नीतीश का बड़ा बयान: JDU-BJP मिलकर लड़ेगा बिहार विस चुनाव, PK पर भी कही बड़ी बात
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया है। उन्हाेंने कहा कि जदयू बिहार में विधानसभा का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ेगा। उन्होंने प्रशांत किशोर पर भी बड़ी बात कही।
पटना, राज्य ब्यूरो। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की एजेंसी से जदयू का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने संकेत दिया कि पीके की एजेंसी किस राज्य में किस पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बनाती है, इससे भी पार्टी को कोई मतलब नहीं है। मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी के बाद पीके को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि ममता बनर्जी की जीत के लिए चुनावी रणनीति बनाने के मुददे पर जदयू के दूसरी कतार के नेता परस्पर विरोधी बयान दे रहे थे। राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी की नजर में यह पीके के पेशे का मामला है, जबकि संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार का कहना था कि पीके कहीं रहें, जदयू की सेहत पर फर्क नहीं पड़ता है। दूसरी ओर नीतीश ने यह भी कहा कि बिहार में एनडीए एकजुट है और विधानसभा का चुनाव जदयू और भाजपा एक साथ मिलकर लड़ेंगे।
असल में चार दिन पहले ममता बनर्जी और पीके के बीच चुनावी रणनीति पर हुई चर्चा के बाद ही जदयू में पीके की भूमिका को लेकर विवाद शुरू हो गया था। आशंका यह जाहिर की जा रही थी कि भाजपा पश्चिम बंगाल में गंभीरता से चुनाव लड़ रही है। ऐसे में जदयू के उपाध्यक्ष भाजपा के विरोध में रणनीति बनाएं तो बड़े सहयोगी दल की क्या प्रतिक्रिया होगी। कहीं भाजपा इसका बुरा तो नहीं मान जाएगी?
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आमंत्रित हैं पीके
जदयू सदस्यता अभियान के शुभारंभ के दौरान मुख्यमंत्री ने भाजपा की नाराजगी की आशंका को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा- भाजपा की ओर से पीके को लेकर कोई आपत्ति नहीं आई है। पीके की संस्था ने आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी काम किया था, लेकिन उस पर कभी चर्चा नहीं हुई। रविवार को जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पटना में हो रही है। उसमें पीके भी आमंत्रित हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पीके अपने इरादे के बारे में खुद बताएंगे। हम उनके बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। कयास लगाया जा रहा है कि कार्यकारिणी की बैठक में अगर पीके आए तो इस प्रकरण पर अपनी राय रखेंगे।
पीके के पक्ष में क्या है?
पीके के पक्ष में यह बात जाती है कि आइपैक एक पेशेवर एजेंसी है। इससे ढेर सारे लोग जुड़े हुए हैं। उनकी रोजी-रोटी का भी सवाल है। दलीय प्रतिबद्धता के नाम पर वे एजेंसी का काम नहीं बंद कर सकते हैं। अधिक से अधिक यह हो सकता है कि वे उन दलों के लिए काम न करें, जिससे जदयू का हित प्रभावित हो सके। केसी त्यागी इसी तर्क के साथ पीके की मदद कर रहे हैं।
जदयू सिर्फ बिहार में है घटक
जदयू सिर्फ बिहार में एनडीए का घटक दल है। दूसरे राज्यों में अपनी किसी तरह की राजनीतिक गतिविधि चलाने के लिए स्वतंत्र है। अरुणाचल प्रदेश में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में जदयू स्वतंत्र ढंग से लड़ा था। जिन 15 सीटों पर वह चुनाव लड़ा, उन सब पर भाजपा के उम्मीदवारों से मुकाबला था। जदयू के जीते हुए सात विधायकों के क्षेत्र में भी भाजपा ही दूसरे नम्बर पर थी। हाल में जदयू की झारखंड इकाई ने विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लडऩे का फैसला किया है। झारखंड में भाजपा की सरकार है और विस चुनाव भी इसी साल होने वाला है।
बिहार में एनडीए एकजुट
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि जदयू बिहार में विधानसभा का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ेगा। एनडीए एकजुट है। हालांकि उन्होंने मीडिया के पूछे जाने पर यह भी कहा कि केंद्र में सांकेतिक प्रतिनिधित्व आज भी स्वीकार्य नहीं। जदयू के सदस्यता अभियान के दौरान मीडिया के सवालों का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जदयू 2020 में होनेवाले बिहार विधानसभा का चुनाव भाजपा के साथ रहकर ही लड़ेगा। बिहार में एनडीए पूरी तरह एकजुट है और रैली में एनडीए ने अपनी ताकत भी दिखा चुका है। उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा पूर्ण बहुमत है और हम उनके साथ हैं। गौरतलब है कि बिहार में जदयू के 16 सांसद हैं, लेकिन मोदी कैबिनेट में जदयू शामिल नहीं है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप