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Bihar Vidhan Sabha Winter Session: खास है शीतकालीन सत्र: आज से सदन में दिखेगी चुनावी साल की सियासत

Bihar Vidhan Sabha Winter Session बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। इस बार सत्र छोटा है लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यह सत्र अहम माना जा रहा है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 08:54 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 08:54 AM (IST)
Bihar Vidhan Sabha Winter Session: खास है शीतकालीन सत्र: आज से सदन में दिखेगी चुनावी साल की सियासत
Bihar Vidhan Sabha Winter Session: खास है शीतकालीन सत्र: आज से सदन में दिखेगी चुनावी साल की सियासत

पटना [अरविंद शर्मा]। Bihar Vidhan Sabha Winter Session: अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाला है और शुक्रवार से शुरू हो रहे विधानमंडल के शीतकालीन सत्र को चुनावी साल की सियासत का श्रीगणेश माना जा रहा है। मतदाताओं में पैठ बनाने के लिए सदन में पक्ष-विपक्ष की बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी होगी। आमजन के लिए सुविधाओं की घोषणाएं हो सकती हैं। प्रतिपक्ष की ओर से जनहित के सवालों पर हंगामा भी तय है। 

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सत्र छोटा है। बैठकें कम हैं। फिर भी विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सभी सदस्यों से सकारात्मक भागीदारी की अपील की है। इसका असर हो सकता है, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच लोकसभा चुनाव में हार-जीत की कसक बनाम खुशियों की अभिव्यक्ति भी होनी है। इस प्रयास में कुल 243 सदस्यों वाले सदन में विधायकों की उपस्थिति अन्य सत्रों की तुलना में कुछ ज्यादा हो सकती है। 

विपक्ष की सूची में कई मुद्दे 

विपक्ष की सूची में महज पांच बैठकों वाले सत्र के लिए मुद्दे तो कई हैं, लेकिन सबसे ज्यादा कोशिश सत्ता पक्ष पर तोहमत लगाने और खुद को बेहतर बताने की होगी। राजद प्रवक्ता भाई वीरेंद्र के मुताबिक अपराध, भ्रष्टाचार और एनआरसी के मुद्दे पर सत्ता पक्ष को बेनकाब किया जाएगा।

बकौल भाई वीरेंद्र, भाजपा और जदयू के हालिया संबंध भी विपक्ष के निशाने पर होंगे। पिछले कुछ महीने से राजग के दोनों बड़े दलों के बीच कई प्रमुख मुद्दों पर असहमति है। प्रतिपक्ष की कोशिश इसे उभारने और आम लोगों को इसका अहसास कराने की होगी। 

तेजस्वी के आने पर संशय 

झारखंड विधानसभा चुनाव में कई दलों ने अपने प्रमुख नेताओं को स्टार प्रचारक बना रखा है। ऐसे में दोनों तरफ के कुछ प्रमुख नेता सदन से अनुपस्थित भी रह सकते हैं।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को लेकर पहले से ही संशय है। बजट सत्र में भी उन्होंने सिर्फ प्रतीकात्मक भागीदारी की थी। पूरे सत्र में सिर्फ तीन दिन। अबकी उन्हें झारखंड चुनाव में महत्वपूर्ण भागीदारी निभानी है। इसी तरह जदयू ने भी अपने कई मंत्रियों को प्रचार के लिए लगा रखा है, जो सत्र के दौरान अनुपस्थित रह सकते हैं। 


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