाव मैदान में जाने से पहले कांग्रेस ने बिहार में अबतक दो महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिन्हें राजद की बी-टीम की पहचान से उबरने की कोशिश मानी जा रही है।

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पहला मदन मोहन झा को प्रदेश की कमान सौंपना और दूसरा तारिक अनवर की वापसी। दोनों फैसलों में कांग्रेस की मंशा साफ-साफ दिख रही है। आगे भी कई फैसले लिए जाने हैं। 

भाजपा-जदयू के खिलाफ बिहार में राजद-कांग्रेस और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) का गठबंधन है, किंतु सीटों की हिस्सेदारी के मुद्दे पर मित्र दलों की कुंडलियां मेल नहीं खा रही हैं। सबकी मांग हैसियत से ज्यादा है। हालांकि भाजपा-जदयू को परास्त करने की रणनीति और रास्ते एक हैं। बावजूद ग्रह-नक्षत्रों की चाल दूसरे की लाइन से टेढ़ी चलती दिख रही है। 

संगठन में फेरबदल करके सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश के बाद बराबरी के आधार पर सीटों की मांग भी कांग्र्रेस के कद विस्तार की रणनीति का हिस्सा है। प्रदेश कांग्र्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी इसे और साफ करते हैं। उनके मुताबिक राजनीति में सभी दलों को अपनी हैसियत बढ़ाने का हक है।

पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस का कद पूरे देश में बढ़ा है। फिर बिहार में क्यों नहीं बढ़ सकता है? हालांकि वह यह भी जोड़ते हैं कि इसका मतलब यह नहीं कि हम राजद को टारगेट करके कद बढ़ा रहे हैं। सीटों का बंटवारा आपसी सहमति से ही होगा।

सोनिया गांधी की भारतीयता के मुद्दे पर पिछले 22 वर्षों से कांग्र्रेस से अलग होकर बिहार में विश्वसनीय तरीके से राजनीति कर रहे राकांपा सांसद तारिक अनवर की वापसी का असर राजद पर पडऩा तय माना जा रहा है। 

राजद का बिगड़ सकता है संतुलन 

तारिक अनवर को साथ लेकर कांग्र्रेस खुद को बिहार में नए अवतार में देखने लगी है, जो राजद की परेशानी का सबसे बड़ा सबब है। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि तारिक के जरिए कांग्र्रेस बिहार में अपने पुराने जनाधार को प्राप्त करने की कोशिश करेगी, जिसका साइड इफेक्ट सीधे राजद पर पड़ेगा।

लालू प्रसाद पिछले तीन दशकों से बिहार में मुस्लिम-यादव (माय) समीकरण के बूते राजनीति में अपरिहार्य बने हुए हैं। मुस्लिमों में अनवर की पैठ है। विश्वसनीयता है। ऐसे में तारिक की ताकत जैसे-जैसे बढ़ेगी, वैसे-वैसे राजद की परेशानी में भी इजाफा होगा। 


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