नीति आयोग की बैठक में बिहार को विशेष दर्जा की मांग, इस BJP नेता ने किया विरोध
नीति आयोग की बैठक में बिहार छाया रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग रखी। लेकिन इस मांग का भाजपा नेता ने विरोध कर विवाद खड़ा कर दिया है।
By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 16 Jun 2018 04:25 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 11:54 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। राजधानी दिल्ली में रविवार को संपन्न नीति आयोग के गवर्निंग काउंसिल की बैठक में बिहार छाया रहा। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार बिहार के लिये विशेष राज्य के दर्जे की मांग फिर रखी। दूसरी ओर बिहार भाजपा के वरीय नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर ने इस मांग को सिरे से खारिज कर विवाद पैदा कर दिया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को दिल्ली में पुन: जोरदार तरीके से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग रखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग के शासी परिषद की चौथी बैठक में मुख्यमंत्री ने यह मांग दोहराई। इस दौरान उन्होंने विकास के मानकों के साथ-साथ मानव विकास से संबंधित सूचकांक में बिहार के पिछड़ेपन का मुद्दा भी उठाया। सात निश्चय के तहत चल रहे कार्यक्रमों, सामाजिक अभियान के अंतर्गत शराबबंदी, दहेज उन्मूलन व बाल विवाह के खिलाफ चल रहे अभियान के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने की मांग रखी।
विशेष राज्य की चर्चा
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि अंतर क्षेत्रीय एवं अंतरराज्यीय विकास के स्तर में भिन्नता से संबंधित आंकड़ों की समीक्षा की जाए तो पाया जाएगा कि कई राज्य विकास के मापदंड, जैसे प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, सांस्थिक वित्त एवं मानव विकास सूचकांकों पर राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे हैैं। तर्कसंगत आर्थिक रणनीति वही होगी जो ऐसे निवेश और अंतरण की पद्धति को प्रोत्साहित करे जिससे पिछड़े राज्यों को एक निर्धारित समय सीमा में विकास के राष्ट्रीय औैसत तक पहुंचने में मदद मिले।
विशेष राज्य के दर्जे की मांग इसी अवधारणा पर आधारित है। विशेष राज्य का दर्जा मिल जाने से केंद्र प्रायोजित योजनाओं के केंद्रांश में वृद्धि होगी। इससे राज्य को अपने संसाधनों का उपयोग, विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं में करने का अवसर मिलेगा। केंद्रीय जीएसटी में अनुमान्य प्रतिपूर्ति मिलने से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
बीआरजीएफ के लंबित 1651.29 करोड़ का भुगतान शीघ्र हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीआरजीएफ के माध्यम से विशेष योजना के तहत लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अवशेष 1651.29 करोड़ रुपए शीघ्र उपलब्ध कराए जाए। वहीं 12 वीं पंचवर्षीय योजना के लिए स्वीकृत राशि में से अवशेष 902.08 करोड़ के विरुद्ध पूर्व से भेजे गए दो प्रस्तावों की स्वीकृति प्राथमिकता के आधार पर दी जाए।
सात निश्चय व सामाजिक अभियान के लिए मिले अतिरिक्त संसाधन
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित बिहार के सात निश्चय के तहत ली गई योजनाओं के साथ-साथ राज्य सरकार कई सामाजिक अभियान चला रही है। सामाजिक अभियान में पूर्ण शराबबंदी, बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ चल रहा अभियान प्रमुख है। राज्य सरकार के इन कार्यक्रमों को नीति आयोग का समर्थन मिले और इसके लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
सतत विकास लक्ष्य के तहत मिलने वाली सहायता का स्पष्ट उल्लेख हो
सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों को सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता का उल्लेख राष्ट्रीय दृष्टि पत्र 2030 में स्पष्ट रूप से किया जाना चाहिए। पिछड़े राज्यों को विकास के विभिन्न मापदंडों पर राष्ट्रीय औैसत तक लाने के लिए विशेष पहल की जानी भी जरूरी है।
भाजपा ने कहा: संभव नहीं
मुख्यमंत्री की मांग अपनी जगह, लेकिन इसे बिहार में उनकी सरकार के घटक दल भाजपा के नेता ही सहमत नहीं दिख रहे। वरीय भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर ने कहा है कि विशेष राज्य का दर्जा नए राज्यों के लिए है। यह बिहार को नहीं दिया जा सकता। अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया तो यह कई अन्य राज्यों को भी देना होगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को दिल्ली में पुन: जोरदार तरीके से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग रखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग के शासी परिषद की चौथी बैठक में मुख्यमंत्री ने यह मांग दोहराई। इस दौरान उन्होंने विकास के मानकों के साथ-साथ मानव विकास से संबंधित सूचकांक में बिहार के पिछड़ेपन का मुद्दा भी उठाया। सात निश्चय के तहत चल रहे कार्यक्रमों, सामाजिक अभियान के अंतर्गत शराबबंदी, दहेज उन्मूलन व बाल विवाह के खिलाफ चल रहे अभियान के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने की मांग रखी।
विशेष राज्य की चर्चा
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि अंतर क्षेत्रीय एवं अंतरराज्यीय विकास के स्तर में भिन्नता से संबंधित आंकड़ों की समीक्षा की जाए तो पाया जाएगा कि कई राज्य विकास के मापदंड, जैसे प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, सांस्थिक वित्त एवं मानव विकास सूचकांकों पर राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे हैैं। तर्कसंगत आर्थिक रणनीति वही होगी जो ऐसे निवेश और अंतरण की पद्धति को प्रोत्साहित करे जिससे पिछड़े राज्यों को एक निर्धारित समय सीमा में विकास के राष्ट्रीय औैसत तक पहुंचने में मदद मिले।
विशेष राज्य के दर्जे की मांग इसी अवधारणा पर आधारित है। विशेष राज्य का दर्जा मिल जाने से केंद्र प्रायोजित योजनाओं के केंद्रांश में वृद्धि होगी। इससे राज्य को अपने संसाधनों का उपयोग, विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं में करने का अवसर मिलेगा। केंद्रीय जीएसटी में अनुमान्य प्रतिपूर्ति मिलने से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
बीआरजीएफ के लंबित 1651.29 करोड़ का भुगतान शीघ्र हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीआरजीएफ के माध्यम से विशेष योजना के तहत लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अवशेष 1651.29 करोड़ रुपए शीघ्र उपलब्ध कराए जाए। वहीं 12 वीं पंचवर्षीय योजना के लिए स्वीकृत राशि में से अवशेष 902.08 करोड़ के विरुद्ध पूर्व से भेजे गए दो प्रस्तावों की स्वीकृति प्राथमिकता के आधार पर दी जाए।
सात निश्चय व सामाजिक अभियान के लिए मिले अतिरिक्त संसाधन
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित बिहार के सात निश्चय के तहत ली गई योजनाओं के साथ-साथ राज्य सरकार कई सामाजिक अभियान चला रही है। सामाजिक अभियान में पूर्ण शराबबंदी, बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ चल रहा अभियान प्रमुख है। राज्य सरकार के इन कार्यक्रमों को नीति आयोग का समर्थन मिले और इसके लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
सतत विकास लक्ष्य के तहत मिलने वाली सहायता का स्पष्ट उल्लेख हो
सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों को सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता का उल्लेख राष्ट्रीय दृष्टि पत्र 2030 में स्पष्ट रूप से किया जाना चाहिए। पिछड़े राज्यों को विकास के विभिन्न मापदंडों पर राष्ट्रीय औैसत तक लाने के लिए विशेष पहल की जानी भी जरूरी है।
भाजपा ने कहा: संभव नहीं
मुख्यमंत्री की मांग अपनी जगह, लेकिन इसे बिहार में उनकी सरकार के घटक दल भाजपा के नेता ही सहमत नहीं दिख रहे। वरीय भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर ने कहा है कि विशेष राज्य का दर्जा नए राज्यों के लिए है। यह बिहार को नहीं दिया जा सकता। अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया तो यह कई अन्य राज्यों को भी देना होगा।
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