Bihar Chunav Result 2020: महागठबंधन में खटपट का खतरा, वोट ट्रांसफर के सवाल पर मच सकता घमासान
Bihar Election Result 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद दोनों प्रमुख गठबंधनों में हार के कारणों पर मंथन शुरू हो गया है। महागठबंधन के दल कांग्रेस को कमजोर कड़ी मान रहे हैं। इसको लेकर कम्युनिस्ट दलों ने मुखर होकर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
पटना [दीनानाथ साहनी]। बिहार चुनाव में महागठबंधन की हार से अब खटपट का खतरा मंडराने लगा है। वामपंथी दलों ने कांग्रेस के लचर प्रदर्शन पर निशाना साधते हुए इसकी शुरुआत कर दी है। सत्ता के करीब आकर महागठबंधन सरकार नहीं बना पायी तो इसके लिए कांग्रेस को ही सर्वाधिक जिम्मेवार ठहराया जा रहा है क्योंकि 70 सीटें लेकर उसने महज 19 सीटों पर ही जीत दर्ज करा पायी। कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सबसे खराब रहा। वैसे वामपंथी दलों ने कांग्रेस नेतृत्व को अलग से समीक्षा और आत्मचिंतन करने की नसीहत भी दी है जो शायद ही कांग्रेसियों को पच पाए। माकपा ने कांग्रेस के वोट ट्रांसफर पर भी सवाल उठाया है, जिसके बाद माना जा रहा है कि तकरार का दौर शुरू हो सकता है।
कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से महागठबंधन में तकरार बढऩे की आशंका
चुनाव विश्लेषक मान रहे हैं कि चुनाव में महागठबंधन की हार में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन जिम्मेवार है। कांग्रेस नेतृत्व के स्तर से भी अब हार की पड़ताल शुरू होने वाली है। महागठबंधन के नेतृत्व कर रहा राजद ने भी हार की समीक्षा की तैयारी कर रखी है। उसमें जो निष्कर्ष निकलेगा, उसी के हिसाब से रणनीति बनेगी। कुछ साथियों ने वोट ट्रांसफर पर सवाल उठाया है, जिसके बाद माना जा रहा है कि तकरार का दौर शुरू हो सकता है। ऐसे में एकता पर संदेह उठना लाजिमी है। संदेह होगा तो सुराख भी तलाशे जाएंगे। भले ही थोड़ा वक्त लगे। महागठबंधन में उथल-पुथल के पूरे आसार हैं।
कांग्रेस के खिलाफ मुखर होने लगे सहयोगी दल
महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राजद ने भले ही कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन महागठबंधन के ही प्रमुख सहयोगी दल भाकपा माले, माकपा और भाकपा ने कांग्रेस पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है। भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने महागठबंधन की हार के लिए कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया है। कहा कि कांग्रेस को ज्यादा सीटें देना महागठबंधन की चूक रही। वहीं माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार का यही कहना है कि कांग्रेस की लचर प्रदर्शन के चलते महागठबंधन सत्ता से चंद कदम दूर रह गया। भाकपा के मीडिया प्रभारी इंदुभूषण वर्मा का कहना है कि जितने सीटें कांग्रेस को महागठबंधन की ओर से दी गई, उतनी सीटों को कांग्रेस संभाल नहीं पाई, क्योंकि उसके पास उम्मीदवार ही नहीं थे।
कांग्रेस में भी बढ़ेगी कलह
चुनाव प्रदर्शन पर कांग्रेस के अंदर भी कलह बढ़ेगी। इसकी शुरुआत कई नेताओं के 'बोल-वचनÓ से हो चुकी है। कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि प्रदेश नेतृत्व ने चुनाव प्रबंधन में कोई ध्यान नहीं दिख। यहां तक कि उम्मीदवारों के चयन में नेतृत्व के स्तर से बड़ी चूक हो गई। वैसे कांग्रेस के एक नेता का यही भी आरोप है कि साथी दलों के दावे के हिसाब से वोट ट्रांसफर नहीं हो सका है। जात-पात की राजनीति, घटक दलों में गतिरोध-प्रतिरोध, तालमेल का अभाव, पूरे चुनाव में असमंजस के हालात और मतदाताओं की नब्ज पकडऩे में चूक ने कांग्रेस की हार की दास्तान लिखी है। कांग्रेस भी स्वीकार करने लगे हैं कि हार की बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। असर भी होगा। वैसे मौके के मुताबिक अब पैतरे लेने का वक्त है।